देशभर में सुर्खियां बना था मामला : सीबीएसई टॉपर छात्रा से गैंगरेप के तीन आरोपी दोषी करार और पांच बरी, शुक्रवार को सुनाई जाएगी सजा

हरिभूमि न्यूज : रेवाड़ी
नारनौल में न्यायधीश मोना सिंह की स्पेशल अदालत ने कोसली क्षेत्र निवासी सीबीएसई टॉपर छात्रा गैंगरेप मामले में सुनवाई पूरी होने पर करीब तीन साल बाद आठ आरोपितों में से तीन को दोषी पाया तथा पांच को बरी कर दिया। अदालत ने दोषियों को सजा सुनने के लिए शुक्रवार का दिन निर्धारित किया है। सितंबर 2018 में हुई छात्रा के गैंगरेप का मामला देशभर में सुर्खियां बना था। जिसके बाद निशाने पर आई सरकार ने रेवाड़ी महिला थाना व कनीना थाना प्रभारियों को सस्पेंड करने के साथ रेवाड़ी के तत्कालीन एसपी राजेश दुग्गल का ट्रांसफर कर दिया था। इतना ही नहीं मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर जांच का जिम्मा नूंह की तत्कालीन एसपी नाजनीन भसीना को सौंपा गया था।
मामले के अनुसार 12 सितंबर 2018 को छात्रा घर से कनीना कोचिंग सेंटर गई थी। कनीना बस स्टैंड से पंकज फौजी, नीशू फोगाट व मनीष ने कार में उसे अगवा किया तथा पानी में नशीला पदार्थ पिलाकर खेतों में बने कोठड़े में उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इसके बाद उसे बेहोशी की हालत में कोठडे में छोड़कर फरार हो गए तथा मामले की सूचना छात्रा के परिजनों को दी। शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंचे परिजनों ने पुलिस पर सुनवाई नहीं हुई। मामला सुर्खियों में आने के बाद रेवाड़ी में जीरो एफआईआर दर्ज कर कनीना थाने में भेजी गई। किरकिरी के बाद सरकार ने रेवाड़ी महिला थाना प्रभारी व कनीना थाना प्रभारी को सस्पेंड कर एसपी राजेश दुग्गल का ट्रांसफर कर दिया।
मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर नाजनीन भसीन को जांच का जिम्मा सौंपा गया। घटना के चार दिन बाद पुलिस ने मुख्य आरोपित नीशू फौगाट को गिरफ्तार किया। इसके बाद पंकज फौजी, मनीष, नवीन, अभिषेक, मंजीत व संजीव के अलावा कोठड़ा मालिक दीनदयाल सहित आठ आरोपितों की गिरफ्तारी हुई। जिनमें से अदालत ने नीशू फौगाट, पंकज फौजी व मनीष को दोषी माना तथा बाकी को सबूतांे के अभाव में बरी कर दिया। दोषियों को अदालत शुक्रवार को सुना सुनाएगी।
अस्पताल में लगा था जमावड़ा
घटना के बाद पीड़िता को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। मामला हाईप्रोफाइल होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा सहित प्रदेश के अधिकतर नेता पीड़िता से मिलने अस्पताल पहुंचे थे। कई दिन अस्पता में भर्ती रहने के कारण अस्पताल परिसर कड़े सुरक्षा पहरे में रहा था।
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