इस किसान ने नए कृषि कानूनों से खेती में होने वाले लाभ को प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री राहत कोष में दान करने का ऐलान किया, जानें क्यों

इस किसान ने नए कृषि कानूनों से खेती में होने वाले लाभ को प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री राहत कोष में दान करने का ऐलान किया, जानें क्यों
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किसान धर्मपाल सहारण का कहना है कि वे महज हंगामा खड़ा करने के पक्ष में नहीं है। मिशन सूरत बदलने का है। उनका लक्ष्य ऐसी व्यवस्था बनाना है जिससे किसान और सरकार के बीच भ्रम की स्थिति पैदा न हो। अकसर देखने में आता है कि नियमों को लेकर मंजर साफ नहीं हो पाता।

रणबीर धानियां.कलायत

खरक पांडवा गांव के 57 वर्षीय किसान धर्मपाल सहारण ने कृषि कानूनों की जमीनी हकीकत का आइना सरकार-किसान के समक्ष पेश करने का निराला तौर तरीका पेश किया है। इसके लिए किसान अपनी छह एकड़ भूमि का करार सरकार से करने के लिए आगे आएं हैं।

किसान का तर्क है कि वह नए कृषि कानूनों की प्रायोगिक परीक्षण के लिए खुद की छह एकड़ भूमि सरकार को निशुल्क खेती करने के लिए देने को तैयार है। यदि नए कृषि कानूनों के अंतर्गत सरकार फसल से मुनाफा कमाने में सफल रही तो वह छह एकड़ भूमि से एक वर्ष में होने वाले लाभ को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री राहत कोष मंे जमा करवाएंगे। अन्यथा धरातल की सच्चाई को बखूबी जानते हुए बिना देरी कानून वापिस लेने का कार्य करे।

धर्मपाल सहारण का कहना है कि वे महज हंगामा खड़ा करने के पक्ष में नहीं है। मिशन सूरत बदलने का है। उनका लक्ष्य ऐसी व्यवस्था बनाना है जिससे किसान और सरकार के बीच भ्रम की स्थिति पैदा न हो। अकसर देखने में आता है कि नियमों को लेकर मंजर साफ नहीं हो पाता। परिणामस्वरूप सरकार और नागरिकों में खींचतान के हालात बने रहते हैं। इसके कारण विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ देश-प्रदेश के आगे बढ़ने में अड़चन पैदा होती रहती हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि हर विषय-वस्तु को लेकर सरकार-नागरिक एक-दूसरे को बेहतर ढंग से समझें-समझाएं। जब कोई कानून और निर्देश दोनों पक्षों के बीच पूर्णत साफ होगा तो अकारण विवाद खड़ा होने का सवाल नहीं उठता। किसान का कहना है कि बार-बार किन्हीं विषयों को लेकर तनावपूर्ण एवं खींचतान से शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सड़क, रेल, बिजली, उद्योग, विज्ञान, तकनीक और बुनियादी सुविधाओं का ढांचा प्रभावित होता है। इसका सीधा असर देश की प्रगति पर पड़ता है। इसलिए उन्हाेंने खुद से पहल करते हुए अपनी बेशकीमती भूमि को प्रायोगिक परीक्षण के लिए सरकार को पेशकश की है।

किसान परिवार खेती पर आश्रित

कलायत के खरक पांडवा गांव के किसान धर्मपाल सहारण की खेतीबाड़ी पर उनका परिवार निर्भर है। परिवार में किसान का बेटा, तीन लड़की, एक पुत्रवधू, पौत्र और पौत्री शामिल है। धर्मपाल समय-समय पर हर वर्ग से जुड़े मामलों को लेकर मुखर होकर आवाज बुलंद करते आए हैं।

मार्केट कमेटी के चेयरमैन रहे हैं किसान के पिता

किसान धर्मपाल सहारण के स्वर्गीय पिता बिच्छा राम कलायत अनाज मंडी मार्केट कमेटी के चेयरमैन रहे हैं। बिच्छा राम की पहचान इलाके में कुशल पंचायती और समाज सेवक के रूप में रही है। नेशनल हाई-वे और खरक पांडवा गांव में धर्मपाल की छह एकड़ कृषि भूमि है।


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