फ्लैट खाली करने का मामला : हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार व नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन से जवाब तलब किया

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने गुरुग्राम की सेक्टर 37 डी स्थित ग्रीन व्यू सोसाइटी अपार्टमेंट ओनर एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार व नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन से जवाब तलब किया है।
इस मामले में एसोसिएशन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर जिला मजिस्ट्रेट सह अध्यक्ष, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए), गुरुग्राम के 17 फरवरी के उस आदेश को रद्द करने की मांग की है जिसके तहत प्राधिकरण ने सभी फ्लैट मालिकों को एक मार्च तक फ्लैट खाली करने का आदेश दिया है।याचिका में उनके द्वारा दी गई फ्लैट राशि ब्याज समेत वापिस करने की मांग की गई है। सरकार द्वारा जारी आदेश के तहत सेक्टर 37 डी स्थित ग्रीन व्यू सोसाइटी में रह रहे 140 परिवारों को एक मार्च तक अपने घरों को खाली करना होगा। सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि
सोसाइटी का 2017 में निर्माण करने वाली नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) ने अपने खर्चे पर इन परिवारों को वैकल्पिक आवास में शिफ्ट करने का विकल्प भी दिया है। जो फ्लैट मालिक अपना पैसा वापस लेना चाहते हैं, उन्हें एक महीने के अंदर ब्याज सहित पैसा वापस मिलेगा। नगर योजनाकार निदेशालय ने सोसाइटी के फ्लैटों को रहने के लिए असुरक्षित करार दिया है। उसी के बाद उन्हें खाली कराने के निर्देश जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के चेयरमैन को दिए गए थे। सरकार की तरफ से बताया गया कि सोसाइटी अनसेफ है अगर खाली नहीं करवाई गई तो बड़ा हादसा हो सकता है।
सरकार के इस जवाब पर कोर्ट ने रोक न लगाते हुए सरकार व एनबीसीसी को 22 अप्रैल तक जवाब दायर करने का आदेश दिया है।ग्रीन व्यू अपार्टमेंट में 786 फ्लैट हैं। इसमें 140 ईडब्ल्यूएस श्रेणी में हैं। ईडब्ल्यूएस श्रेणी को छोड़ कर बाकी फ्लैटों की कीमत लगभग 80 लाख से 1.50 करोड़ रुपये तक हैं।याचिका के अनुसार अगस्त, 2010 में एनबीसीसी ग्रीन व्यू अपार्टमेंट ग्रुप हाउसिंग आवासीय अपार्टमेंट के निर्माण के लिए एक परियोजना शुरू की। निर्माण में तय समय की 24 महीने की देरी के बाद जून 2017 में उनको फ्लैटों के कब्जे दिए गए।
फ्लैटों के कब्जे के तुरंत बाद, कई फ्लैट मालिकों ने उक्त परियोजना के निर्माण में और उनके फ्लैटों में भी कई दरारें और अन्य खामियां देखीं। मार्च 2018 के महीने के दौरान परियोजना और साइट पर मौजूद एनबीसीसी के अधिकारियों को इसकी सूचना दी। लेकिन साइट अधिकारियों ने इस पर उदासीन दृष्टिकोण अपनाया और पैच वर्क के माध्यम से दरारों को छुपाने के लिए कहा। इसके तुरंत बाद, उक्त परियोजना में विभिन्न स्थानों पर बीम और स्लैब में भारी दरारें दिखाई देने लगीं।अनियमितताओं दिखने पर इसकी शिकायत केंद्रीय सतर्कता आयोग को की गई। इसके बाद कई स्तर पर तकनीकी जांच हुई सभी में यह निष्कर्ष निकला की फ्लैट्स रहने की दृष्टि से सेफ नहीं हैं और इनमें कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। जिसके बाद उसको खाली करने का आदेश दिया गया। अपार्टमेंट ओनर एसोसिएशन ने फ्लैटों की लागत के लिए किए गए भुगतान पर 15 प्रतिशत ब्याज के साथ पंजीकरण शुल्क और आंतरिक कार्यों के लिए किए गए खर्च के साथ-साथ मानसिक उत्पीड़न और पीड़ा के लिए उपयुक्त मुआवजे की मांग की है।
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