Shani Jayanti 2021 : शनि जयंती पर इस बार बन रहे हैं दो शुभ योग, जानें पूजा विधि

हरिभूमि न्यूज : भिवानी (तोशाम)
अबकी बार शनि जयंती के अवसर पर दो शुभ योग बन रहे हैं, इन योगों में किए गए कार्यों में सफलता मिलती है। यह जानकारी देते हुए छपारिया हनुमान मंदिर के पुजारी पं. रामकिशन शर्मा गोवर्धन-मथुरा वाले ने बताया कि हिंदू धर्म में हर साल जयेष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। क्योंकि मान्यता अनुसार न्याय के देवता व भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र शनि देव का जन्म इसी दिन हुआ था। इसलिए अबकी बार यह शनि जयंती जयेष्ठ मास की अमावस्या 10 जून गुरुवार को मनाई जाएगी।
इस बार शनि जयंती के मौके पर शूल व धृति योग बन रहे हैं। उन्होंने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शूल व धृति योग को शुभ माना जाता है। इस दौरान शुभ मांगलिक कार्य किए जाते हैं, इन योगों में किए गए कार्यों में सफलता मिलने की मान्यता है। उन्होंने बताया कि अबकी बार शनि जयंती के दिन इस वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। हालांकि भारत में यह पूर्ण सूर्यग्रहण न होकर आंशिक होगा, जिसके कारण ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। यह सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग, यूरोप और एशिया में आंशिक तौर पर दिखेगा वहीं उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रूस में इसे पूर्ण रूप से देखा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि सूर्य ग्रहण का सबसे ज्यादा असर वृषभ राशि पर देखने को मिलेगा इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि पर संचार करेगा। ऐसे में इस राशि के जातकों को अपनी सेहत का ध्यान रखना होगा। इसके अलावा पैसों के मामलों में भी सावधानी बरतनी होगी, सूर्य ग्रहण के दौरान मृगशिरा नक्षत्र रहेगा। 10 जून गुरुवार को सूर्य ग्रहण दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से शुरू होगा जो कि शाम 6 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा।
शनि जयंती शुभ मुहूर्त एवं ग्रहों की स्थिति
पं. रामकिशन शर्मा ने बताया कि 9 जून बुधवार को अमावस्या तिथि दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से शुरू होगी और 10 जून गुरुवार को शाम 4 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि 10 जून को प्राप्त हो रही है ऐसे में शनि जयंती या शनिदेव का जन्मोत्सव 10 जून को मनाया जाएगा। 11 जून को चंद्रमा देर रात 1 बजकर 10 मिनट तक रहेगा, इसके बाद मिथुन राशि पर संचार करेगा। सूर्य वृषभ राशि पर रहेगा, इस दिन सूर्य नक्षत्र मृगशिरा और नक्षत्र रोहिणी रहेगा।
शनिदेव की पूजा विधि
शनि जयंती के पावन दिवस पर सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं, घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। इस वर्ष कोरोना महामारी की वजह से घर में रहकर ही शनिदेव की पूजा-अर्चना करें, शनि चालीसा का पाठ करें। अगर संभव हो सके तो इस दिन व्रत भी रखें। इस पावन दिवस पर दान भी करें धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है। पं. रामकिशन शर्मा के अनुसार शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बुजुगार्ें का सम्मान और गरीबों की मदद करने से भी शनि देव की कृपा होती है। उन्होंने बताया कि शनि दोष की शांति के उपाय के लिए जयेष्ठ मास की अमावस्या शनि जयंती का दिन बेहद ही शुभ दिन होता है।
शनि जयंती पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव
पंडित रामकिशन शर्मा ने बताया कि इस बार शनि जयंती पर साल का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पिता सूर्य और पुत्र शनि आपस में शत्रु माने जाते हैं। शनि देव की जन्म तिथि अमावस्या शनि जयंती पर सूर्य ग्रहण होना अशुभ फल देने वाला माना जाता है। हालांकि इस ग्रहण का असर भारत के लोगों पर तो नहीं पड़ेगा, लेकिन इससे प्राकृतिक आपदाएं और दुर्घटनाएं होने की आशंका है।
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