Monsoon : पछुआ हवाओं ने बिगाड़ा किसानों का गणित, धान की रोपाई प्रभावित

अमरजीत एस गिल : राेहतक
जुलाई का दूसरा सप्ताह शुरू हो गया है। लेकिन अभी तक मानसून की बारिश प्रदेश में नहीं हुई है। बीते चार-पांच दिन से लगातार राजस्थान की तरफ से चल रही पछुआ हवाओं ने किसानों का गणित बिगाड़ दिया है। जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन हैं, वे जैसे-तैसे करके धान की रोपाई तो कर रहे हैं। लेकिन अधिक तापमान होने की वजह से फसल की बढ़वार नहीं हो पारही है।
तापमान बढ़ने का कारण राजस्थान की ओर से चलने वाली शुष्क हवाएं हैं। अगर मौसम का हाल यही रहा तो खरीफ फसलों की पर तो प्रतिकूल असर पड़ेगा ही, इसके अलावा तय रकबे में धान की रोपाई भी नहीं हो पाएगी। किसान आसमान की ओर टकटकी लगा बारिश का इंतजार कर रहा है। मौसम विभाग के मुताबिक पूर्वी भारत में बंगाल की खाड़ी से निचले स्तर पर नम पूर्वी हवाएं चलने लगी हैं। ये हवाएं 10 जुलाई तक उत्तर पश्चिम भारत में पंजाब और उत्तरी हरियाणा तक पहुंच जाएंगी। दक्षिण-पश्चिम मानसून के पश्चिम उत्तर प्रदेश के हिस्सों, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कुछ और हिस्सों और दिल्ली में 10 जुलाई के आसपास आगे बढ़ने की संभावना है। पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली और पूर्वी राजस्थान में 9 जुलाई को अलग-अलग स्थानों पर तेज हवा (30-40 किमी प्रति घंटे तक की गति) के साथ आंधी की संभावना है।
1 लाख 50 हजार एकड़ का लक्ष्य : रोहतक में इस बार एक लाख 50 हजार एकड़ में धान की रोपाई का लक्ष्य सरकार ने तय किया है। साथ ही विभाग ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को निर्देश दिए हैं कि धान का रकबा कम किया जाए। ताकि पानी की बचत की जा सके। लेकिन जो हालात मौसम के इस बार अभी तक बने हुए हैं, उससे तो यह लगता है कि रकबा अपने-आप ही कम हो जाएगा। प्रदेश में 15 जून के बाद धान की अगेती किस्मों की रोपाई शुरू हो जाती है। अमूमन मध्य जून के बाद प्री-मानसून की अच्छी बारिश होती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है।
मानसून दूसरे सप्ताह में हाेता है सक्रिय : जून के अंतिम सप्ताह में मानसून पहुंचने के बाद जुलाई के दूसरे सप्ताह में तो हर हाल में यह पूरी तरह से सक्रिय हो जाता है। लेकिन इस बार तो प्रदेश में मानसून अभी तक पहुंचा ही नहीं है। ऐसे में झमाझम बारिश होने में अभी कई दिन और लगेंगे। तब-तक किसानों की हालत ठीक नहीं रहेगी। क्योंकि खरीफ फसलें अब बारिश न होने की वजह से झुलसने लगी हैं। सबसे ज्यादा खराब हालत तो धान की है। हालांकि नुकसान काॅटन में भी हो रहा है। फसल की बढ़वार रूक चुकी है। आंशका है कि अगर जल्द बारिश नहीं होगी तो फसलें नष्ट भी होने लगेंगी। मध्य जून के बाद अगर दो-तीन बार में 50 मिलीमीटर बारिश भी हो जाए तो इससे फसलों को काफी लाभ मिलता है। जमीन में इतनी नमी हो जाती है कि अगर मानसून थोड़े-बहुत दिन लेट भी हो तो फसल नष्ट होने से बच जाती है। जून में बारिश इस बार भी हुई। लेकिन फसलों की जरूरत के मुताबिक नहीं।
10 और 11 को भारी बारिश की संभावना : 10 जुलाई को हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली, में अलग-अलग स्थानों पर बिजली के साथ भारी वर्षा की संभावना है। 11 को हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब और दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान में छिटपुट स्थानों पर बिजली के साथ भारी वर्षा हो सकती है। इसी प्रकार 12जुलाई को हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब और दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान,में छिटपुट स्थानों पर बिजली के साथभारी वर्षा की संभावना है। -डॉ.मोहम्मद एतहशाम जिला कृषि मौसम सेवा के वैज्ञानिक
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