जींद : असंतुष्ट पार्षदों ने फिर खोला मोर्चा, दस दिन का दिया अल्टीमेटम

हरिभूमि न्यूज : जींद
नगर परिषद में भ्रष्टाचार को लेकर असंतुष्ट पार्षदों ने नप अध्यक्षा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उनके समर्थक दो पार्षदों को अयोग्य घोषित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। असंतुष्ट पार्षदों ने आरोप लगाया कि डीसी समेत अन्य अधिकारी दबाव में कार्य कर रहे हैं और कार्रवाई को लेकर दोहरा मापदंड अपनाए हुए है। उन्होंने चेताया कि आगामी दस दिनों में लोगों को साथ लेकर भ्रष्टाचार (Corruption) के खिलाफ कड़ा कदम उठाया जाएगा।
असंतुष्ट पार्षद पूर्व नप अध्यक्ष विनोद आशरी के नेतृत्व में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नप में भ्रष्टाचार के चलते शहर की दुर्दशा हो चुकी है। पार्षद राममेहर ने सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुआ है, इसी प्रकार पार्षद कर्मबीर उर्फ मोना ने प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लिया हुआ है जो नप रूलिंग के खिलाफ है। कर्मबीर उर्फ मोना ने न केवल खुद योजना का लाभ लिया बल्कि अपने भाई को योजना का लाभ दिलाया। जिसकी जांच नप ईओ द्वारा की गई, दोनों को जांच में दोषी पाया गया। डीएमसी ने पार्षद राममेहर तथा कर्मबीर उर्फ मोना के खिलाफ सितम्बर माह में कार्रवाई की सिफारिश शहरी निकाय विभाग के निदेशक से की गई थी। बावजूद इसके अभी तक दोनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा कि नरवाना के पार्षद कृष्ण मोर के खिलाफ जुलाई में कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। जिस पर शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने त्वरित कार्रवाई की थी और डीसी डा. आदित्य दहिया ने उनक सदस्यता को रद कर दिया था। जबकि पार्षद राममेहर तथा कर्मबीर उर्फ मोना दोनों जांच में दोषी पाए गए हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई को लेकर एक माह पहले लिखा गया था, अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिससे साफ जाहिर है कि डीसी समेत अन्य अधिकारी दबाव में कार्य कर रहे हैं।
पार्षद प्रवीन बैनीवाल तथा जिले सिंह जागलान ने कहा कि एलईडी लाइट में बड़ा घोटाला है, गलियों के निर्माण में भी भारी गोलमाल है। नप की मासिक मीटिंग हुए अरसा बीत चुका है, गत दस अगस्त को जिला निगरानी कमेटी की बैठक में भी मुद्दा उठा था। विधायक ने दोनों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सरकार को लिखा था। 17 सितम्बर को दोनों के खिलाफ रिपोर्ट तैयार कर अधिकारियों को भेजी गई थी, बावजूद इसके दोनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। असंतुष्ट पार्षदों ने मांग की कि दोनों पार्षदों के खिलाफ जल्द कार्रवाई करे, अगर दस दिन के अंदर दोनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती तो शहर के लोगों को लेकर असंतुष्ट पार्षदों द्वारा बड़ा कदम उठाया जाएगा।
काबिलेगौर है कि असंतुष्ट पार्षद एक बार संख्या के हिसाब से नप अध्यक्षा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की मांग को लेकर अपना कोरम पूरा करने में कामयाब हो गए थे। 31 सदस्यीय नप में असंतुष्ट पार्षदों का आंकड़ा 21 तक जा पहुंचा था। इसी बीच उथल पुथल के चलते पार्षद राममेहर फिर से नप अध्यक्षा खेमे में खड़े हो गए। उन्होंने डीसी से मिलकर सौंपे गए अपने शपथ पत्र को रद करने की मांग की। जिसके चलते असंतुष्ट पार्षदों के मंसूबो पर फिर से पानी फिर गया था लेकिन अब असंतुष्ट पार्षदों ने खेमा छोड़कर गए पार्षद राममेहर व दूसरे पार्षद कर्मबीर की सदस्यता रद करने को लेकर मोर्चा खोल दिया है।
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