इस बार दीपावली पर टूटेगा प्रदूषण का कहर

अमरजीत एस गिल. रोहतक
गर्मी खत्म होने पर अब मौसम (weather) सुहावना बन गया है। लेकिन जैसे-जैसे पारे में गिरावट हो रही है। वैसे-वैसे आबोहवा भी जहरीली होने लगी है। सोमवार सुबह साढ़े ग्यारह बजे रोहतक का एक्यूआई 157 था, जो शाम को सात बजे बढ़कर 176 को पर कर चुका था।
फिलहाल क्षेत्र में हवाएं चल रही हैं। जिससे प्रदूषण में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही। अब तापमान और कम होगा तो हवा की गति भी कम हो जाएगी। जिससे निरंतर पोल्यूशन का स्तर बढ़ेगा। क्योंकि मध्य अक्टूबर आ चुका है। और इन्हीं दिनों में प्रदूषण में बढ़ोतरी होनी शुरू होती है।
इस बार अंदेशा है कि दीपावली (Deepawali) पर आबोहवा खतरनाक स्थिति तक पहुंच जाएगी। बीते तीन चार साल से नवम्बर और दिसम्बर में क्षेत्र में जहरीले धुएं की चादर हर साल तन जाती है। जब बारिश होती है या हवा की गति कुछ बढ़ जाती है तो जहर का गुब्बार कुछ कम होता है।
29 सितम्बर से शुरू हुई बढ़ोतरी
गत 28 सितम्बर को रोहतक की आबोहवा में पीएम 2.5 की मात्रा 47 दर्ज की गई थी। जोकि सामान्य श्रेणी में आती है। इसके बाद से लगातार एक्यूआई बढ़ रहा है। 29 सितम्बर को शहर का एक्यूआई 169, 30 को 129, एक अक्टूबर को 133, 2 काे 164, 3 को 160, 4 को 144, 5 को 147, 6 को 144, 7 को 227, 8 को 162 और नौ अक्टूबर को 174 दर्ज किया गया था। 10 और 11 अक्टूबर को सूचकांक पर्यावरण विभाग की बेवसाइट पर उपलब्ध नहीं है।
कहर टूटेगा दीपावली के बाद
हर साल दीपावली के बाद प्रदूषण के स्तर में काफी बढ़ोतरी होती है। अमूमन त्योहार नवम्बर के पहले सप्ताह में आ जाता था। लेकिन इस बार पर्व 14 नवम्बर का है। ऐसे में तब तक वैसे भी प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ जाएगा। क्योंकि अब पारे में निरंतर कमी हो रही है।
त्योहार पर आतिशबाजी होगी। इसके अलावा धान की कटाई-कढ़ाई भी तब तक चरम पर पहुंच जाएगी। किसान पराली जलाएगें। जो प्रदूषण बढ़ने का एक बड़ा कारण बनेगी। हालांकि रोहतक के किसान पराली नहीं जलाते हैं। लेकिन दूसरे जिले और साथ लगते पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं बहुत ज्यादा होती हैं। वहां का जहरीला धुंआ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली तक पहुंचता है। दिल्ली में तो 15 अक्टूबर से ग्रेप लागू कर दिया गया है। यह लागू होने के बाद जैनेरेटर दूसरे प्रदूषण फैलाने वाले कारकों पर रोक रहेगी।
ऐसे जानें एक्यूआई को
एयर क्वालिटी इंडेक्स की रेंज कब अच्छी, संतोषजनक, मध्यम, खराब और गंभीर मानी जाती है। अगर एक्यूआई 0-50 के बीच है तो अच्छा, 51-100 संतोषजनक, 101-200 मध्यम, 201-300 खराब, 301-400 बहुत खराब और 401-500 गंभीर होता है।
अमेरिका के हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट की ओर से जारी स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2017 रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल सूक्ष्म कणों के वायु प्रदूषण के कारण दुनिया में 42 लाख से अधिक लोग असमय मौत का शिकार हो रहे हैं। इनमें से 10.90 लाख मौत अकेले भारत में होती हैं। जबकि कोरोना वायरस से तक भारत में 109000 मौत अभी तक हुई हैं। आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो प्रदूषण कोराेना से भी ज्यादा खतरनाक है।
वर्जन:
इस बार दिवाली 14 नवम्बर को है। इसलिए प्रदूषण ज्यादा होगा। क्योंकि तब पारा काफी गिर चुका होगा और हवा की गति कम हो जाएगी। जिला प्रशासन ने पर्व पर प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों के प्रयोग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। - प्रो. राजेश धनखड़, पर्यावरण विज्ञान विभाग, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक
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