Somvati Amavasya 2021 : सोमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान-पुण्य और दीपदान करने का ये है महत्व

Somvati Amavasya 2021 :  सोमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान-पुण्य और दीपदान करने का  ये है महत्व
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इस दिन गंगा स्नान या अन्य किसी पवित्र नदी अथवा तीर्थ में स्नान और पुण्य कर्म करना बहुत अच्छा माना जाता है परंतु इस साल कोरोना महामारी के चलते नदियों में स्नान करना संभव न हो तो घर पर सूर्योदय से पूर्व नहाने के जल में गंगा जल डालकर स्न्नान कर सकते हैं। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन यदि कोई व्यक्ति कुछ धार्मिक कर्म करता है तो उसके जीवन के कष्ट दूर होते है।

हरिभूमि न्यूज : कुरुक्षेत्र

श्रीदुर्गा देवी मन्दिर पिपली के अध्यक्ष डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि 12 अप्रैल को रेवती नक्षत्र, चन्द्रमा और सूर्य मीन राशि में वैधृति योग चैत्र मॉस की सोमवती अमावस्या पड़ रही है। जो अमावस्या तिथि सोमवार के दिन पड़ती है उसे सोमवती अमावस कहते हैं। पुराणों के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान-पुण्य और दीपदान करने का बहुत महत्व है। इस दिन गंगा स्नान या अन्य किसी पवित्र नदी अथवा तीर्थ में स्नान और पुण्य कर्म करना बहुत अच्छा माना जाता है परंतु इस साल कोरोना महामारी के चलते नदियों में स्नान करना संभव न हो तो घर पर सूर्योदय से पूर्व नहाने के जल में गंगा जल डालकर स्न्नान कर सकते हैं। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन यदि कोई व्यक्ति कुछ धार्मिक कर्म करता है तो उसके जीवन के कष्ट दूर होते है।

हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि पितरों के तर्पण के लिए समर्पित है। इसलिए इस दिन पित्तरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास रखा जाता है। विशेष जो लोग पितृ दोष से पीडि़त हैं उनके लिए अमावस्या व्रत इस दोष के निवारण के लिए महत्वपूर्ण है। हिन्दू धर्म के अनुसार यह संवत का अन्तिम तिथि होती है।

चैत्र अमावस्या का शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि आरंभ - 11 अप्रैल 2021 दिन रविवार को प्रात: 6 बजकर 5 मिनट से

अमावस्या तिथि समाप्त - 12 अप्रैल 2021 दिन सोमवार को प्रात: 8 बजकर 1 मिनट पर

चैत्र अमावस्या की पूजा विधि श्रद्धा से ऐसे करें

-चैत्र अमावस्या के दिन प्रात: जल्दी उठें।

- ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें।

- सूर्योदय के समय भगवान सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें।

- इस दिन कर्मकांड के साथ अपने पितरों का तर्पण करें।

- पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखें।

- आज के दिन ग़रीबों और ब्राह्मणों को भोजन,वस्त्र और दान-दक्षिणा श्रद्धा पूर्वक दें।

- पक्षियों को जल और अन्न दे तथा गायों को हरा घास खिलाएं।

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