Up Election : उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में लाखों लोग नहीं कर पाएंगे मतदान, जानिये कारण

विकास चौधरी : पानीपत
उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) के तीन लाख से अधिक प्रवासी बुनकर ( weaver ) पानीपत के टेक्सटाइल उद्योग ( Panipat Textile Industries ) में काम कर जीवन यापन कर रहे हैं। वहीं पानीपत के टेक्सटाइल उद्योग में उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार, पश्चिमी बंगाल, असम, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के भी बुनकर सेवारत हैं। प्रवासी श्रमिकों की बदौलत ही पानीपत के टेक्सटाइल इंडस्ट्री 40 हजार करोड़ की हो चुकी है 12 हजार करोड़ रूपये के टेक्सटाइल उत्पादों का निर्यात दुनिया के अधिकतर देशों में होता है। जबकि टेक्सटाइल का 28 हजार करोड का घरेलू बाजार है।
इधर, भारत, दुनिया का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश है। प्रजातंत्र अधिक से अधिक संख्या में नागरिकों द्वारा मतदान करने से ही मजबूत होता है। जबकि पानीपत में निवास कर रहे उत्तर प्रदेश के तीन लाख से अधिक बुनकर, वहां चल रहे विधानसभा चुनावों ( Uttar Pradesh Assembly election ) में अपने वोटों का प्रयोग नहीं कर पाएंगे। बुनकरों के पास विधानसभा चुनाव में मतदान के लिए न तो समय है और ना ही धन है। गौरतलब है कि पानीपत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री सूक्ष्म, लघु और मध्यम स्तर पर है टेक्सटाइल इंडस्ट्री में बुनकर को जितना काम उतने दाम के हिसाब से मजदूरी दी जाती है, यानि जो मजदूर जितना अधिक काम करेगा उतनी अधिक मजदूरी पाएगा।
आर्थिक मजबूरी के चलते पानीपत में निवास कर रहे प्रवासी श्रमिक चाहे वे, उत्तर प्रदेश के निवासियों या फिर बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम, पश्चिमी बंगाल के, वे लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में मतदान करने के लिए अपने राज्यों में नहीं जाते। हालांकि पंचायत के चुनाव में अधिकतर प्रवासी श्रमिक मतदान के लिए अपने गांव में जाते हैं इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि पंचायत के चुनाव के प्रत्याशी पानीपत में निवास कर रहे प्रवासी श्रमिकों को आने-जाने का खर्च दे देते हैं और आर्थिक मदद भी करते है। जबकि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में प्रत्याशियों से प्रवासी श्रमिकों को कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती। जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, सहारनपुर, गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ जिलों के प्रवासी श्रमिक लोकसभा व विधानसभा चुनाव में मतदान के लिए चले जाते हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश का यह क्षेत्र हरियाणा से लगता या निकट है।
दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश पूवांर्चल नागरिक मंच के अध्यक्ष अवधेश यादव बताते हैं कि प्रवासी श्रमिकों की आय कम है इसके चलते वे, लोकतंत्र को मजबूत करने वाले लोकसभा व विधानसभा के चुनाव में मतदान करने के लिए अपने पैतृक गांव और शहरों को नहीं जा पाते। वहीं यह भी सच है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में प्रवासी श्रमिकों की रुचि भी अधिक नहीं होती। जबकि पंचायत के चुनाव छोटे होते हैं यानी ग्राम स्तर पर होते हैं उनमें प्रवासी श्रमिक भी रुचि लेते हैं और यह भी कड़वा सच है कि पंचायती चुनाव के प्रत्याशी, पानीपत में निवास कर रहे श्रमिकों को मतदान के लिए बुलाते हैं और बुनकरों को आवागमन कर खर्च और मजदूरी के रूप में आर्थिक मदद कर देते हैं, इसके चलते प्रवासी श्रमिक मतदान के लिए अपने पैतृक गांव में चले जाते हैं। उन्होंने बताया कि असम, बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और झारखंड का प्रवासी श्रमिक पंचायती चुनाव में भी ज्यादा सक्रिय नहीं होते, इसका मुख्य कारण यह है कि उपरोक्त राज्य हरियाणा से काफी दूर हैं।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS