चुनाव मैदान में औंधे मुंह गिरे केंद्रीय मंत्री के खास, जिला परिषद में टूटा राव इंद्रजीत का तिलिस्म

नरेन्द्र वत्स : रेवाड़ी
दो दशक से ज्यादा समय तक जिला परिषद की राजनीति में पूरा दखल रखते हुए पांच में से चार चुनावों में अपनी पसंद का जिला प्रमुख बनाने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का तिलिस्म इस बार टूटता हुआ नजर आ रहा है। जिला परिषद के लगभग सभी वार्डों में रेखा भाड़ावास को छोड़कर राव कैंप से जुड़े प्रत्याशियों को करारी हार का सामना करना पड़ा है। राव के खास समर्थकों को मैदान में धूल चटाने की उनके विरोधी खेमे की रणनीति ने अंदरखाने अपना काम जरूर किया है। वार्ड नं. 11 से अजय पटौदा को ऐन वक्त पर अपना नाम वापस लेने का फरमान जारी करना राव के लिए इस वार्ड में घाटे का सौदा साबित हो गया। जिला प्रमुख के चुनाव को लेकर राव की रणनीति पर अब सभी की निगाहें रहेंगी।
वार्ड नं. 11 से पूर्व मंत्री व कांग्रेस ओबीसी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैप्टन अजय सिंह यादव के खास समर्थक मनीराम चुनाव लड़ रहे थे। उन्हें मात देने के लिए राव कैंप से अजय पटौदा को सबसे मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा था। अजय पटौदा ने लाव लश्कर के साथ नामांकन पत्र दाखिल करने के साथ ही चुनाव की तैयारियां जबरदस्त तरीके से शुरू कर दी थीं। राव ने अपने सिपहसालारों के झांसे में आकर नामांकन वापसी के दिन अजय पटौदा को अपना नाम वापस लेने का फरमान सुना दिया। उन्होंने राजबीर यादव के लिए अजय पटौदा को मैदान से हटाया तो राजबीर ने खुद को राव समर्थित होने का प्रचार करना शुरू कर दिया था। इसके बाद राव ने स्पष्ट किया था कि उन्होंने किसी को भी आशीर्वाद नहीं दिया है। परिणाम यह हुआ कि राव कैंप से जुड़े लोगों की आपसी जंग कैप्टन अजय समर्थक की जीत का कारण बन गई।
शशिबाला के रूप में बड़ा झटका
राव इंद्रजीत सिंह के आशीर्वाद से पहली योजना में जिला प्रमुख की कुर्सी पर काबिज होने वाली शशिबाला खुलकर अपने सिर पर राव का हाथ होने का दावा करते हुए चुनाव मैदान में उतरी थीं। राव कैंप की ओर से शशिबाला का कोई विरोध भी नहीं था, परंतु राव विरोधियों के निशाने पर वह पहले से आ चुकी थीं। शशिबाला को चारों खाने चित्त करने की रणनीति पहले ही तैयार की जा चुकी थी। दूसरी ओर शशिबाला के खिलाफ विरोध की हवा ने उन्हें बड़ी हार की ओर धकेलने का काम कर दिया। पूर्व जिला प्रमुख जैसा ही हाल उपजिला प्रमुख जगफूल यादव का भी हो गया। इन चुनावों से ठीक पहले राव इंद्रजीत सिंह ने बव्वा में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में जगफूल को भाजपा ज्वाइन कराई थी। जगफूल मुकाबले में दूसरा या तीसरा स्थान भी हासिल नहीं कर पाए।
टीम नरबीर के जाल में उलझे अनिल
वार्ड नं. 6 से चुनाव लड़ने वाले अनिल यादव भी राव के खास समर्थकों में शामिल हैं। इस चुनाव में उनकी नैय्या पार लगाने के लिए राव खेमे की ओर से अंदरखाने पूरे प्रयास किए गए, परंतु इन प्रयासों पर पानी फेरने के लिए पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह की टीम खुलकर अपना काम कर रही थी। अनिल के मुकाबले उन्हीं के गांव डहीना के जयपाल को मैदान में उतारा गया था। जयपाल पार्षदा तो नहीं बन पाए, परंतु अनिल को दूसरी बार पार्षद बनने की रणनीति को सफलतापूर्वक सिरे चढ़ाने में कामयाब हो गए। कई अन्य वार्डों में भी खुद को राव का खास समर्थक बताकर चुनाव मैदान में उनके फोटो लगे बैनरों के साथ उतरने वाले दिग्गज 'एंटी राव लहर' के सामने टिक नहीं पाए। जिला परिषद के इन चुनावों के जिला प्रमुख बनाने से पहले तक के दौर में एक तरह से राव कैंप को बड़ा झटका लग चुका है।
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