Upsc Result : पिछले साल देश को टॉपर देने वाले सोनीपत से इस बार भी तीन युवा बने IAS

Upsc Result : पिछले साल देश को टॉपर देने वाले सोनीपत से इस बार भी तीन युवा बने IAS
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गन्नौर निवासी अंशुल जैन ने 122वां रैंक, आनंद पुर झरोठ की बेटी प्रतिभा दहिया ने 214 वां रैंक और मुरथल की निधि कौशिक ने 286वां रैंक हासिल किया है।

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में पिछले साल टॉपर देने वाले सोनीपत ने इस साल भी देश को तीन अफसर दिए हैं। इसमें एक गन्नौर निवासी अंशुल जैन और दूसरी ओमेक्स सिटी में रहने वाली मुरथल निवासी निधि कौशिक शामिल हैं। अंशुल जैन ने 122वां रैंक हासिल किया है, आनंद पुर झरोठ की बेटी प्रतिभा दहिया ने 214 वां रैंक और निधि कौशिक ने 286वां रैंक हासिल किया है। यूपीएससी में स्थान बनाने वाले तीनों होनहारों के परिवारों में दिन भर बधाइयों का दौर चलता रहा।

बच्चों की कामयाबी पर तीनों ही परिवारों में खुशी की लहर दिखाई दी। निधि कौशिक, प्रतिभा दहिया और अंशुल जैन तीनों ही अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं। निधि बताती हैं कि बचपन से ही सपना था कि यूपीएससी की परीक्षा पास करके देश की सेवा करूं। सपने को पूरा करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। दो बार असफलता भी हाथ लगी, लेकिन माता-पिता और भाइयों सहित पूरे परिवार ने आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। पिता मेरे जागने से पहले हर रोज कमरे में फूलों का गुलदस्ता रखकर चले जाते थे, ताकि मेरा मूड ठीक हो सके। पिता की प्रेरणा से मैंने फिर तैयारी की और सफलता हासिल की। आज परीक्षा पास करके खुश हूं। अब अपने रैंक में सुधार करने के लिए एक बार फिर प्रयास करूंगी।

अंशुल का 2018 में 285वां रैंक, अब 122वां रैंक

वहीं बीएचयू बनारस से सिविल इंजीनियरिंग में आईआईटी की पढ़ाई करने वाले अंशुल ने वर्ष 2018 में भी लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी थी, जिसमें उन्होंने 285वां रैंक हासिल किया थ। जिसके बाद अंशुल जैन ने भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा को चुना था। वह भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा कोलकाता में बतौर ट्रेनी कार्यरत हैं। अंशुल अपनी इस उपलब्धी से संतुष्ट नहीं थे, जिस कारण उन्होंने ट्रेनिंग के दौरान ही संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा की दोबारा से तैयारी शुरू कर दी। इसके लिए ज्यादातर उन्होंने खुद ही तैयारी की और समय मिलने पर कोचिंग भी ली। अपनी मेहनत के बल पर इस बार अंशुल जैन ने 122वां रैंक हासिल करने में सफलता हासिल की।

2016 से तैयारी में जुटे थे अंशुल

अंशुल जैन ने बताया कि उन्होंने स्कूली शिक्षा सीसीएएस जैन वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल से प्राप्त की, लेकिन उनके पिता के व्यवसाय की वजह उन्हें गन्नौर से दिल्ली जाना पड़ा। इसके बाद उन्होंने नरेला के स्कूल से 12वीं की। स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद अंशुल आईआईटी में प्रवेश पाने के लिए कोटा गया। कोटा से कोचिंग लेने के बाद उन्होंने जेईई की परीक्षा पास की औरआईआईटी बीएचयू बनारस में प्रवेश किया। 2016 में उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग से आईआईटी की। उसके बाद सीधे लोक सेवा आयोग की परीक्षा के तैयारियों में जुट गया। दिल्ली करोल बाग के निजी संस्थान से कोचिंग लेते हुए 2017 में पहली बार लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी, लेकिन उनका मेंस क्लीयर नहीं हो पाया। वर्ष 2018 में हुई परीक्षा में 285वां रैंक पाने में सफलता हासिल की। रैंक में सुधार लाने की लगन उनमें बरकरार रही, जिसके चलते उन्होंने ट्रेनिंग में रहते हुए भी फिर से परीक्षा की तैयारी की और 122वां रैंक हासिल किया।

किसान की बेटी का 214वां रैंक, दोबारा देंगी परीक्षा

आनंदपुर झरोठ निवासी प्रतिभा किसान की बेटी हैं। उन्होंने यूपीएससी में 214वां रैंक झटका है। खास बात यह है कि उसके पिता खेतीबाड़ी करते हैं जबकि मां केवल 10वीं पास है। इसके बावजूद बेटी को पढ़ाने के लिए माता-पिता ने जी-जान लगा दिया। खास बात यह है कि प्रतिभा ने बिना कोचिंग के अपने घर पर ही परीक्षा की तैयारी कर पहली ही बार में परीक्षा पास की है। प्रतिभा का कहना है कि वह इस रैंक से संतुष्ट नहीं हैं और दूसरी बार भी परीक्षा देगी।


प्रतिभा दहिया और अंशुल जैन।

माता 10वीं पास, फिर भी लगा दी जी-जान

प्रतिभा के पिता खेतीबाड़ी करते हैं जबकि मां केवल 10वीं पास है। इसके बावजूद बेटी को पढ़ाने के लिए माता-पिता ने जी-जान लगा दिया। खास बात यह है कि प्रतिभा ने बिना कोचिंग के अपने घर पर ही परीक्षा की तैयारी कर पहली ही बार में परीक्षा पास की है। प्रतिभा का कहना है कि वह इस रैंक से संतुष्ट नहीं हैं और दूसरी बार भी परीक्षा देगी। प्रतिभा के भाई की एक एक्सीडेट हादसे में मौत हो गई थी। वो हमेशा कहते थे कि प्रतिभा आईएएस बन सकती है। अब उसने अपने भाई का सपना पूरा किया है। वो अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के साथ साथ अपने भाई की प्रेरणा को भी देती है। मां प्रोमिला व पिता ओमप्रकाश ने जीवन में कड़ा संघर्ष किया। पिता ने एक समय 4 वर्ष तक विदेश में ट्राला ड्राईवर की नौकरी भी की है। प्रतिभा के दादा व परदादा गांव के सरपंच व नंबरदार रह चके हैं जबकि चाचा अभी भी नंबरदार है।

बेटी ने अपने जन्मदिन पर दिया सबसे बड़ा तोहफा

निधि के पिता मुकेश कौशिक बताते हैं कि निधि जब 5वीं कक्षा में थी, तब उन्होंने बेटी को प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना दिखाया था। इस सपने को पूरा करने के लिए बेटी ने जी-तोड़ मेहनत की। निधि ने अपने जन्मदिन पर संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर मुझे सबसे बड़ा तोहफा दिया है। बेटी द्वारा दिए तोहफे से खुशी के मारे आंखे छलक उठी। निधि की मां मीना कौशिक ने भी कड़ा तप किया है। बेटी की कामयाबी के लिए सोशल लाइफ छोड़ गृहणी बन गई और बाहर आना-जाना भी बंद कर दिया।


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