यहां बिना पॉली हाउस के पेड़ों पर बेमौसम लगे हैं आम

यहां बिना पॉली हाउस के पेड़ों पर बेमौसम लगे हैं आम
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इस समय आम के पौधों से आम समाप्त हो चुके हैं लेकिन लछमन सिंह के पौधे पर आज आम के गुच्छे लटके हुए हैं। इसे लेकर वैज्ञानिक भी असमंजस में पड़े हुए हैं। यह सब किया है किसान विज्ञानी लमछन सिंह ने अपने द्वारा इजाद किए गए बिना बिजली से चलने वाले महादेव नीलंकठ वाटर प्यूरीफायर से। इस वाटर प्यूरीफायर से पानी छनने के बाद जो खराब पानी बचता है वह इन पौधों की सिंचाई करता है। बस यही कारण है कि पौधों को बेमौसमी तथा सामान्य से अधिक फल लगते हैं।

सूरज सहारण : कैथल

आपने अब तक पॉली हाउस या शेड नेट हाउस में बिना मौसम के सब्जी व फल देखे होंगे लेकिन कैथल के प्योदा रोड पर किसान विज्ञानी लछमन सिंह के यहां लगाए गए आम के पौधे पर बिना पोली हाउस व शेड नेट हाउस के आम लगे हुए हैं। करीब पांच फीट के पौधे पर अप्रैल माह से लेकर अब तक करीब 70 किलोग्राम आम लग चुके हैं। हालांकि इस समय आम के पौधों से आम समाप्त हो चुके हैं लेकिन लछमन सिंह के पौधे पर आज आम के गुच्छे लटके हुए हैं। इसे लेकर वैज्ञानिक भी असमंजस में पड़े हुए हैं। यह सब किया है किसान विज्ञानी लमछन सिंह ने अपने द्वारा इजाद किए गए बिना बिजली से चलने वाले महादेव नीलंकठ वाटर प्यूरीफायर से। इस वाटर प्यूरीफायर से पानी छनने के बाद जो खराब पानी बचता है वह इन पौधों की सिंचाई करता है। बस यही कारण है कि पौधों को बेमौसमी तथा सामान्य से अधिक फल लगते हैं।

किसान विज्ञानी लछमन सिंह बिना खाद व दवाई के साढ़े 22 फीट तक की लंबाई का गन्ना तैयार कर चुके हैं। इसके लिए लछमन सिंह को गीता जयंती समारोह में जिला प्रशासन कुरुक्षेत्र द्वारा सम्मानित किया गया है। 2013 में लछमन सिंह को पांच किलोग्राम की गोभी का फूल तैयार करने के लिए भी सम्मानित किया जा चुका है। यही नहीं उन्होंने दो किलोग्राम का खीरा तैयार कर सभी को अचंभित कर दिया है।

देश को नि:शुल्क सौपना चाहते हैं महादेव नीलकंठ सोंगल वाटर प्यूरीफायर

अब तक सरकार व जिला प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की सहायता न मिलने के चलते आर्थिक परेशानी झेल रहे लछमन सिंह के खुद की एक-एक बूंद में देशप्रेम व देशभक्ति का जज्बा भरा है। यही कारण है कि आज तक उन्होंने करोड़ों रुपये की आफर ठुकराकर अब तक महादेव नीलकंठ सोंगल वाटर प्यूरीफायर का फार्मूला किसी भी कंपनी को नहीं दिया। उनका कहना है कि वे अपना फार्मूला किसानों को देना चाहते हैं ताकि किसान इसे अपने खेतों में लगाकर बिना खाद व दवाई के अच्छी पैदावार ले सकें।

स्कूल व कालेजों में दे चुके हैं प्रशिक्षण : लछमन सिंह भले ही अंग्रेजी न जानते हों लेकिन वे विज्ञान और गणित के गूढ़ रहस्यों को भली भांति जानते हैं। गणित को आसानी से पढ़ाने को लेकर वे कई बार विभिन्न स्कूल व कालेजों में भी विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दे चुके हैं।

लछमन सिंह के नाम हैं तीन पेटेंट : लछमन सिंह किसान विज्ञानी ही नहीं बल्कि एक इंजीनियर भी हैं। मात्र आठवीं तक तालिम लेने वाले लछमन के नाम अब तक तीन पेटेंट हैं। जिसमें लीवर के सिद्धांत पर काम करने वाली मशीन सूर्य पुत्र कर्ण, कम पावर पर अधिक गहराई से पानी निकालने वाला वैक्यूम पंप शिवनल, डीजल व पैट्रोल की गाड़ियों से निकलने वाले धुंए को फिर से ऊर्जा में प्रयोग में लाने वाला सूर्य यंत्र।



किसान लछमन सिंह धान का विशाल पौधा दिखाते हुए। फोटो : हरिभूमि


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