जानिए कौन हैं उदयभान, जो बन सकते हैं हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष

धर्मेंद्र कंवारी : रोहतक
इन दिनों हरियाणा में एक नाम काफी चर्चा में है, और वो नाम है उदयभान का। कांग्रेस में आजकल उठापटक काफी चल रही है, प्रशांत किशोर का मामला तो निपट गया लेकिन हरियाणा और पंजाब में काफी कुछ चल रहा है। हरियाणा में बहुत जल्दी कांग्रेस अध्यक्ष बदलने वाला है, कुछ चर्चा है कि पावर कुलदीप बिश्नोई के हाथ जाने वाली है, कोई कहता कि भूपेंद्र हुड्डा अध्यक्ष बन सकते हैं।
हरियाणा में कांग्रेस की सत्ता किसके हाथ आएगी ये तो राम जाने या फिर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी। लेकिन एक नाम हरियाणा की राजनीति में चर्चा में आ गया है और ये नाम है उदयभान का। उदयभान होडल से विधायक रहे हैं और ऐसी चर्चाएं हैं कि इनको प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। कहने को तो हरियाणा में कांग्रेस पार्टी एक है लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा इनको आगे करना चाहते हैं फूल चंद मुलाना की तरह। अब अगर उदयभान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष या कार्यकारी अध्यक्ष बनते हैं तो मानेंगे तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ही लेकिन इनका अपना भी एक इतिहास है, जो इनके साथ चर्चा में आएगा ही।
क्या है आया राम-गया राम वाली कहानी
आपने राजनीति में एक शब्द हमेशा सुना होगा आया राम-गया राम का। पुराने लोग तो कहानी जानते हैं लेकिन नए लोगों को पता नहीं है इसलिए ये कहानी आपको बता देते हैं। ये कहानी असल में उदयभान के घर से ही शुरू हुई थी। हुआ ये था कि हरियाणा बनने के बाद 1967 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में चौधरी गया लाल हसनपुर सुरक्षित सीट ( अब होडल) से निर्दलीय एमएलए बने थे। राजनीति में वो दौर निष्ठाएं बदलने का दौर था। कई सरकारें बनीं लेकिन विधायकों के पाला बदलने की कहानियां चलती रही हैं। चौधरी गया लाल भी कई बार इधर से उधर हुए। हरियाणा के राजनीतिक संदर्भ को लेकर संसद में "आया राम-गया राम' वाक्य का खूब इस्तेमाल हुआ और 'गया' शब्द गया लाल के लिए माना गया।
1967 में पंडित भगवत दयाल शर्मा की वजह से गया लाल को कांग्रेस का टिकट नहीं मिला था लेकिन वो निर्दलीय ही जीते। कांग्रेस को समर्थन दिया लेकिन कांग्रेस ने भगवत दयाल शर्मा को सीएम बनाया तो उन्होंने समर्थन वापस ले लिया। फिर राव बीरेंद्र सिंह ( राव इंद्रजीत के पिता ) ने संयुक्त विधायक दल बनाकर सरकार बना ली। गया लाल ने उन्हें समर्थन दे दिया। नौ घंटे बाद उनका मन फिर बदला और गया लाल फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए। कहते हैं कि गया लाल ने एक ही दिन में 3 बार अपनी पार्टी बदली थी। बाद में राव बीरेंद्र सिंह विधायक गया लाल को लेकर जब प्रेस वार्ता करने के लिए चंडीगढ़ पहुंचे तो उन्होंने पत्रकारों को बताया कि 'गया राम अब आया राम हैं।' राव बीरेंद्र सिंह के इस बयान ने बाद में 'आया राम गया राम' कहावत का रूप ले लिया और देशभर में जब भी नेताओं के दल बदल की खबरें आई तो इसी कहावत का इस्तेमाल हुआ। हरियाणा की पहली विधानसभा में 'आया राम गया राम' की रवायत ऐसी रही कि बाद में विधानसभा भंग कर राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा और 1968 में फिर से विधानसभा चुनाव कराने पड़ गए। गयालाल 1977 में चौ. चांदराम के साथ जनता पार्टी में गए और चुनाव जीता। बाद में भजनलाल कई विधायक लेकर दल बदल गए। 1982 में कांग्रेस का टिकट नहीं मिला तो गया लाल फिर से आजाद जीते और बाद में चौधरी चरण सिंह के साथ लोकदल में चल गए।
चार बार विधायक बने थे उदयभान
गया लाल के बेटे एवं होडल सुरक्षित सीट से कांग्रेस विधायक रहे उदयभान मानते हैं कि उनके पिता ने कभी पार्टी या निष्ठा नहीं बदली, उनको बेवजह बदलाम किया गया है। खुद उदयभान चार बार विधायक बन चुके हैं और अब उनका नाम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने की दौड़ में है। बनेंगे या नहीं ये तो वक्त बताएगा लेकिन उदयभान को चर्चाओं में ला ही दिया है। उदयभान का परिवार वैसे पुराने समय से ही राजनीति में है। उदयभान के दादा चौधरी धर्मसिंह 1928 से 1942 तक होडल नगर पालिका के प्रधान रहे हैं। चौधरी गयालाल भी प्रधान रहे। उदयभान खुद चार बार 1987 में हसनपुर से और 2000, 2005 व 2014 में पलवल जिले की होडल विधानसभा से विधायक रह चुके हैं। दलित परिवार में जन्मे उदय भान गया लाल की राजनीति के वारिस हैं।
शैलजा और अशोक तंवर भी हैं दलित
पूर्व विधायक उदयभान अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं। बात यह है कि पार्टी की वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष शैलजा और लंबे समय तक प्रदेश की जिम्मेदारी संभालने वाले पूर्व मंत्री फूलचंद मुलाना, कांग्रेस पार्टी को बाय-बाय करने वाले वर्तमान आप के नेता अशोक तंवर भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और यह सभी अनुसूचित जाति से संबंध रखते थे। इस तरह से गीता भुक्कल और उदय भान दोनों ही नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी हैं। पार्टी हाईकमान जातिगत समीकरणों के अलावा भी अन्य कुछ नामों पर विचार कर रहा है।
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