सूर्य ग्रहण : धर्मनगरी में कंगन के आकार का नजर आया सूर्य, दिन में छाया अंधेरा

सूर्य ग्रहण : धर्मनगरी में कंगन के आकार का नजर आया सूर्य, दिन में छाया अंधेरा
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हरियाणा में 10 बजकर 20 मिनट 35 सेकेंड पर सूर्यग्रहण की शुरुआत हुई। सूर्यग्रहण की अवधि 3 घंटे 26 मिनट 21 सेकेंड रही। ग्रहण का केंद्र धर्मनगरी कुरुक्षेत्र रही।

हरिभूमि न्यूज: कुरुक्षेत्र

ऐतिहासिक ब्रह्मसरोवर पर इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) पर मेले का आयोजन नहीं किया गया। परंपरा के अनुसार ब्रह्मसरोवर के वीआईपी घाट पर अनुष्ठान का आयोजन किया गया। ब्रह्मसरोवर के गंगा घाट पर विश्व शांति और कोरोना महामारी की मुक्ति के लिए आयोजित अनुष्ठान में काशी, ब्रज और कुरुक्षेत्र के साथ-साथ विभिन्न अखाडों से आएं साधु संतों ने सुबह 10 बजकर 20 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 47 मिनट तक विश्व शांति पाठ व यज्ञ किया। वहीं सूर्य ग्रहण की 10 बजकर 20 मिनट 35 सेकेंड पर शुरुआत हुई जिसकी अवधि 3 घंटे 26 मिनट 21 सेकेंड रही।

21वीं सदी के इतिहास में पहली बार खगोलिया घटना घटी, जिसमें सूर्य ग्रहण कंगनाकार दिखाई दिया और कुछ देर के लिए अधेरा सा छा गया। सूर्य ग्रहण के इस विहंगम दृश्य का इसरो की ओर से लाइव प्रसारण किया गया। कुरुक्षेत्र के गांव भौर सैंयदा में इसरो की ओर से लाइव टेलीस्कोप लगाया गया था, जहां पर सूर्य ग्रहण का मुख्य केंद्र था। इसके साथ ही इसरो की ओर से ब्रह्मसरोवर के तट पर भी लाइव टेलीस्कोप लगाए गए थे, जहां पर सूर्य ग्रहण का लाइव प्रसारण लोगों ने देखा। ब्रह्मसरोवर पर साधु-संतों ने मोक्ष कामना के लिए ब्रह्मसरोवर में स्नान किया।

हरियाणा में इन स्थानों पर दिखा वलयाकार सूर्य ग्रहण

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के महानिदेशक प्रवीण कुमार ने बताया कि हरियाणा में वलयाकार दृश्य दिखने की शुरुआत राजस्थान के बार्डर से सटे अमलोहा से हुई। यहां पर 12 बजकर 2 मिनट से 16 सेकेंड से लेकर 49 सेकेंड तक वलयाकार सूर्यग्रहण दिखाई दिया। इसके साथ ही ऐलनाबाद, सिरसा, रतिया, जाखल, यमुनानगर, जगाधरी, तलवाना खुर्द में यह दृश्य दिखाई दिया। कुरुक्षेत्र में चार स्थानों पर यह आकृति लोगों ने देखी। इनमें पिहोवा के भौर सैंयदा, गुमथला गढू, लाडवा व ब्रह्मसरोवर शामिल हैं।

अब 25 अक्टूबर 2022 को कुरुक्षेत्र में दिखेगा सूर्य ग्रहण

कुरुक्षेत्र में अब अगला सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर 2022 को प्रात: 4 बजकर 27 मिनट से 6 बजकर 25 मिनट तक लगेगा। इसके बाद 2 अगस्त 2027 को सायं 3 बजकर 53 मिनट से सायं 5 बजे तक, 1 जून 2030 को प्रात:10 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक, 21 मई 2031 को प्रात: 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 2 बजकर 34 मिनट तक, 3 नवम्बर 2032 को सुबह 9 बजकर 32 मिनट से 10 बजकर 52 मिनट तक, 20 मार्च 2034 को सायं 4 बजकर 20 मिनट से 6 बजकर 23 मिनट तक, 2 सितम्बर 2035 को सुबह 4 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर 36 मिनट तक, 20 मार्च 2042 को प्रात: 6 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 12 मिनट तक, 11 जून 2048 को सायं 7 बजकर 01 मिनट से 8 बजकर 53 मिनट तक तथा 11 अप्रैल 2051 को 5 बजकर 42 मिनट से 7 बजकर 10 मिनट तक कुरुक्षेत्र में नजर आएगा।

