किसानों पर आफत : चितकबरी सुंडी की चपेट में गेहूं की फसल

किसानों पर आफत : चितकबरी सुंडी की चपेट में गेहूं की फसल
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इस वक्त जो गेहूं की बालियों पर सुंडी चिपी हुई है। वह सुंडी गेहूं की बालियों में बन रहे दाने को चट करना शुरू करती है। वह उस दाने को जब तक खाती है। तब तक वह खत्म न हो जाए।

हरिभूमि न्यूज.भिवानी

मौसम के मिजाज में आए एकदम परिवर्तन की वजह से गेहूं की फसल को भी कीड़ों ने अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। पारा बढने व बादलवाई के चलते गेहूं की बालियों में किसी में दो तो किसी पर तीन सुंडियां चिपकी हुई है। वे जब तक उक्त बलियां पर लगी रहती है। जब तक बलिया सूखने न लग जाए। यह स्थिति पूरे इलाके में बनी हुई है। कीड़ों के आक्रमण के चलते किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें से उभरने लगी है। चूंकि पहले प्रकृति की मार तो अब कीड़ों की मार ने उनको खेती से तौबा करने पर मजबूर कर दिया है।

होली से पहले पारा एकदम 30 डिग्री सेल्सियस से उपर होने की वजह से फसलों को अनेक बीमारियों ने जकड़ना शुरू कर दिया है। पहले सरसाें की फसल पर चेपा बीमारी आई, लेकिन ज्यादा तापमान की वजह से फसल की तैयार हो गई। किसानों ने तैयार सरसों की फसल की कटाई करनी शुरू कर दी। अब कीड़े ने गेहूं की फसल पर धावा बोल दिया। गेहूं की फसल में अब दाना बनना शुरू हो गया है। अगर मौसम ठीक.ठाक रहा तो करीब तीन सप्ताह में गेहूं की फसल पूरी तरह से तैयार हो जाएगी। माना जा रहा है कि होली पर्व के आसपास गेहूं की कटाई शुरू हो जाएगी। पर फिलहाल मौसम में आए एकदम बदलाव की वजह से किसानाें के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी। बदलते मौसम की वजह से गेहूं की फसल में कीड़े लग चुके हैं। ऐसी कोई बालियां नहीं है। जिस पर कीड़ा का नुकसान न हो। कीड़ों का ज्यादा प्रकोप होने की वजह से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढने लगी है।

पूरे दाने को खत्म करने के बाद दूसरे दाने को खाना करती है शुरू

इस वक्त जो गेहूं की बालियों पर सुंडी चिपी हुई है। वह सुंडी गेहूं की बालियों में बन रहे दाने को चट करना शुरू करती है। वह उस दाने को जब तक खाती है। तब तक वह खत्म न हो जाए। उसके बाद बालिया का वह हिस्सा सूखने लगता है। एक दाना खाने के बाद सुंडी अगले दाने को खाना शुरू कर देती है। एक सुंडी बड़े आराम से दिन में दो से तीन दानों को खा जाती है। यह सुंडी दिन.रात लगातार दानों को चट करती रहती है। साथ ही इसकी संख्या भी बढ़ती रहती है। अगर इसकी रोकथाम नहीं की जाती तो गेहूं की फसल में मोटा नुकसान कर सकती है।

बालिया सूखने पर लगता है नुकसान का पता

किसानों ने बताया कि शुरू में कीड़े के नुकसान का पता नहीं लग पाता। जब गेहूं की फसल पक कर तैयार हो जाती है। तब पता चलता है कि कितना नुकसान हुआ है। चूंकि अभी गेहूं की बालियां सूखती नहीं। जब फसल पक कर तैयार होती है। तब बालियाें से दाना गायब मिलता है। जिसकी वजह से गेहूं की औसतन पैदावार में काफी कमी आती है। किसानों ने बताया कि अगर शीघ्र कीड़े की रोकथाम नहीं की गई तो उनको मोटा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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