देवभूमि कलायत से फिर शुरू हुई इस नदी की तलाश

कलायत: हरियाणा की धरती पर सरस्वती नदी की जलधारा का प्रवाह करने के लिए समाज सेवी संगठन एकजुट हो गए हैं। ऐतिहासिक नदी को विकसित करने के लिए ठोस कार्ययोजना तय की गई है। इसका आगाज कलायत स्थित प्राचीन श्री कपिल मुनि सरोवर तट पर हुआ। विश्व हिंदु परिषद संगठन की अगुवाई में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरोवर पट पर प्राचीन सरस्वती नदी की आरती की।
अभियान की अध्यक्षता विश्व हिंदु परिषद जिला उपाध्यक्ष बीरभान निर्मल और कलायत प्रखंड महामंत्री संजय सिंगला ने की। इस दौरान सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि प्राचीन कपिल मुनि सरोवर के अंदर निरंतर सरस्वती की जलधारा फूटती रही है। इसको लेकर वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने वर्ष 2006 में कलायत का दौरा किया था। उन्होंने माना था कि जो जलधारा सरोवर से बह रही है वह पवित्र सरस्वती नदी का जल है। इसको लेकर केंद्र एवं राज्य सरकारें से नदी को विकसित करने की मांग की गई थी। प्राचीन सरस्वती देश की सांस्कृतिक विरासत है। इसलिए इसकी तलाश को लेकर प्रभावी कदम उठाने की राह सामाजिक संगठनाें ने फिर से एकजुट होकर पकड़ी है। यह नदी किसानों के साथ-साथ आम जन के लिए वरदान साबित होगी। सरस्वती नदी से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर बारीकी से प्रकाश डाला गया। उल्लेखनीय है कि भाजपा सरकार ने सरस्वती नदी की तलाश को लेकर विभिन्न परियोजना-योजनाएं तय की हैं। इसके साथ ही जन जागृति अभियान गतिमान किए गए हैं। इस बीच जिस प्रकार समाज सेवी संगठन सरस्वती नदी की खोज को लेकर कलायत में एकजुट हुए हैं उससे प्राचीन नदी के दिन बहुरने की उम्मीद की जा रही है।
धरोहर का बड़ा इतिहास महत्व
कलायत को भगवान कपिल मुनि की तपोस्थली कहा जाता है। इसी धारा पर मुनि ने अपनी माता देवहुति को सांख्य दर्शन का ज्ञान करवाया था। इसके साथ ही धरोहर को राजा सालिवाहन के साथ भी जोड़ा जाता है। उन्होंने श्री कपिल मुनि तट पर बगैर चूना-मिट्टी शिवालयों का निर्माण करवाया था। इन्हंे भारत का अजूबा कहा जाता है। बताते हैं कि सरस्वती नदी पर ही भगवान कपिल मुनि ने लोकहित के लिए तप किया था।
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