Locusts Attack : ईरान से आई रेगिस्तानी टिड्डियों का अगस्त में रहेगा ज्यादा प्रकोप

सतीश सैनी : नारनौल
इन दिनों महेंद्रगढ़, रेवाड़ी सहित प्रदेश के अन्य जिला में जो टिड्डियों का दल (Locust group) घूम रहा है। यह ईरान से चला और पाकिस्तान में बेमौसम अच्छी बरसात के कारण इन टिड्डियों में बढ़ोतरी हुई। फिर पाकिस्तान(Pakistan) के रास्ते भारत के राजस्थान, पंजाब व गुजरात प्रदेश के अंदर प्रवेश किया। सर्वाधिक राजस्थान (Rajasthan) से इन टिड्डियों की एंट्री हुई।
शुरूआती दौर में इस बार इन टिड्डियों को राजस्थान बार्डर पर रोकने की तैयार नहीं की गई। जिसका खामियाजा अब भुगता जा रहा है। इन रेगिस्तान टिड्डियों के भारी प्रकोप को देखकर अब राजस्थान में बार्डर एरिया बाडमेर, जेसलमेर और पंजाब व गुजरात बार्डर एरिया में हैलीकॉप्टर से इन टिड्डियों पर दवा का छिड़काव करने का सिलसिला शुरू होगा। कृषि विभाग की ओर से जुटाए जा रहे आंकड़ों के हिसाब से अगस्त माह में इन टिड्डियों का ज्यादा प्रकोप रहेगा।
चार बार आई टिड्डियों का यह रहा रूट
26 जून : राजस्थान की ओर से टिड्डी दल जिला के रामबास, दौचाना, बदोपुर, दनचौली, कुलताजपुर गांव होते हुए नारनौल शहर में पहुंचा। यहां से अटेली होते हुए रेवाड़ी में प्रवेश किया।
30 जून : इस तारीख से 3 दिन पहले टिड्डियों का एक दल यूपी की तरफ गया था। वहां से वापस रेवाड़ी होते हुए कांटी, खेड़ी व कुंजपुरा व राजस्थान के आस-पास के गांव में दिखाई दिया। एक दल भूषण, शोभापुर, मंडलाना, नीरपुर होते हुए नारनौल से निकलने के बाद इसके आसपास के गांव में मंडराया। दूसरा दल झुंझुनूं के गांव हसलसर व भड़ौदा कलां की तरफ दोपहर बाद तक मंडराया।
2 जुलाई : टिडी दल का एक समूह राजस्थान की ओर से आकर निंबी व चिंडालिया साइड से होते हुए बापडोली व हाजीपुर से नारनौल को क्रॉस करके नांगल चौधरी व निजामपुर खंड की ओर चला गया। उसके बाद राजस्थान में प्रवेश कर गया। दूसरा ग्रुप निजामपुर खंड के दंचौली साइड से आया था। यह समूह निजामपुर के आसपास पवेरा व सरेली के आसपास घूमा। अंतत: शाम तक यह दल राजस्थान की तरफ चला गया।
4 जुलाई : टिड्डी के पहले दल ने कांवी से एंट्री की। बाछौद व सिहमा, डेरोली अहीर व जाखनी होते हुए राजस्थान में प्रवेश किया। दूसरा दल नारनौल पटीकरा, डेरोली अहीर व जाखनी से राजस्थान में गया।
यह भी जाने
-इन दिनों जो टिड्डियां यहां आ रही है, उसे रेगिस्तानी टिड्डी कहते है। इसे तीन भागों में बांटा गया है। अंडा, हॉपर फुदका व प्रौढ़ टिड्डी
-एक पूर्ण टिड्डी का वजन दो ग्राम एवं 40-60 मि.मी. लंबाई होती है।
-उड़ने की क्षमता 13-15 किलोमीटर प्रति घंटा होती है।
-भरत में टिड्डियों का प्रजन्न केंद्र मुख्य राजस्थान में पाकिस्तान का सीमावर्ती क्षेत्र है।
-टिड्डी दल का आर्थिक कागार 10000 टिड्डियां प्रति हेक्टेयर यानी एक टिड्डी प्रति वर्ग मीटर या 5-6 टिड्डी प्रति झाड़ी है।
-व्यस्क टिड्डी दलों का नियंत्रण दिन में नहीं हो सकता।
-ग्रासहोपर्स एवं फड़के को टिड्डी न समझे।
नुकसान का होगा आंकलन
जिला में चार बार टिड्डी दल आ चुका है। इससे कई गांवों में फसलों को नुकसान पहुंचा है। हाल ही में गांव गहली सहित कुछ गांवों के लोगों ने जिला प्रशासन को फसल नुकसान होने की बात कही। इसके बाद जिला प्रशासन ने राजस्व विभाग को इन टिड्डी दल से हुए नुकसान का आंकलन करने के निर्देश दिए है।
यह कहते हैं डिप्टी डायरेक्टर
कृषि विभाग महेंद्रगढ़ व रेवाड़ी जिला के डिप्टी डायरेक्टर डा. जसविंद्रसिंह सैनी ने बताया कि यह रेगिस्तानी टिडि्डयां ईरान से आई है। पाकिस्तान से सटे हमारे देश के बार्डर पर ही इन टिड्डियों को रोकने के लिए भारत सरकार ने हेलीकॉप्टर से दवा का छिड़काव शुरू करवाने की तैयारी की है। उनकी टीम लगातार राजस्थान के झुंझुनूं, अलवर, जयपुर व सीकर जिला के अधिकारियों से संपर्क में है। मीडिया, सोशल मीडिया के माध्यम से पल-पल की खबर किसानों तक पहुंचाई जा रही है। महेंद्रगढ़ जिला में नुकसान का आंकलन करने के लिए राजस्व विभाग को जिला प्रशासन ने निर्देश जारी किए है। पाकिस्तान में बेमौसम बरसात से इन टिड्डियों की संख्या बढ़ी है। हमारे यहां भी अगस्त माह में ज्यादा प्रकोप रहेगा। इसके लिए जिला प्रशासन के सहयोग से उनके विभाग की पूरी तैयारी है। दवा भी एडंवास में रखी गई है। इससे पहले यहां वर्ष 1993 में टिड्डी दल आया था। खेत में टिड्डी दल दिखाई देने पर किसान डीजे, थाली, ढोल, नगाड़े व खाली पीप्पो की आवाज करें और टिड्डी दल को फसल पर बैठने से रोक सकते है। कीटनाशकों के प्रयोग करने से भी इन पर काबू पाया जा सकता है।
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