Tokyo Olympics : Wrestling में बेलारूस की खिलाड़ी से हारी जींद की अंशु मलिक, अभी भी पदक की उम्मीद

हरिभूमि न्यूज : जींद
जींद के गांव निडानी की कुश्ती खिलाड़ी अंशु मलिक ( Wrestling player Anshu Malik ) बुधवार को टोक्यो ओलंपिक खेलों ( Tokyo Olympic ) में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए पहली बार मैट पर उतरी। सुबह आठ बजकर 36 मिनट पर उनका मुकाबला 57 किलो भार वर्ग के लिए बेलारूस की इरीना कुराचकिना से हुआ। हालांकि उन्हें इस मैच में हार का सामना करना पड़ा लेकिन भारत के लिए उनके मेडल लाने की उम्मीद अभी टूटी नहीं है।
परिजनों ने घर पर ही देखा मैच, कहा नहीं है कोई चिंता की बात
अंशु के मैच को लेकर परिजन बहुत उत्साहित थे। सुबह ही घर के सभी परिजन मैच देखने के लिए एक कमरे में एकत्रित हो गए जहां बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई। जैसे ही अंशु का मैच शुरू हुआ उससे पहले ही परिजनों ने उनकी जीत के लिए प्रार्थना करनी शुरू कर दी। जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ता गया वैसे-वैसे परिजनों की धड़कनें भी बढ़ती गई। केवल चार मिनट में ही मैच का नतीजा सामने आ गया और अंशु को हार का सामना करना पड़ा। अंशु के पिता धर्मबीर ने बताया कि उनकी बेटी के साथ हर रोज बात हो रही है और आज भी बात हुई है। उन्होंने बेटी से कहा कि उसे किसी भी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है और अगले मैच में मैट पर खुलकर खेलना है। हर हाल में मैच में अपना बेस्ट देना है। किसी भी बात की कोई सोच नहीं करनी है।
जूनियर होते हुए भी खेली सीनियर नेशनल
अंशु ने जींद के गांव निडानी से कुश्ती की शुरूआत की थी। अंशु मलिक ने दो साल पहले जूनियर वर्ग में होते हुए भी सीनियर नेशनल खेला और गोल्ड मेडल जीता था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। वो एक के बाद एक जीत दर्ज करते हुए 57 किलो भार वर्ग में देश की नंबर वन पहलवान भी बनी। अंशु मलिक लगातार अपनी उपलब्धियों का परचम लहरा रही थी। इसी के चलते उनका चयन ओलंपिक के 57 किलोग्राम भार वर्ग के लिए हुआ।
अभी भी अंशु से हैं पदक की उम्मीदें
महिला कैटेगरी में अंशु मलिक प्री क्वार्टर फााइनल में बुधवार को बुलगारिया की इरियाना कुराचकिना से हार गई हैं। कुराचकिना सेमीफाइनल में पहुंच गई हैं। अगर वे फाइनल में जाती हैं तो अंशु रेपचेज राउंड में प्रवेश कर जाएंगीं। जहां उनके पास ब्रॉज मेडल जीतने का मौका होगा। कुश्ती में फाइनल में पहुंचने वाले पहलवानों ने जिन प्रतिद्वंदियों को हराया होता है उनके बीच ब्रॉज मेडल के लिए मुकाबला होता है। इसे ही रेपचेज राउंड कहते हैं। ऐसे में मेडल की उम्मीदें अभी बाकि हैं।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS