पर्यावरण प्रहरी : ट्री मैन के नाम से जाने जाते हैं यह अध्यापक

पर्यावरण  प्रहरी :  ट्री मैन के नाम से जाने जाते हैं यह अध्यापक
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पर्यावरण के प्रहरी बनकर उभरे हैं कस्बा ढांड के अध्यापक राकेश कुमार। राकेश कुमार पिछले करीब 20 सालों से धरा को हरी-भरी बनाने में जुटे हैं। इस समय वे अपने घर की छत पर कोरोना काल से ऑक्सीजन देने वाले पौधों की नर्सरी तैयार कर रहे है।

सूरज सहारण : कैथल

कोविड-19 ने जहां रिश्तों की अहमियत को याद करवाया तो वहीं बिगड़ते पर्यावरण की भी याद दिलाई। एक लाख तक में ऑक्सीजन खरीदने वाले ताउम्र ऑक्सीजन की कीमत को नहीं भूल सकेंगे। अब पता चला कि पेड़ से मिलने वाली ऑक्सीजन की कीमत क्या है।

इसी के मददेनजर पर्यावरण के प्रहरी बनकर उभरे हैं कस्बा ढांड के अध्यापक राकेश कुमार। राकेश कुमार पिछले करीब 20 सालों से धरा को हरी-भरी बनाने में जुटे हैं। इस समय वे अपने घर की छत पर कोरोना काल से ऑक्सीजन देने वाले पौधों की नर्सरी तैयार कर रहे है। वे बताते है कि कोरोना संक्रमण के चलते कोविड मरीजों की संख्या बढ़ने से ऑक्सीजन की किल्लत होने लगी है। तो उनके मन में इस किल्लत को दूर करने के लिए ऑक्सीजन देने वाले पौधे तैयार करने की मन में इच्छा जगी है। तभी से घर की छत पर पौधे तैयार करने शुरू कर दिए।

बताते है कि नर्सरियों में पौधे कम पड़ने लगे है तो उन्होंने अपने घर की छत पर ही नर्सरी बना ली और पौधे तैयार करने में जुट गए। वहीं तैयार होने के बाद अपनी मोटरसाइकिल पर रखकर आसपास के क्षेत्र में खाली पड़े स्थान पर पौधे लगाने पहुंच जाते हैं। पौधे लगाने के बाद उनकी अच्छी तरह देखभाल भी करते है। पौधे सूखे न उनमें सुबह शाम पानी का विशेष प्रबंध रखते हैं। उनकी पत्नी व बेटी भी इस काम में पिता का साथ दे रही है।

कोरोना काल में 100 घरों में बांट चुके हैं पौधे

राकेश बताते है कि जब से कोरोना बीमारी शुरू हुई है, तभी से उन्होंने खुद ऑक्सीजन पौधे लगाने के साथ ही घर की छत पर पौधे तैयार करने शुरू कर दिए थे। गांव में 100 लोगों को वितरित कर चुके हैं। उनका कहना है कि कई बार लोग पौधे लगाना चाहते हैं, लेकिन वे इसके लिए नर्सरी तक की दूरी तय नहीं कर पाते। उनके दिमाग में यह बात आई और फिर उन्होंने सोचा कि अगर लोगों को घर पर ही पौधे उपलब्ध करा दिए जाएं तो लगाने के साथ ही उनकी देखभाल भी वे अच्छी तरह होगी और हम वातावरण को बचाने में भी कामयाब हो जाएंगे। कोरोना बीमारी से छूटकारा मिल जाएगा।

अब तक दो हजार पौधे कर चुके हैं तैयार

कोरोना काल के समय से अब तक राकेश कुमार घर पर दो हजार पौधे तैयार कर विभिन्न जगहों पर लगा चुके है। ढांड बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, मंदिर, पंचायत घर, श्मशान घाट, स्कूल व सरकारी कार्यालय में पौधे लगाएं है ताकि ऑक्सीजन की कमी न रहे। लोगों को बीमारी से बचाया जा सकें। वहीं पौधों को तैयार करते समय देशी खाद का प्रयोग कर रहे हैं। सुबह व शाम को पौधों में पानी डालते हैं।

बच्चों को दे रहे प्रकृति से जुड़ने की सीख

अध्यापक राकेश की ड्यूटी जिस भी स्कूल में लगती है, वहीं के बच्चों का प्रकृति के प्रति लगाव बढ़ जाता है। वे जहां बच्चों से पौधा रोपित करवाते हैं तो वहीं उनको पौधे वितरित कर प्रकृति के प्रति लगाव पैदा करते हैं। राकेश अपने घर की छत पर तुलसी, नीम, बरगद, शहतूत, अमरूद, जामुन, अशोक, पीपल व नीम इत्यादि के पौधे तैयार कर रहे है। इनमें से बरगद, पीपल व नीम के पौधे सबसे ज्यादा सार्वजनिक स्थानों पर लगाएं है।

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