मुख्यमंत्री ने विभिन्न अखाडो से आएं साधु संतों से बातचीत की

मुख्यमंत्री मनोहर लाल चंडीगढ से आनलाइन डिजिटल माध्यम से कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर के गंगा घाट पर विश्व शांति और कोरोना महामारी की मुक्ति के लिए आयोजित विश्व शांति पाठ के शुरू होने से पहले काशी, ब्रज और कुरुक्षेत्र के साथ-साथ विभिन्न अखाडों से आएं साधु संतों से बातचीत की। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अषाढ अमावस के सूर्य ग्रहण के अवसर पर मानव मात्र की मंगल कामना करते हुए कहा कि शास्त्र और अनुसंधान का मनाना है कि इस बार सूर्य ग्रहण का मुख्य केन्द्र कुरुक्षेत्र रहा है। इस वर्ष सूर्य ग्रहण जिस प्रभाव का है वह लम्बे समय के बाद ऐसा हुआ है और इस सदी तथा आगे आने वाले समय में भी इस प्रकार का सूर्य ग्रहण नजर नहीं आएगा। धर्मक्षेत्र- कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर पर सूर्य ग्रहण का मुख्य केन्द्र होने के कारण गीता उपदेश स्थली में धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और वेद शास्त्रों की मंत्र शक्ति से नकारात्मक प्रभाव को सकारात्मक प्रभाव में बदलने के लिए धार्मिक अनुष्ठान किए जाते है। इसलिए गीता उपदेश स्थली में अखंड पाठ और सात्विक अनुष्ठान का आयोजन किया गया है। इस वर्ष कोरोना महामारी के संक्रमण से बचाव करने के लिए बडे स्तर के मेले का आयोजन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि इस अनुष्ठान से निश्चित ही विश्व का कल्याण होगा और देश कोरोना से मुक्त होगा।

स्वामी गुरू शरणानंद महाराज ने की मानव कल्याण की कामना

कार्षिण पीठाधीश्वर स्वामी गुरू शरणानंद महाराज ने कहा कि मानव कल्याण के लिए हजारों वर्ष बाद सूर्य ग्रहण का मुख्य केन्द्र धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र बना है। इस धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में सूर्य के प्रभाव को रोकने और विश्व कल्याण के लिए धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव क्षेत्र कुरुक्षेत्र में है, इस सूर्य ग्रहण की मुख्य रेखा ब्रह्मसरोवर के उपर से गुजर रही है और कंगनाकार आकार का सूर्य ग्रहण कुरुक्षेत्र से नजर आया है। इस प्रकार का सूर्य ग्रहण हजारों साल के बाद नजर आया है, इससे पहले भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज छोडने के बाद कुरुक्षेत्र में इस प्रकार के सूर्य ग्रहण ब्रजवासियों से कुरुक्षेत्र में ही मिले थे। उन्होंने कहा कि इस सूर्य ग्रहण का मुख्य केन्द्र कुरुक्षेत्र होने के कारण इस स्थल को धार्मिक अनुष्ठान के लिए चयन किया गया है।

विश्व कल्याण और कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए प्रार्थना करना बहुत जरूरी : ज्ञानानंद

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र में इस वर्ष सूर्य ग्रहण का मुख्य केन्द्र रहा है इसलिए अध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से यह एक अदभुत संगम है। इस सूर्य ग्रहण के प्रभाव को कम करने और मानव कल्याण के लिए दूर दराज से आए संत जनों ने ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर विश्व शांति का जप किया है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में कोरोना महामारी फैली हुई है और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। इस समय विश्व कल्याण और कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए प्रार्थना करना बहुत जरूरी है। इसलिए कुरुक्षेत्र में विश्व कल्याण और कोरोना महामारी से मुक्ति के लिए धार्मिक अनुष्ठान यज्ञ में संत जनों द्वारा प्रार्थना की गई है। उन्होंने कहा कि संतों के साथ-साथ इस्सरों के वैज्ञानिक भी सूर्य ग्रहण पर अनुसंधान के लिए यहां पहुंचे है। यह सूर्य ग्रहण शोधकर्ताओं के लिए भी अदभूत दृश्यों से कम नहीं है। इस शोध से काफी तथ्य समाने आएंगे जोकि आने वाले समय में पूरे विश्व के लिए लाभदायक होंगे।

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