किसानों की आय दोगुना करने का बजट में कहीं प्रावधान नहीं : डॉ. रामकुमार खटकड़, कृषि अर्थशास्त्री

हिसार : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए टैक्स राहत 1 साल के लिए बढ़ा दी है। युवाओं को कृषि स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एग्रीकल्चर फंड की स्थापना, अगले 3 साल तक एक करोड़ किसानों को नेचुरल फार्मिंग में मदद करने का प्रावधान, जिसके लिए 10,000 बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर बनाने और 20 लाख करोड़ रुपये तक के कृषि ऋण की सुविधा जोकि पशुधन डेयरी और मछली पालन आदि को बढ़ावा देना और विविधिकरण में मददगार होगी यह स्वागत योग्य है।
इसके बावजूद, बजट भाषण में कहीं पर भी कृषि क्षेत्र के लिए कुल कितना बजट बांटा गया है, कहीं नहीं बताया गया। कृषि क्षेत्र में जो बजट फूड प्रसंस्करण तथा मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए होना बहुत जरूरी है, वह भी कहीं भी आवंटन दिखाई नहीं दिया। इसी तरह कृषि विपणन के क्षेत्र में कम लागत वाले पैकेजिंग और परिवहन सुविधाओं पर भी कहीं उल्लेख नहीं किया गया। किसानों की आय को दोगुना करने के लिए भी बजट में प्रावधान दिखाई नहीं दिया। किसानों को कुल उत्पादन खर्च सी 2 पर 50 फीसदी बढ़ोतरी का भी कोई प्रावधान नहीं किया गया।
शुष्क क्षेत्रों की खेती में तकनीक बढ़ाने के लिए भी बजट में अनदेखी की गई है। फल-सब्जियों, डेयरी व मीट के परिवहन और रख-रखाव के लिए कोल्ड चैन के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया। कृषि क्षेत्र में अनुसंधान व तकनीकी विस्तार के लिए जोकि कृषि सकल उत्पाद का जीरो 0.6 फीसद से बढ़ाने का भी बजट में कहीं आवंटन नहीं दिखाई दिया। उपरोक्त सभी प्रावधानों में बहुत ज्यादा पैसे का प्रावधान ही कृषि के निर्यात बढ़ाने तथा स्थाई कृषि या टिकाऊ खेती या संचारणीय कृषि पादप एवं पशुओं के उत्पादन की समन्वित कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए अतिआवश्यक है। इसका भी बजट में कहीं प्रावधान दिखाई नहीं दे रहा।
छोटे तथा लघु किसानों के लिए भी तकनीक और मशीनरी को लागू करने और उनको बढ़ावा देने के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं है। कृषि क्षेत्र के उत्पादों, मशीनरी और उपकरणों पर लगने वाले जीएसटी में कटौती का भी कहीं विवरण नहीं दिखाई दिया। जैव प्रौद्योगिकी और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए बजट में जो व्याख्यान दिया है, वह सराहनीय कार्य है, परंतु इसके लिए भी बजट आवंटन को बढ़ाए जा सकता था। - डॉ. रामकुमार खटकड़, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष (रिटायर्ड), कृषि अर्थशास्त्र विभाग, हकृवि।
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