भीषण गर्मी में जलते आग के धूनों के बीच बैठकर तपस्या कर रहा ये बाबा, जानें क्यों

हरिभूमि न्यूज : झज्जर
41 डिग्री सेल्सियस की झुलसा देने वाली गर्मी में जहां लोगों का बाहर निकलना दूभर रहता है वहीं ऐसी भीष्ण गर्मी में एक संत खुले आंगन में नंगे बदन ऊपलों की आंच के बीच धूना तपस्या करते हुए सर्व मंगल की कामना कर रहा है। स्थानीय कोसली रोड स्थित श्रीश्री 1008 आंनद दास आश्रम में महंत अजय दास द्वारा रोजाना ऊपलों का धूना लगाते हुए करीब सवा घंटे तक प्रभु सिमरन करते हुए सर्व मंगल की कामना करते हैं। यह क्रम बीती 17 मई से शुरू हुआ था जो आगामी 14 जून तक जारी रहेगा।
करीब एक पखवाड़े से धूना तपस्या कर रहे महंत अजय दास महाराज ने बताया कि उन्होंने एक माह की तपस्या की संकल्प लिया है। तपस्या के पहले दिन विधिवत रूप से पूजा-पाठ के बाद वे पांच ऊपलों के धून के साथ तप पर बैठे थे। अपने तप के नियमानुसार उन्हें रोजाना धूने में ऊपलों की संख्या में दो ऊपलों का इजाफा करना है। रविवार को उनके धूनों में ऊपलों की संख्या बढ़कर पैंतीस हो चुकी थी। मंदिर प्रांगण में बने धूनास्थल पर पैंतीस ऊपलों की धूना लगाया गया। बाबा ने धूना स्थल पर बैठकर अपने गुरू आनंद दास महाराज का ध्यान किया। उसके बाद ग्यारह बजे वे भस्म रमा कर तपस्या में लीन हो गए। तपस्या को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में बाबा की सेवा करने वाले भक्तजनोें में पिंटू, अमित पंछी, शक्ति, मास्टर रमेश, सूरजभान फौजी आदि शामिल हैं।
तप के दौरान किया अन्न का त्याग : आनंद दास आश्रम में धूना तपस्या करने वाले बाबा अजय दास ने तप की अवधि तक अन्न का त्याग भी करने का प्रण लिया है। वे भोजन ग्रहण नहीं करते। दिन भर में पानी, दूध व भक्तों द्वारा प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाने वाले फलाहार पर ही निर्भर रहते हैं। बाबा पहले पांच धूने की तपस्या करना चाह रहे थे लेकिन विशाल प्रांगण न होने के चलते उन्हें केवल एक धूना बनाकर उसमें हर रोज ऊपलों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया।
बीते वर्ष भी की थी तपस्या : महंत अजय दास ने इसी प्रकार की तपस्या बीते वर्ष भी की थी। जो 26 मई से शुरू होकर 24 जून तक चली थी। उस दौरान बाबा ने पूरे माह मौन व्रत भी धारण किया था। इसके अलावा कोरोना महामारी के चलते उन्होंने तपस्या शुरू करने से पहले करीब एक माह तक जिले के विभिन्न गांवों में घूम कर पर्यावरण शुद्धि अभियान भी चलाया था। उस दौरान हवन यज्ञ में 26 प्रकार की जड़ी-बूटियों की सहायता से तैयार की सामग्री का उपयोग किया गया था। आनंद दास महाराज के पैतृक गांव नंगला-कुतानी से शुरू किए गए इस अभियान में ट्रक्टर-ट्राली में हवनकुंड रखकर जिले के दो दर्जन से अधिक गांवों की गलियों में धूनी दी गई थी।
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