Grahan : साल 2021 में मई व दिसंबर के बीच लगेंगे दो चंद्र व दो सूर्य ग्रहण

कुलदीप शर्मा : भिवानी
साल 2021 के आगमन हो चुका है। नया साल शुरू होते ही व्रत और त्योहारों का सिलसिला भी शुरू हो गया है । इसके साथ ही नए साल में चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण भी लगेंगे। साल 2021 में मई से दिसंबर के बीच 4 ग्रहण लगेंगे। दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण होंगे। पंडित कृष्ण कुमार बहल वाले ने बताया कि पहला खग्रास चंद्रग्रहण 26 मई को होगा। दूसरा कंकण सूर्य ग्रहण 10 जून को, तीसरा खंडग्रास चंद्रग्रहण 19 नवंबर को और चौथा खग्रास सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर को लगेगा। इनमें से अंतिम 4 दिसंबर वाला ग्रहण भारत में बिल्कुल दिखाई नहीं देगा जबकि पहले 3 पूर्वी भारत में दिखाई देंगे। उन्होंने बताया कि दो सुर्य ग्रहण तथा दो चंद्र ग्रहण होने से
26 मई को लगेगा पहला चंद्र ग्रहण
साल 2021 का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को लगेगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। यह भारत में एक उपछाया ग्रहण के तौर पर देखा जा सकेगा। नागालैंड, मिजोरम, असम, त्रिपुरा, पूर्वी उड़ीसा, अरुणाचल, पश्चिम बंगाल में लोग इस ग्रहण को देख पाएंगे। भारत के उत्तर पूर्वी भागों में चंद्रोदय के समय जब ग्रहण का मोक्ष हो रहा होगा उस समय यह ग्रहण दिखेगा।
दूसरा कंकण सूर्य ग्रहण
यह कंकण सूर्य ग्रहण 10 जून को पड़ेगा। भारत के कुछ ही भागों में यह ग्रहण आंशिक रूप से दिखाई पड़ेगा। पूर्वोत्तर में अरुणाचल के कुछ भागों में और जम्मू-कश्मीर के कुछ भागों में ग्रहण समाप्त होने से पहले कुछ समय के लिए देखा जा सकता है। देश के अन्य भागों में यह ग्रहण दृश्य नहीं होगा। इसके अलावा यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग, यूरोप और एशिया में आंशिक, उत्तरी कनाडा, रूस और ग्रीनलैंड में पूर्ण रूप से दिखाई पड़ेगा।
तीसरा खंडग्रास चंद्रग्रहण - साल का तीसरा खंडग्रास चंद्र ग्रहण 19 नवंबर दोपहर करीब 11:30 बजे लगेगा जो कि शाम 5:33 बजे समाप्त होगा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। इस दिन चंद्रमा ग्रहण के साथ उदित होगा और उदय के कुछ पल बाद ही ग्रहण समाप्त हो जाएगा।
चौथा खग्रास सूर्य ग्रहण - आखिरी व दूसरा सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर को होगा, जो भारत में नहीं देखा जा सकेगा। यह अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया में दिखाई पड़ेगा। 2021 का पहला चंद्रग्रहण 26 मई को, भारत में एक उपछाया ग्रहण के तौर पर देखा जा सकेगा।
इस प्रकार लगता है चंद्र ग्रहण व सूर्य ग्रहण
जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आती है तो उसे चंद्र ग्रहण कहते हैं। इस दौरान पृथ्वी की छाया से चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक जाता है और एक सीधी रेखा बन जाती है, इस स्थिति में पृथ्वी सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक नहीं पहुंचने देती है लेकिन 'उपछाया चंद्र ग्रहण' या 'पेनुमब्रल' के दौरान चंद्रमा का बिंब धुंधला हो जाता है और वो पूरी तरह से काला नहीं होता है इस वजह से चांद थोड़ा 'मलिन रूप' में दिखाई देता है। चंद्र ग्रहण हमेशा 'पूर्णिमा' को लगता है। इसी प्रकार भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चांद पृथ्वी की। कभी-कभी चांद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर अंधेरा फैल जाता है। इस घटना को 'सूर्य ग्रहण' कहा जाता है।
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