मिनी क्यूबा से कम नहीं हरियाणा का ये गांव, यहां के हैंडबॉल खिलाड़ियों ने 8 अंतरराष्ट्रीय, 75 राष्ट्रीय तथा 100 से अधिक राज्यस्तर पर पदक जीते

मिनी क्यूबा से कम नहीं हरियाणा का ये गांव, यहां के हैंडबॉल खिलाड़ियों ने 8 अंतरराष्ट्रीय, 75 राष्ट्रीय तथा 100 से अधिक राज्यस्तर पर पदक जीते
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लाडवा की धरती पर ऐसे हैंडबॉल खिलाडि़यों की पौध तैयार हुई, जिन्होंने न केवल भारत बल्कि विश्व में अपनी प्रतिभा का डंका बजवाया है।

शमशेर सैनी : हिसार

विश्व में बॉक्सरों की राजधानी के लिए विख्यात क्यूबा की तरह चाहे हिसार जिले के गांव लाडवा की जमीं प्रसिद्ध न हो लेकिन हैंडबॉल के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को तैयार करने के मामले में मिनी क्यूबा से कम भी नहीं है। लाडवा की धरती पर ऐसे हैंडबॉल खिलाड़ियों की पौध तैयार हुई, जिन्होंने न केवल भारत बल्कि विश्व में अपनी प्रतिभा का डंका बजवाया है। हैंडबॉल खिलाडि़यों की नर्सरी लाडवा में प्रशिक्षण लेकर संदीप पूनिया समेत अब तक 8 खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीयस्तर, 75 राष्ट्रीयस्तर तथा 100 से अधिक खिलाड़ी राज्यस्तर पर पदक जीत चुके हैं। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 23 जून को विश्व हैंडबॉल-डे तथा ओलंपिक-डे पर लाडवा गांव में विशेष आयोजन किया जा रहा है।

लाडवा के खिलाड़ी संदीप पूनिया, नवीन पूनिया, रवि पूनिया, अजय श्योराण, अमित शर्मा, नवीन पंघाल, खुशबू पूनिया, मोनिका पूनिया ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हैंडबॉल में अपना दमखम दिखाया है। इसके अलावा लाडवा की टीम ने अकेले कई राष्ट्रीय ओपन हैंडबॉल प्रतियोगिताओं हरियाणा सहित पड़ोसी राज्यों में भी परचम लहराया है। हरियाणा में एक मात्र गांव लाडवा जहां लड़के व लड़कियों दोनों ही टीमें बेहतरीन हैं।


दो दोस्तों ने बनाई हैंडबॉल खिलाडि़यों की फौज

विश्वस्तर प्रसिद्ध युवा कोच महावीर पूनिया तथा अशोक पूनिया ने हैंडबॉल में गांव लाडवा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। इस जोड़ी ने जिले, राज्य, राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भी ऑफिशियल की भूमिका निभाई। जिले व राज्य की हैंडबॉल टीमों के कोच, मैनेजर व कनिजेंटल इंचार्ज भूमिका भी निभाई है। दोनों की इच्छा अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैंडबॉल खिलाड़ी बनने की थी, लेकिन किसी कारण वश उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पाई। दोनों दोस्तों ने एक साथ फिजिकल एजुकेशन में डिग्री की और कोर्स किए। दोनों खुद अंतरराष्ट्रीयस्तर के खिलाड़ी नहीं बन पाए हो, लेकिन लाडवा की धरती से उन्होंने कई राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर के हैंडबॉल खिलाड़ी की फौज खड़ी कर दी।

दोनों हाथ से गोल करने में माहिर संदीप

संदीप पूनिया साउथ एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता हैं। संदीप ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जो दोनों हाथ से गोल करने में माहिर हैं। नवीन पूनिया एशियन खेलों में प्रतिभागिता साउथ एशियन में रजत पदक जीत चुके हैं। वर्तमान में वे आर्मी में कार्यरत है और हैंडबॉल कोच हैं। लाडवा की खुशबू पूनिया जूनियर एशियन हैंडबॉल चैंपियनशिप में भारतीय टीम की कप्तान रह चुकी है। अमित शर्मा तीन बार अंतरराष्ट्रीय 70 पर खेल चुके हैं तथा दो बार पदक भी जीत चुके हैं। मोनिका और रवि ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर अपनी पहचान बनाई है। लाडवा के खिलाडि़यों को हैंडबॉल का प्रशिक्षण कोच अशोक पूनिया और कोच महावीर पूनिया दे रहे हैं। लाडवा के खिलाडि़यों को तराशने में साई सेंटर के पूर्व हैंडबॉल कोच आरएस चहल, पूर्व जिला हैंडबॉल कोच सतपाल ढांडा, कोच जय भगवान पानू का उल्लेखनीय योगदान रहा है।

25 से ज्यादा खिलाडि़यों को मिली नौकरियां

लाडवा हैंडबाल फाउंडेशन (नर्सरी) से निकले 25 से ज्यादा खिलाड़ियों को नौकरी मिली तो कइयों का करियर चमकने के साथ आर्थिक मजबूती मिली है। हैंडबॉल खेल कोटे से जिले में सबसे अधिक लाडवा के खिलाड़ी सरकारी नौकारियों में अच्छे पदों पर आसीन है। गांव की 30 से अधिक बेटियां राष्ट्रीय स्तर पर खेलते हुए पदक जीतकर प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं। वर्ष 2010 में लड़कियों की हैंडबॉल की टीम तैयार की, जिसमें खुशबू पूनिया जूनियर एशियन में भारतीय टीम की कप्तान रही। देश तथा प्रदेश को कई राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैंडबॉल खिलाड़ी देने वाले कोच महावीर पूनिया तथा अशोक पूनिया की मेहनत का परिणाम है कि गांव के कई खिलाडि़यों को आर्थिक रूप से स्कॉलरशिप और कैश अवार्ड के रूप में लाखों रुपये मिले हैं और मिल रहे हैं।

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