Breaking News : मारकंडा नदी के नजदीक दो बम मिले

Breaking News : मारकंडा नदी के नजदीक दो बम मिले
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दो शैलों को निष्क्रिय करने के बाद बम निरोधक दस्ते ने मारकंडा नदी में सर्च अभियान चलाया तो इस दौरान नदी में से तीन अन्य शैल भी बरामद हुए। दस्ते ने इन्हें भी निष्क्रिय कर दिया।

हरिभूमि न्यूज. कुरुक्षेत्र/शाहबाद

शनिवार को शाहबाद क्षेत्र के गांव पाडलू-पंजेल में मारकंडा नदी के समीप बलबीर सिंह के खेतों में 5 जिंदा बम शैल मिले। इन शैलों को बम निरोधक दस्ते ने विस्फोट कर निष्क्रिय किया। बम निरोधक दस्ते का नेतृत्व डा. परमिला एसएसओ व एडी सीआईडी हरियाणा कर रहीं थीं।

जानकारी के मुताबिक अमनदीप सिंह राइडर निवासी पाडलू शनिवार को पाडलू व पंजेल में स्थित अपने खेतों की ओर जा रहे थे तो रास्ते में मारकंडा नदी में दो बम शैल दिखाई दिए। जिस पर अमनदीप सिंह ने इसकी जानकारी सीआईडी शाहाबाद में प्रवीन कुमार आर्य को दी और प्रवीन आर्य ने यह सारा मामला थाना प्रभारी प्रतीक कुमार को बताया। मामले की जानकारी मिलते ही थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे। जहां सामने आया कि यह कार्य क्षेत्र अंबाला पुलिस का है। जिस पर अंबाला पुलिस को सूचना दी गई।

सूचना मिलते के बाद अंबाला पुलिस मौके पर पहुंची और उसके बाद बम निरोधक दस्ता मौके पर पहुंचा। तत्पश्चात इन शैलों को निष्क्रिय करने की कार्रवाई अम्ल में लायी गई। दस्ते के सदस्य ने शैलों की वायरिंग कर रिमोर्ट के साथ इन शैलो में विस्फोट कर इन्हें निष्क्रिय किया। दोनों शैलों के विस्फोट के समय बड़ा धमाका हुए। शैलाें के विस्फोट से पूर्व इन्हें गहरे गड्ढे में रखा गया ताकि किसी तरह का नुकसान न हो सके। इस दौरान पब्लिक को दूर हटा दिया गया। इन दो शैलों को निष्क्रिय करने के बाद बम निरोधक दस्ते ने मारकंडा नदी में सर्च अभियान चलाया तो इस दौरान नदी में से तीन अन्य शैल भी बरामद हुए। दस्ते ने इन्हें भी निष्क्रिय कर दिया।

वहीं नदी में बम मिलने की सूचना आस-पास के गांवों में आग की तरह फैल गई और बड़ी संख्या में लोग शैलों को देखने के लिए मारकंडा नदी में पहुंचने लगे। बम निरोधक दस्ते के पहुंचने से मिले इन शैलों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था और बाद में दस्ते ने बताया कि यह बम खतरनाक हो सकते हैं जिस पर जनता को पीछे हटाया गया। अंदेशा जताया जा रहा है कि 30 साल पहले अंबाला से सेना यहां अभ्यास करने के लिए आती थी। वे कई तरह के अभ्यास करती थी, जिसमें गोलाबारी भी की जाती थी। मारकंडा नदी का क्षेत्र पूरा खाली था। ये सेना के भी हो सकते हैं, जो चलने के बाद फटे न हों।

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