घर की छत पर जैविक सब्जियों को उगाकर लोगों को आकर्षित कर रहे भिवानी के उमेद सिंह, कई जिलों से लोग देखने आ रहे

घर की छत पर जैविक सब्जियों को उगाकर लोगों को आकर्षित कर रहे भिवानी के उमेद सिंह, कई जिलों से लोग देखने आ रहे
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इन सब्जियों को उगाने के लिए किसी प्रकार के पेस्टीसाइड का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि प्राकृतिक तरीके तथा प्राकृतिक खाद का प्रयोग किया जा रहा है।

हरिभूमि न्यूज : भिवानी

आज भाग दौड़ भरी जिंदगी में बिना किसी केमिकल या पेस्टीसाइड यूज किए हुई सब्जियां तो हर कोई खाना चाहता है लेकिन उन्हें उगाने और उनमें लगने वाली मेहतन हर करना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं है लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें अपने खुद व परिवार के स्वास्थ्य की चिंता है तथा अपने व्यस्त शैड्यूूल में से समय निकालकर वो घर की छत पर ही मौसम के अनुसार सब्जियां उगा रहे हैं। इन सब्जियों को उगाने के लिए किसी प्रकार के पेस्टीसाइड का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि प्राकृतिक तरीके तथा प्राकृतिक खाद का प्रयोग किया जा रहा है।


शहर के विकास नगर निवासी उमेद सिंह ने जब 2008 में पहली बार घर की छत पर खेती करनी शुरू की थी तो हर किसी ने कहा था कि उसके बस की बात नहीं है क्योंकि खेती के लिए समय निकालना बेहद जरूरी है। लोगों की बात को गलत साबित करते हुए उमेद सिंह ने आज अपनी छत पर सब्जियों का इतना बड़ा जकीरा बना लिया है कि सिर्फ शहर के लोग ही नहीं बल्कि दूसरे जिलों के लोग आकर उन्हें देख रहे हैं। गमले और लोहे के ड्रम में उगने वाली सब्जियां एक तरफ जहां सेहत के लिए बेहतर है तो वहीं इनका साइज और आकार लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। फिलहाल उमेद सिंह की छत वाली खेती में उगी लगभग चार किलो की पत्ता गोभी लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। गर्मी हो या सर्दी मौसम अनुसार छत पर मौसमी सब्जियां उगाई जाती है तथा परिवार बीमारियों से खुद को दूर रखे हुए हैं। फलों की बात की जाए तो फिलहाल आम, एपल बेर और चीकू की खुशबू लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है।


लोहे के ड्रम और गमलों में करते हैं खेती

स्टोन क्रेशर चलाने वाले उमेद सिंह ने बताया कि फिलहाल वो घर की छत पर लोहे के ड्रम और गमलों में खेती कर सब्जियां तथा फल उगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि करीब छह दर्जन से अधिक लोहे के ड्रम तथा 100 गमलों में अलग अलग प्रकार की सब्जियां, फल तथा पौधे उगा रखे हैं। उन्होंने बताया कि हर रोज सुबह डेढ़ घंटा व शाम को एक घंटा वो अपनी छत वाली खेती को देते हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 के बाद कुछ ही सब्जियां ऐसी हैं जो वो बाजार से खरीद कर लाते होंगे वरना सभी प्रकार की सब्जियां वो छत पर उगा रहे हैं।


गर्मिंयों में मकान रहता है ठंडा

उमेद सिंह ने बताया कि छत पर खेती करने से एक तरफ जहां परिवार के लोगों को बिना किसी पेस्टीसाइड के यूज वाली सब्जियां खाने को मिल रही है तो वहीं दूसरी तरफ छत पर होने वाली हरियाली से गर्मियों में घर अन्य घरों की अपेक्षा ठंडा रहता है। उन्होंने बताया कि मई जून माह में भी उन्हें एसी चलाने की नौबत नहीं आती हैं तथा जो भी लोग गर्मी के मौसम में उनके घर आते हैं वो यहीं कहते हैं आपका घर ठंडा है। उन्होंने कहा कि छत पर सब्जियां उगाना न सिर्फ आसान है बल्कि सेहत के लिए भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि अनेक लोग उनके पास आकर इस बात की जानकारी ले रहे हैं कि छत पर सब्जियां उगाने के लिए क्या क्या करना होगा। उन्होंने बताया कि जब कभी उन्हें घर से बाहर जाना होता है तो परिवार के अन्य सदस्य अपने बच्चों की तरह पौधों का ध्यान रखते हैं।

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