स्कूलों में फीस रेगुलेट करने के लिए कोई नियम ही नहीं, हाई कोर्ट में हरियाणा सरकार ने यह दिया जवाब

हरिभूमि न्यूज : भिवानी
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में हरियाणा सरकार ने हरियाणा स्कूल एजुकेशन रूल 158 में सुनवाई के दौरान जवाब दाखिल किया है। सरकार की तरफ से हाई कोर्ट में दिए जवाब में कहा गया है कि अभी तक सरकार के पास ज्यादा फीस को रेगुलेट करने को लेकर कोई नियम नहीं बना है, जिसके तहत ऐसे मामले को चेक कर कोई कार्रवाई कर सकें। प्राइवेट स्कूलों में बढ़ी हुई फीस संबंधी मामलों में कार्रवाई के लिए भी कोई मापदंड निर्धारित नहीं है। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना को लेकर न्यायालय की शरण में गए थे।
इसी मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से 23 दिसंबर तक जवाब दाखिल किए जाने के आदेश दिए थे। इसी के बाद सरकार ने न्यायालय में अपना जवाब दाखिल कर इस बात का खुलासा किया है। बृजपाल सिंह परमार ने प्रदेश भर के 8600 निजी स्कूलों में हरियाणा शिक्षा नियमावली के शिक्षा नियम 158ए के तहत फीस संबंधी मामलों का निपटान नहीं करने पर एफ एफ आरसी पर गंभीर सवाल उठाए थे। इसी को लेकर 28 जुलाई को एक याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी। उसी दिन 28 दिन के अंदर सरकार को इस मामले में एक्शन लेने के आदेश हुए थे। मगर फिर भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया था। जिस पर बृजपाल सिंह परमार ने न्यायालय के आदेशों की अवमानना को लेकर फिर से अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल द्वारा 11 दिसंबर को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 फरवरी 2021 को होगी।
शिक्षा विभाग ने राज्य सरकार के समक्ष भेजी ये सिफारिश
शिक्षा महानिदेशक ने इसी मामले में राज्य सरकार के समक्ष सिफारिश भेजी हैं, जिसमें कहा गया है कि वर्तमान में स्कूलों द्वारा शुल्क वृद्धि को नियंत्रित करने की कोई व्यवस्था नहीं है, क्योंकि विद्यालयों को केवल उन्हीं द्वारा वार्षिक शुल्क का भुगतान करते हुए प्रपत्र 6 प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया था। न्यायालय की खंडपीठ द्वारा निर्धारित मापदंडों को ध्यान में रखते हुए निजी स्कूलों द्वारा मुनाफाखोरी, वाणिज्यीकरण और निधि के अंतरण को दूर रखना। स्कूलों द्वारा शुल्क वृद्धि के विनियमन के लिए उचित विनियामक प्रणाली विकसित करने के लिए विभाग ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा हरियाणा,पंचकूला की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में विस्तृत चर्चा और जांच के बाद समिति की सिफारिश की गई।
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