परी बनकर आश्रम में आई थीं, वधु बनकर हुईं विदा

कुलदीप शर्मा.भिवानी
13 साल पहले जिस आश्रम में पांच लड़कियां परी बनकर आई थीं। गुरूवार को वो उसी आश्रम से वधु बनकर विदा हुईं। आश्रम में मिला अपनों जैसा प्यार तथा विदाई के दौरान भीगी आंखों ने एक बार तो कदम रोक दिए लेकिन सुनहरा भविष्य तथा नए जीवनसाथी के साथ ने जब कदम से कदम बढ़ाए तो कदम आगे बढ़ते चले गए। आश्रम की अन्य लड़कियों तथा मां के रूप में मिली वार्डन को समय समय पर आश्रम में आने का वादा देकर पांचों कन्या विदा हुई। सामूहिक विवाह के साक्षी बनने के लिए जो लोग आश्रम आए थे उनके हाथों को मुख्य गेट पर ही सेनिटाइज करवाया गया तथा जो मास्क लाना भूल गए थे उन्हें मास्क देकर अंदर भेजा गया। बड़े पंडाल में पांच स्थानों पर अलग अलग पंडाल फेरों के लिए सजाए गए। स्टेज पर सबसे पहले वर माला डलवाई गई तथा उसके बाद फेरों की रस्म अदा की गई।
बहनों की तरह रखा, बहुत आएगी याद
आश्रम में रहने वाली संजना, सपना, मुस्कान, पूजा तथा अंशु ने बताया कि जिनका विवाह हुआ है उन्होंने हमेशा बड़ी बहन की तरह प्यार दिया। जब कोई गलती होती तो डांट मारकर उस गलती को भविष्य में नहीं करने की बात कहती तथा जब खुशी होती तो सबका ख्याल रखती। उन्होंने बताया कि जितनी खुशी इस बात की है कि वो अपना घर बसाने जा रही हैं तो वहीं दुख इस बात का भी है कि अब उनकी कमी खलेगी । इसी प्रकार आश्रम की वार्डन सुमन त्रिपाठी ने बताया कि पांचों कन्या बहुत मेहनती हैं तथा कभी भी उन्होंने कोई ऐसा कार्य नहीं किया जिससे आश्रम की छवि खराब हो यह उनके लिए फर्क की बात है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटियां अपना घर बसाने जा रही हैं तथा उन्हें पूरा विश्वास है कि उनका आगामी जीवन खुशियों से भरा रहेगा।
90 लड़कों के प्राप्त हुए थे आवेदन, उनमें से चुने गए पांच
आश्रम में जब लड़कियों का विवाह किया जाता है तो उसके लिए पूरा प्लान किया जाता है। सबसे पहले आश्रम में रहने वाले लड़कियों की उम्र जब शादी लायक हो जाती है तो उनसे पूछा जाता है कि वो शादी करना चाहती है या फिर पढ़ाई। जब लड़की शादी के लिए हां करती हैं तो आगामी तैयारी शुरू होती है। सबसे पहले एक विज्ञापन के माध्यम से सूचित किया जाता है कि आश्रम में कितनी लड़कियों का सामूहिक विवाह होना है तथा उसके बाद आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। जब आवेदन जमा करवाने की तिथि चली जाती है तो उसके बाद आवेदनों की छटाई का कार्य शुरू होता है। जितनी लड़कियों की शादी होनी होती है उसके लिए तीन लड़कों का चयन किया जाता है।
बनाई जाती है अलग कमेटी
शादी के लिए आश्रम में एक अलग कमेटी का गठन किया जाता है जो हर बात की बारीकि से जांच करती है। इसमें सरकारी अधिकारी भी शामिल होते हैं तथा इसके बाद जो आवेदन प्राप्त होते हैं उनमें से जिनका चयन किया जाता है कमेटी उनके घर जाकर तथा आस पड़ोस में सारी तसल्ली करने के बाद परिवार वालों को आश्रम में बुलाया जाता है। सबसे पहले एक नंबर पर जो लड़का चुना जाता है उसके परिवार को बुलाया जाता है तथा लड़की की उम्र, पढ़ाई तथा व्यवसाय के हिसाब से लड़कियों के लिए वर का चयन किया जाता है। आश्रम में जब परिवार के लोग आ जाते हैं तो जो लड़की लड़के लिए चयनित की जाती है उसकी फोटो दिखाई जाती है तथा परिवार से तथा लड़के से सहमति के बाद ही कमेटी तथा परिवार के आगे लड़का लड़की एक दूसरे को देखने के बाद दोनों अपनी सहमति देने के बाद ही विवाह फाइनल किया जाता है।
एक लाख रुपये की होती है एफडी
जो परिवार लड़की के लिए चुना जाता है उसके लिए आश्रम की तरफ से एक शर्त रखी जाती है कि उसे विवाह करने वाली लड़की के नाम पर एक लाख रुपये एफडी के नाम पर जमा करवाने होंगे। यह राशि इसलिए सिक्योरिटी के रूप में जमा करवाई जाती है ताकि अगर विवाह के उपरांत लड़की को किसी तरह की परेशानी होती है तो सिक्योरिटी के रूप में जमा एक लाख रुपये उसके काम आ सके। पांच साल तक अगर विवाह शांति पूर्ण चलता रहता है तो एफडी की राशि लड़की को आश्रम मेंं बुलाकर सौंंप दी जाती है।
इन्होंने निभाया माता पिता का फर्ज
बाल सेवा आश्रम में रहने वाले कन्याओं के विवाह के बारे में जब शहर के लोगों को पता चला तो कन्याओं के कन्यादान के लिए आवेदन भी आने शुरू हो गए थे। इनमें से फिर विवाह के लिए बनाई गई कमेटी ने पांच जोड़ों का चयन किया जिन्होंने कन्यादान कर माता पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त किया। काजल का कन्यादान अनिल तुहीराम,कविता का नरेश गर्ग, मोना का मदन लाल वैद्य,सोनिया का पवन तथा अमृता का पिंकी ने सपरिवार कन्यादान किया।
इनकी बनी जोड़ी
आश्रम की लाडली काजल का विवाह सोनीपत के गांव बिधलान निवासी सुरेंद्र के साथ, आश्रम की बड़ी दीदी के नाम से मशहूर कविता का हांसी निवासी विकास, आश्रम में सबकी चेहती अमृता का भिवानी पतराम गेट निवासी संजय, छोटी लड़कियों को बड़ी बहन की तहर प्यार करने वाली मोना का बाढ़ड़ा निवासी सुरेंद्र तथा आश्रम की गतिविधियो में सबसे ज्यादा भाग लेने वाली सोनिया का गांव खिड़ीवाली जिला रोहतक निवासी अमरजीत के साथ हुआ।
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