Tokyo Olympics : खीर-चूरमा खिलाकर बेटे का स्वागत करेंगी रवि दहिया की मां

Tokyo Olympics : खीर-चूरमा खिलाकर बेटे का स्वागत करेंगी रवि दहिया की मां
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टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में सोनीपत के गांव नाहरी निवासी पहलवान रवि दहिया (Ravi Dahiya) ने रजत पदक हासिल किया है। गुरुवार को पूरे गांव में जश्न का माहौल रहा।

सोनीपत। टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में सोनीपत के गांव नाहरी निवासी पहलवान रवि दहिया (Ravi Dahiya) ने रजत पदक हासिल किया है। उन्हें पुरुषों के 57 किलोग्राम फ्रीस्टाइल (men's Freestyle 57Kg) कैटेगरी में रूस (Russia) के जावुर युगुऐव (Zavur Uguev) ने 4-7 से हरा दिया। जिसके बाद उन्हें सिल्वर (Silver medal) से संतोष करना पड़ेगा। नाहरी गांव का लाल रवि दहिया के मैच के दौरान पूरा गांव टीवी स्क्रीन से मानो चिपका हुआ था। रवि के घर के बाहर लोगों का तांता लग गया। कुछ लोग बाहर ढोल-नगाड़ों पर नाचते रहे तो कुछ लोग अंदर जाकर रवि के परिजनों का मुंह मीठा करते रहे।

रवि की मां उर्मिला ने कहा कि जब उनका बेटा घर आएगा तो उसका भव्य स्वागत किया जाएगा। उसे चूरमा और खीर बहुत पसंद है। वह उसे चूरमा और खीर बनाकर खिलाएगी। उसकी मौसी रिंकी और चाची ने कहा कि जब वह मेडल लेकर आएगा तो उसका भव्य स्वागत किया जाएगा। वहीं उसके पापा राकेश और चाचा अनिल के साथ-साथ राजेश ने कहा कि उनके बेटे के रजत पदक जीतने से वे बहुत खुश हैं, हालांकि उन्हें गोल्ड की उम्मीद थी।

दादी को कहा था अभी मरना नहीं, गोल्ड लेकर आउंगा

रवि की दादी सावित्री ने कहा कि जब रवि ओलंपिक खेलने गया था तो वह यह कह कर गया था कि दादी अभी मरना नहीं वह गोल्ड मेडल लेकर आएगा और उसे जश्न में शामिल होना है। मैंने अपने पोते को बचपन से ही दूध और घी खिलाकर पहलवान बनाया है और उसी का नतीजा है कि आज वह देश का नाम रोशन कर रहा है। सावित्री ने कहा कि रवि ने 7 साल की उम्र से ही कुश्ती खेलना शुरू कर दिया था। उसका पिता यानि मेरा बेटा राकेश भी कुश्ती खेलना चाहता था, लेकिन परिवार के हालात ठीक नहीं थे। लेकिन अब मेरे बेटे का सपना मेरा पौता पूरा कर रहा है।


जश्न मनाते रवि दहिया के परिजन।




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