Tokyo Olympics : रवि दहिया ने 41 सालों का इंतजार किया खत्म

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
ओलंपिक में 41 सालों से मेडल का इंतजार कर रहे गांव नाहरी के ग्रामीणों के लिये रवि दहिया पहले भी आंखों का तारा था, लेकिन अब रवि के लिए हर एक ग्रामीण मंगल कामनाएं करता थक नहीं रहा। फाइनल में रवि दहिया ने ओलंपिक में रजत हासिल कर लिया है।
गांव में जश्न का माहौल है, चारों तरफ खुशियां ही खुशियां दिखाई दे रही है। इन्हीं खुशियों के बीच ग्रामीण बताते हैं कि गांव को ओलम्पिक मेडल का इंतजार 41 सालों से हैं। क्योंकि 41 साल पहले गांव का एक पहलवान ओलंपिक तक पहुंचा जरूर था, लेकिन मेडल नहीं जीता पाया। इसके बाद फिर एक पहलवान ओलंपिक में गया था, लेकिन वो भी खाली हाथ ही लौटा था। अब रवि दहिया ने फाइनल में रजत पदक जीतकर गांव की झोली भर दी है। ग्रामीण मानते हैं कि रवि के मेडल जीतने के बाद गांव के वारे न्यारे हो जाएंगें। सरकार के नुमाइंदें आएंगें तो दिल्ली बॉर्डर पर बसे इस गांव की कई तरह की समस्याओं का खात्मा भी होगा।
1980 से है ओलंपिक पदक इंतजार
टोक्यो ओलंपिक में फ्री-स्टाइल कुश्ती के लिए 57 किलोग्राम भारवर्ग में चुने गए गांव नाहरी निवासी रवि दहिया सोनीपत जिले के गांव नाहरी के रहने वाले हैं। इस गांव से उनसे पहले महाबीर सिंह 1980 व 1984 में ओलंपिक में हिस्सा ले चुके हैं। लेकिन इन दोनों ही बार महाबीर सिंह को निराशा ही हाथ लगी थी। महाबीर सिंह के बाद अमित दहिया ने भी 2012 में ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया था। लेकिन अमित दहिया भी पदक जीतने में कामयाब नही हो पाए थे। अब 41 सालों बाद ग्रामीणों का ओलंपिक मेडल का सपना पूरा हुआ है।
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