धान की सीधी बिजाई करने की मशीन पर किसानों को 40 प्रतिशत तक अनुदान

धान की सीधी बिजाई करने की मशीन पर किसानों को 40 प्रतिशत तक अनुदान
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कृषि विभाग के स्थानीय कार्यालय में धान की सीधी बिजाई करने वाली मशीनें उपलब्ध है। इसके साथ-साथ फसल विविधिकरण के तहत धान की जगह मक्का की फसल उगाने के इच्छुक किसान मक्का बुआई की मशीन भी सहायक कृषि अभियंता कार्यालय से पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर ले जा सकते हैं।

हरिभूमि न्यूज : जींद

सरकार द्वारा लगातार धान की सीधी बिजाई पर जोर दिया जा रहा है ताकि जल को बचाया जा सके। धान की सीधी बिजाई कर किसान पांच से छह हजार रुपये प्रति एकड़ की बचत भी कर सकता है। कृषि विभाग के स्थानीय कार्यालय में धान की सीधी बिजाई करने वाली मशीनें उपलब्ध है। इसके साथ-साथ फसल विविधिकरण के तहत धान की जगह मक्का की फसल उगाने के इच्छुक किसान मक्का बुआई की मशीन भी सहायक कृषि अभियंता कार्यालय से पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर ले जा सकते हैं।

कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर डीएसआर अर्थात धान की सीधी बिजाई करने की मशीन पर 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। गत वर्ष तक जिला में लगभग 33 मशीनों पर अनुदान दिया गया है। किसान डीएसआर मशीन का प्रयोग करके धान की सीधी बिजाई कर सकते हैं। किसान कोविड संक्रमण और महंगाई के दौर में सीधी बिजाई करके कम से कम पांच हजार रुपये प्रति एकड़ तक बचा सकते हैं।

डीसी डा. आदित्य दहिया ने बताया कि इस विधि से कम पानी की जरूरत पड़ती है। जून महीना के पहले पखवाड़े में धान की सीधी बिजाई की जा सकती है। इस विधि से बिजाई करने पर फसल भी जल्दी पक जाती है, जिससे गेहूं की बिजाई के लिए 10-12 दिन का अलग से और समय मिल जाता है। इस दौरान किसान फसल अवशेषों का अच्छी तरह प्रबंध करके भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकता है।

जिला में 1040 हेक्टेयर क्षेत्र में किया जाएगा मछली पालन : नैन

जिला मत्स्य अधिकारी सुरेश पाल नैन ने बताया कि जिला में मत्स्य पालन का क्षेत्र बढ़ना शुरू हो गया है। विभाग द्वारा गांव-गांव जाकर किसानों को मत्स्य पालन व्यवसाय से होने वाले फायदों बारे बताया जा रहा है। जिला में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा विस्तृत कार्य योजना तैयार की गई है। अधिकाधिक लोग इस व्यवसाय को अपना कर अपनी आय के स्त्रोतों में बढ़ोतरी कर इसके लिए विभाग द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है। वर्ष 2021-22 के लिए मछली पालन को लेकर लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। कुल 1040 हेक्टेयर क्षेत्र में मछली पालन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस वर्ष 180 लाख मछली बीज स्टॉक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार 9886 टन मछली उत्पादन का लक्ष्य है और अब तक 230 टन मछली उत्पादन हो चुका है।

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