प्रकृति की मार ने किसानों को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा किया, बारिश से सैकड़ों एकड़ गेहूं की फसल चौपट

हरिभूमि न्यूज : बहादुरगढ़
मौसम के बदले मिजाज ने कई किसानों को फिर बर्बादी की कगार पर पहुंचा दिया है। पिछले सीजन के दौरान बरसात में धान की फसल डूबने के बाद अब हुई बारिश से कई एकड़ गेहूं की फसल चौपट हो गई है। गांव मांडोठी में दर्जनों किसानों की कई एकड़ गेहूं की फसल बरसात के पानी से डूब गई है। लगातार दूसरे सीजन में भी फसल की बर्बादी ने किसान को बेहाल कर दिया है, अब किसान किसी चमत्कार की आशा में ईश्वर को याद कर रहे हैं। वहीं उनकी आस शासन-प्रशासन से मिलने वाली सहायता राशि के साथ भी जुड़ी है।
जिले के किसानों के लिए यह वर्ष प्राकृतिक प्रकोपों का साल रहा है। खरीफ सीजन में हुई अतिवृष्टि व जलभराव ने पूरे जिले में धान सहित अन्य फसलों को पूरी तरह चौपट कर दिया था। इसके बाद किसानों को रबी सीजन की फसल से ही उम्मीद थी। इसके लिए कई दिन तक लाइन में लगकर खाद ली और बुआई की। मगर बीते दिनों हुई बरसात के बाद जलभराव ने किसान के अरमान पर पानी फेर दिया। रबी सीजन में जिले के गांव मांडोठी में जलभराव ने किसानों की गेहूं की फसल खेत में बर्बाद कर दी है। अब यहां की जमीन ज्यादा पानी नहीं सोख पा रही है। इससे खेत तालाब बन गए हैं। ऐसे में किसानों की चिंता बहुत बढ़़ गई है।किसानों पर पड़ी प्रकृति की दोहरी मार के कारण किसान कर्ज में डूब गए हैं।
किसान उमेद सिंह, राकेश, नरेंद्र, बलवान व सतबीर आदि ने बताया कि तीन दिन पहले हुई बारिश से गेहूं की फसल में पानी भर जाने से खाद-बीज बर्बाद हो गया है। बीते सीजन में धान की फसल के डूबने का उचित मुआवजा भी नहीं मिला है। किसानों ने कर्ज लेकर गेहूं की बुआई की थी। भारी बरसात से सब चौपट हो गया। रबी और खरीफ की दोनों फसल चौपट हो जाने से किसानों के सामने भुखमरी का संकट उत्पन्न हो गया है। उन्होंने प्रशासन से फसलों के नुकसान की भरपाई करवाने की मांग की।
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