भव्य कार्यक्रम कर किन्नरों ने गोद ली बेटी, फिर हुआ कुछ ऐसा पुलिस लेकर मौके पर पहुंचा बाल अधिकार संरक्षण आयोग

हरिभूमि न्यूज. नरवाना
किन्नर समाज द्वारा गोद ली गई बेटी के मामले पर हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बैंदा बुधवार दोपहर रेश्मा माई के डेरे पर पहुंची और बेटी गोद प्रक्रिया को गैर कानूनी बताया और पुलिस एवं विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
गौरतलब है कि करीब डेढ़ महीने की नवजात बच्ची को किन्नर समाज की प्रमुख रेश्मा माई ने गोद लिया था। इस दौरान एक भव्य कार्यक्रम व हवन यज्ञ का आयोजन किया गया था। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन को जानकारी मिली और वे स्वयं अधिकारियों की टीम के साथ बुधवार को नरवाना स्थित रेश्मा माई के डेरे पर पहुुंची। विभाग का कहना है कि बेटी के माता-पिता की रजामंदी के बगैर गोद लिया गया है लेकिन रेश्मा माई का कहना है कि मां-बाप की इजाजत से बेटी गोद ली है और कानूनी कार्रवाई जारी है। रेश्मा माई ने कहा कि एक ओर तो बेटियों कोख में मार दिया जाता है लेकिन किन्नर समाज ने तो बेटी को अपनाकर एक अच्छा कार्य किया है। आयोग की चेयरपर्सन ने स्पष्ट कहा कि किन्नर समाज बेटी को गोद नही ले सकता। अब देखना यह है कि बेटी की गोद प्रक्रिया कैसे होगी या फिर भी आयोग बेटी को अपने साथ लेकर जाएगा।
बच्ची का गोदनामा पूर्णतया गैर कानूनी : ज्योति बैंदा
आयोग चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने डेरा पर मौजूद रेश्मा माई सहित गोद दिलवाने वाले परिजनों से भी बातचीत की। संपूर्ण जानकारी लेने के बाद चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने बताया कि तथाकथित गोद ली बच्ची का गोदनामा पूर्णतया गैर कानूनी पाया गया है। मामले से संबंधित सभी दस्तावेज आधे अधूरे है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि मंगलमूखी समाज को किसी बच्चे को गोद लेने का अधिकार एवं प्रावधान कानूनी में नहीं है। लिहाजा तथाकथित गोदनामा की प्रक्रिया पूरी रूप से गैर कानूनी है और यह मामला माता- पिता एंव अभिभावकों की रजामंदी के खिलाफ बच्चे को बंधक बनाकर रखने का है। मामले पर कड़ा संज्ञान लेते हुए चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने स्पष्ट निर्देश दिए कि बच्ची को यथाशीघ्र उनके माता-पिता को सौंप दिया जाए। उन्होंने यहां स्पष्ट किया कि पूछताछ में मौजूद समाज व अन्य लोगों ने बच्ची के माता-पिता को फिलहाल अमदाबाद रहते हुए बताया, इसलिए जब तक माता-पिता नहीं आते तब तक बच्ची को नजदीकी बाल आश्रम में रखा जाए।
बेटी के साथ किन्नर रेश्मा।
नवजात या नाबालिग बच्चे को अभिभावक से अलग रखना गैर कानूनी : ज्योति बैंदा
ज्योति बैंदा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि किसी भी नवजात या नाबालिग बच्चे को उसके अभिभावक, माता-पिता से दूर करना कानूनी तौर पर बाल तस्करी, अपहरण एवं बंधक बनाए रखने का कड़ा जुर्म माना जाता है और इसके लिए बच्चे के माता-पिता, गैर कानूनी तौर पर तथाकथित गोदनामा करवाने वाले अभिभावक तथा बिचौलियों के खिलाफ आयोग एवं कानूनी सख्त कार्यवाही करने का आख्तियार रखता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के मामले अंत्यत गंभीर माने जाते है क्योंकि बच्चे को प्राकृतिक रूप से मानसिक एवं बौद्धिक विकास की अवस्था एवं सहुलियत नहीं मिल पाती, इसे कानूनी तौर पर बाल शौषण भी कहा जाता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि गोदनामा करवाना एवं कानूनी प्रक्रिया है, इसके लिए दोनों पक्षों की रजामंदी एवं कानूनी प्रक्रिया पूरी होनी जरूरी है। उन्होंने जिला बाल संरक्षण अधिकारी को निर्देश दिए कि इस बच्ची को तुरंत कथित डेरा से मुक्त कर अपने कब्जे में लें और बच्ची के माता-पिता से संपर्क होने तक नजदीकी बाल आश्रम में इसकी परवरिश सुनिश्चित करवाएं। मामले में ढ़िलाई एवं कोताही सहन नहीं की जाएगी। मौके पर ही चेयरपर्सन ने डेरे में मौजूद एक अन्य छह वर्षीय बच्चे को भी पूछताछ के बाद संबंधित अधिकारियों को उसके माता-पिता के पास भिजवाने के निर्देश दिए।
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