Farmers Protest : करनाल में न किसान झुके न ही प्रशासन झुकने को तैयार, किसानों का आंदोलन जारी

Farmers Protest : करनाल में न किसान झुके न ही प्रशासन झुकने को तैयार, किसानों का आंदोलन जारी
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बुधबार को फिर जिला सचिवालय में किसान नेताओं और प्रशासन के साथ हुई वार्ता एक बार फिर असफल हाे गई है। आंदोलनकारी लाठीचार्ज करवाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग पर अड़े हैं।

करनाल में लघु सचिवालय के बाहर डटे किसान झुकने को तैयार नहीं नहीं है वहीं करनाल प्रशासन भी किसानों की मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है। बुधबार को जिला सचिवालय में दूसरे दिन भी प्रशासन और आंदोलनकारियों के बीच चली वार्ता बेनतीजा रही जिसके चलते समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पाया। किसानों ने कहा अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा। वहीं किसानों को मनाने में प्रशासन की विफलता ने मनोहर सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं।

वहीं किसान नेताओं ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक सिर फोड़ने का आदेश देने वाले अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज कर सस्पेंड नहीं किया जाता, तब तक जिला सचिवालय के समक्ष किसान पक्का मोर्चाबंदी कर आंदोलन जारी रहेगा। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने प्रशासन को स्पष्ट कर दिया कि आगे बातचीत के लिए बुलावा तब भेजना, जब अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया जाए ओर उसे सस्पेंड कर दिया जाए। इसके बिना बातचीत के लिए बुलावा न भेजा जाए।

मंगलवार को करनाल प्रशासन के साथ बाचतीच के बाद कोई नतीजा नहीं निकलने पर किसान नेता राकेश टिकैत सहित अनेक किसानों ने महापंचायत और लघु सचिवालय घेराव कर डेरा डाल रखा था। लेकिन बुधवार को फिर प्रशासन ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया गया। आंदोलनकारी नेताओं के साथ करीब 3 घंटे बातचीत चली, परंतु बातचीत बेनजीता रही। किसान प्रतिनिधियों में संयुक्त किसान मोर्चो के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत, योगेंद्र राणा, किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी, बलदेव सिरसा, सुरेश कौथ, रामपाल चहल, अजय राणा, जगदीप ओलख, इंद्र सिंह, जोगिंद्र घासी नैन सहित अन्य शामिल रहे। वहीं उपायुक्त ने बताया कि आंदोलनकारियों के साथ बातचीत का क्रम चलता रहेगा। प्रशासन की मंशा है कि बातचीत से इसका समाधान निकाला जा सके।

किसानों की मांग थी कि सरकार मृतक किसान सुशील काजल के स्वजनों को 25 लाख रुपये प्रदान करें और उनके पुत्र को सरकारी नौकरी दी जाए। लाठीचार्ज में घायल हुए किसानों को दो-दो लाख रुपये प्रदान किए जाएं। जबकि लाठीचार्ज को लेकर विवाद में आए तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा पर मामला दर्ज कर उन्हें निलंबित किया जाए। वहीं अब किसान तत्कालीन एसडीएम अधिकारी के खिलाफ केस की मांग पर अड़े हुए हैं।

कब क्या हुआ : पुलिस ने 28 अगस्त को बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों पर लाठीचार्ज किया था, जिसमें कई किसान घायल हो गए थे। आरोप है कि पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए करनाल के रायपुर जाटान गांव के किसान सुशील काजल ने अगले दिन दम तोड़ दिया था। 30 अगस्त को भाकियू ने घरौंडा अनाज मंडी में महापंचायत करके हरियाणा सरकार से तीन मांगें की थी। इनमें सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपए मुआवजा व एक मेंबर को सरकारी नौकरी देना, घायल किसानों को 2-2 लाख रुपए मुआवजा और लाठीचार्ज के आदेश देने वाले व दूसरे पुलिसवालों पर कार्रवाई की मांग शामिल थी। भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि अगर 6 सितंबर तक उनकी ये तीनों मांगे पूरी नहीं की गई तो 7 सितंबर को करनाल में दोबारा महापंचायत कर मिनी सचिवालय का घेराव किया जाएगा। इसके बाद 7 सितंबर को महापंचायत के बाद किसानों ने लघु सचिवालय के बाहर डेरा डाल लिया है।

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