डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स दानकर नया जीवन दे रही राेहतक की ये संस्था

पंकज भाटिया : रोहतक
जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या रोजाना बढ़ रही है। कई बार मरीज की हालत इतनी गंभीर हो जाती है कि उसे एमरजेंसी प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। इस स्थिति में मरीज का जो ब्लड ग्रुप है वही डोनर का भी होना जरूरी है। गंभीर स्थिति तब आती है जब उसे आरडीपी यानी रेंडम डोनर प्लेटलेट चढ़ाने के बाद भी उसकी प्लेटलेट लिमिट से ज्यादा कम हो जाएं। शहर में एक संस्था ऐसी है जो इन गंभीर मरीजों के लिए डोनर की व्यवस्था करती है।
संस्था के पास सूचना आते है सभी सदस्य सक्रिय हो जाते हैं और उसी ब्लड ग्रुप के डोनर को लेकर मौके पर पहुंचकर मरीज की मदद करते हैं। इस संस्था का नाम है हम और आप सोशल वेलफेयर सोसायटी। ये पिछले काफी समय से प्लेटलेट्स और रक्तदान के क्षेत्र में कार्य कर रही है। इस बार भी जबसे डेंगू ने पैर पसारना शुरू किया है तभी से ये संस्था गंभीर मरीजों की मदद कर रही है। सूचना आते ही सभी सदस्य सोशल मीडिया के जरिए मरीज की मदद की अपील करते हैं। संस्था ने व्हाट्सएप ग्रुप बना रखा है और इनका अपना फेसबुक पेज भी है।
संस्था सदस्य चिराग बेरी कहते हैं कि मानो तो एक खून का रिश्ता है हम सभी का, ना मानो तो कौन क्या लगता है किसी का। उन्होंने बताया कि एक मरीज की प्लेटलेट जब ज्यादा कम हो जाती हैं तो उसे प्लेटलेट चढ़ाना जरूरी हो जाता है। पहले उस मरीज को रैनडम डोनर प्लेटलेट चढ़ाई जाती हैं अगर उससे भी एमरजेंसी खत्म नहीं होती तो फिर उसे एसडीपी यानी सिंगल डोनर प्लेटलेट चढ़ाई जाती है। इसके लिए मरीज का और डोनर का ब्लड ग्रुप सेम होना जरूरी है। साथ ही जो डोनेट कर रहा है उसका सीबीसी चैक किया जाता है। अगर उसकी प्लेटलेट एक लाख पचास हजार से ऊपर हैं और एचबी 12.5 ग्राम है तभी वो प्लेटलेट डोनेट कर सकता है। डोनर की वेन मोटी होनी चाहिए। उनकी संस्था में सलेक्टिड डोनर हैं। जो आपात स्थिति में काम आते हैं।
गोहाना अड्डा निवासी अरूण विरमारी संस्था के सदस्य हैं। इनको चिराग ने फोन कर सूचना दी कि एक 32 साल के युवक को बी पॉजिटिव प्लेटलेट्स की जरूरत है। उसी समय इन्होंने निजी ब्लड बैंक पहुंचकर प्लेटलेट्स डोनेट की और मरीज को राहत पहुंचाई। समाज सेवी और पालिका बाजार के प्रधान गुलशन निझावन भी सुबह 3 बजे तक अरूण के साथ ही रहे।
तीन महीने में तीन बार कर चुके डोनेट
भारत भूषण पिछले तीन महीने में तीन बार एमरजेंसी में प्लेटलेट्स डोनेट कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने एक 12 साल के बच्चे को प्लेटलेट दान कर उसकी जान बचाई। रात करीब 9 बजे उनके पास मैसेज आया कि ओ नेगेटिव प्लेटलेट की गंभीर मरीज को जरूरत है। जिसके बाद वे तुरंत अस्पताल पहुंचे और प्लेटलेट्स दान की। बता दें कि भारत अब तक 68 बार रक्तदान भी कर चुके हैं।
36 बार रक्तदान किया
रात करीब 2 बजे मॉडल टाउन निवासी अंकित जुनेजा के पास फोन आता है कि ओ पॉजिटिव प्लेटलेट एक 25 वर्षीय युवक को चाहिए जो कि निजी अस्पताल में भर्ती है। उसी समय अंकित अस्पताल पहुंचते हैं और गंभीर मरीज को प्लेटलेट दान करते हैं। परिवार नम आंखों से उनका धन्यवाद करता है। अंकित कहते हैं कि अगर उनकी ये मदद किसी दूसरे के घर के चिराग को बुझने से बचा सकती है तो इससे बड़ा पुण्य और क्या होगा। उन्होंने अब तक 36 बार रक्तदान भी किया है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS