स्वतंत्रता सेनानी की याद में बनवाए गए पार्क की सुध लेना भूल गए अधिकारी

दलबीर सिंह : भूना
गांव हासंगा में स्वतंत्रता सेनानी अमीलाल मुंड पार्क हर सुबह गांव की नई पीढ़ी को देशभक्ति की याद दिलाता है। यहां के सेनानी ने आजाद हिंद फौज में शामिल होकर नेताजी सुभाष चंद के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश को आजाद करवाया, परंतु प्रशासनिक स्तर पर सेनानी के निधन के बाद उनके आश्रितों की अनदेखी हो रही है। बदहाली का आलम यह है कि स्वतंत्रता सेनानी की याद में बनवाए गए पार्क तक की सुध नहीं ली जा रही है।
गांव हासंगा में पीने के नहरी पानी को लेकर जलघर की मंजूरी पिछले कई महीनों पहले हो चुकी है, लेकिन धरातल पर काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है। गांव में ही 33 केवी बिजली घर बनाए जाने को लेकर कागजी कार्रवाई पिछले कई साल से चल रही है, मगर स्वतंत्रता सेनानी के गांव के लोग लंबे समय से बिजली घर बनने की बाट जोह रहे हैं। हासंगा के युवा पिछले कई वषार्ें से खेल स्टेडियम बनाए जाने की मांग उठा रहे हैं, परंतु युवाओं ने राजनेताओं से लेकर अधिकारियों तक गुहार लगाई लेकिन खेल स्टेडियम बनाए जाने की प्रक्रिया मात्र झूठे आश्वासनों तक सीमित रह गई। हालांकि गांव में स्कूल का बहुमंजिला भवन, ग्राम सचिवालय, इंटरलॉकिंग गलियां, पीएचसी, पशु चिकित्सालय जैसी मूलभूत सुविधाओं से सम्पन्न है।
गांव हासंगा निवासी अमीलाल मुंड में बचपन से ही देशभक्ति का जुनून था। मात्र 21 वर्ष की आयु में बतौर तोपची सेना में भर्ती हुए। अंग्रेजो के खिलाफ काफी समय तक उन्होंने संघर्ष किया, जिसके कारण वह लंबे समय तक अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाही के चलते जेल में बंद रहे। आजाद हिंद फौज में नेता सुभाष चंद्र बोस जी के साथ उन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर ब्रिटिन सरकार को भारत देश से भागने पर मजबूर कर दिया। देश आजाद होने के बाद स्वतंत्रता सेनानी अमी लाल मुंड को कई बार प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किए गए थे। गांव के बहादुर सिपाही एवं स्वतंत्रता सेनानी अमीलाल मुंड की यादगार में तत्कालीन सरपंच राजबाला खलेरी ने सरकारी स्कूल के गेट के सामने 25 जनवरी 2013 को एक भव्य पार्क का निर्माण करवाया, जिसमें सेनानी का स्टेचू लगाकर 15 अगस्त व 26 जनवरी को माल्यार्पण कर उन्हें ग्रामीण एवं बच्चे सैल्यूट करते आ रहे हैं।
स्वतंत्रता सेनानी अमीलाल मुंड के बेटे रामकुमार, ओम प्रकाश, दलीप सिंह, महावीर सिंह, सुबे सिंह, रामचन्द्र, सतबीर सिंह की मांग है कि प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में उनके आश्रितों व पोते-पोतियों के लिए विशेष आरक्षण की सुविधा प्रदान करे तथा गांव को आदर्श गांव घोषित करके इसमें विकास योजनाओं को बढ़ावा दें। ग्रामीणों का कहना है कि देश की आजादी में आगे बढ़कर भाग लेने वाले सेनानी के गांव में एक जलघर व खेल स्टेडियम तक नहीं होने का उन्हें मलाल है।
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