अल्ट्रासाउंड सेवा ठप : सोनोलॉजिस्ट छुट्टी पर जाने से मरीजों को झेलनी पड़ रही कठिनाई

अल्ट्रासाउंड सेवा ठप : सोनोलॉजिस्ट छुट्टी पर जाने से मरीजों को झेलनी पड़ रही कठिनाई
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13 दिसंबर तक सोनोलॉजिस्ट अवकाश पर रहेंगे, लिहाजा इसके बाद ही सेवा सुचारू होने की संभावना है। इस दौरान चिकित्सकों के कहने पर गर्भवती महिलाओं का तो बाहर निजी केंद्रों पर नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड टेस्ट हो जाएगा, लेकिन दूसरे मरीजों को कठिनाई झेलनी पड़ सकती है।

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़

नागरिक अस्पताल (Nagrik Hospital) में एक बार फिर अल्ट्रासाउंड सेवा प्रभावित हो गई है। विशेषज्ञ चिकित्सक (सोनोलॉजिस्ट) के छुट्टी पर जाने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। आगामी 13 दिसंबर तक सोनोलॉजिस्ट अवकाश पर रहेंगे, लिहाजा इसके बाद ही सेवा सुचारू होने की संभावना है। इस दौरान चिकित्सकों के कहने पर गर्भवती महिलाओं का तो बाहर निजी केंद्रों पर नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड टेस्ट हो जाएगा, लेकिन दूसरे मरीजों को कठिनाई झेलनी पड़ सकती है।

दरअसल, बहादुरगढ़ के सरकारी अस्पताल में रोजाना बड़ी तादाद में लोग इलाज के लिए जाते हैं। लोगों की सुविधा को देखते हुए कई वर्ष पहले यहां अल्ट्रासाउंड सेवा शुरू हुई। इस वजह से लोगों को लाभ तो मिला, लेकिन बीच-बीच में कई बार यह सेवा प्रभावित हो जाती है। कभी मशीन खराब हो जाती है तो कभी सोनोलॉजिस्ट छुट्टी पर चले जाते हैं। यहां के सरकारी अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। अस्पताल के अल्ट्रासाउंड सेंटर पर भी एक ही सोनोलॉजिस्ट है। अगर किसी कारण वश सोनोलॉजिस्ट छुट्टी पर जाती हैं, तो सेवा चरमरा जाती है। इन दिनों भी यही स्थिति बनी हुई है। सोनोलॉजिस्ट डॉ. एकता सात दिसंबर से 13 दिसंबर तक अवकाश पर गई हैं। इस संबंध में लोगों को जानकारी उपलब्ध कराने के लिए गेट पर नोटिस भी चस्पा दिया गया है।

अस्पताल में रोजाना काफी लोग आते हैं। इनमें से कुछेक मरीजों का चिकित्सक अल्ट्रासाउंड टेस्ट लिख देते हैं। अस्पताल में यह सुविधा मरीजों को नि:शुल्क मिल जाती है। लेकिन फिलहाल दो दिन से सेवा बंद है। हालांकि गर्भवती महिलाओं की चिकित्सकों द्वारा पर्ची बना दी जाती है। जिसके जरिये वे निजी केंद्र पर जाकर नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड करा सकती हैं, लेकिन दूसरे मरीजों को तो बाहर पैसे देने पड़ेंगे। शहर के निवासी नवीन ने कहा कि सरकारी अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी बनी रहती है। इस वजह से ड्यूटी दे रहे चिकित्सकों और मरीजों को दिक्कत होती है। अस्पताल में जरूरत के हिसाब से स्टाफ होना चाहिए। इसके अलावा कोई विशेषज्ञ अवकाश पर चला जाए तो उसका विकल्प भी होना चाहिए।

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