पानीपत में दर्दनाक हादसा : सीवर लाइन सफाई के लिए टैंक में उतरे इंजीनियर सहित तीन युवाओं की ​दम घुटने से मौत

पानीपत में दर्दनाक हादसा : सीवर लाइन सफाई के लिए टैंक में उतरे इंजीनियर सहित तीन युवाओं की ​दम घुटने से मौत
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मृतकों में से एक की शिनाख्त नहीं हो पाई, पुलिस ने शवों को जांच के बाद पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भिजवाया है।

पानीपत। पानीपत के हुडा सेक्टर 23 स्थित टीडीआई में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में आ रही सीवर लाइन की सफाई के लिए टैंक में उतरे तीन लोगों की जहरीली गैस के दुष्प्रभाव से दम घुटने से मौत हो गई। मृतकों में से एक की शिनाख्त नहीं हुई है। थाना चांदनी बाग पुलिस ने तीनों शवों का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए पानीपत के सिविल अस्पताल भिजवाकर जांच शुरू कर दी है।

टीडीआई कंपनी, हुडा सेक्टर 23 में रिहायसी कालोनी बना रही है। कालोनी में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के टैंक में आने वाली सीवर लाइन जाम हो गई थी। सीवर लाइन खुलवाने के लिए कंपनी प्रशाासन ने शुक्रवार दोपहर को 18 वर्षीय जाहिद निवासी एल्डिको स्टेट वन के पीछे बनी मजदूरों की बस्ती, साइट इंजीनियर 24 वर्षीय सुमित मिटान पुत्र रणधीर निवासी गांव बडौली व एक अज्ञात व्यक्ति को बुलाया था। सबसे पहले इस्लाम टैंक के अंदर गया था, जब वह बाहर नहीं आया तो सुमित अंदर गया, इनके पीछे एक अज्ञात भी टैंक में उतरा था। जब काफी देर तक तीनों टैंक से बाहर नहीं आए तो कर्मचारियों की सूचना पर कंपनी के अधिकारी व थाना चांदनी बाग पुलिस मौके पर पहुंची।

पुलिस ने कड़े प्रयास कर टैंक के अंदर से इस्लाम व सुमित के साथ एक अज्ञात व्यक्ति का शव बरामद किया। पुलिस की सूचना पर मृतकों के परिजन रोते बिलखते अस्पताल पहुंचे। पुलिस की जांच में इस्लाम व सुमित की पहचान तो हो गई, लेकिन तीसरे व्यक्ति की शिनाख्त नहीं हो पा रही है। इधर, इस्लाम व सुमित की मौत से उनके परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। वहीं पानीपत पुलिस प्रवक्ता अनिल ने बताया कि इस मामले की जांच की जा रही है। जांच के बाद ही पूरे घटनाक्रम का पता चलेगा, इसके बाद ही पुलिस इस मामले में आगे की कार्रवाई करेगी।

मिथेन गैस के दुष्प्रभाव से हुई होगी मौत

टीडीआई के ट्रीटमेंट प्लांट का टैंक उपर से बंद था, हवा यानि ऑक्सीजन का आवागमन नहीं होने के कारण टैंक के अंदर मिथेन गैस बन गई, मिथेन बहुत ही जहरीली गैस है और इंसान के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है, यानि मिथेन गैस के दुष्प्रभाव से इंसान का शरीर तेजी से काम करना बंद कर देता है, जबकि दिमाग काम करता रहता है, लेकिन मिथेन गैस के दुष्प्रभाव से पीड़ित इंसान स्वयं के लिए शारीरिक रूप से कुछ नहीं कर पाता, जैसे जैसे मिथेन का दुष्प्रभाव शरीर पर बढता है, उसी तर्ज पर पीड़ित के फेफड़े काम करना बंद कर देते है और उसकी दम घुटने से मौत हो जाती है।

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