हरियाणा में पहली बार हुआ यूटीजी पद्धति का प्रयोग, अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में अल्ट्रा थिन ग्राफ्टिंग से मरीज का चेहरा किया ठीक

हिसार। महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज अग्रोहा के चर्म रोग विभाग ने अल्ट्रा थिन ग्राफ्टिंग के जरिए सफेद दाग का उपचार कर प्रदेश के चिकित्सा क्षेत्र में एक और कीर्तिमान स्थापित किया है। अल्ट्रा थिन ग्राफ्टिंग की पद्धति दिल्ली और चंडीगढ़ में तो होती है लेकिन हरियाणा में यह उपचार पहली बार किया गया है।
मेडिकल कॉलेज निदेशक डॉ अलका छाबड़ा ने बताया कि चर्म रोग विभाग के डॉ अमन गोयल के नेतृत्व में यह प्रोसीजर किया गया और विटिलिगो यानी सफेद दाग की समस्या से जूझ रहे रोगी को ठीक किया गया। महाविद्यालय निदेशक ने बताया कि मरीज को 12 वर्ष की उम्र में गाल पर सफेद दाग होना शुरू हुआ था जो वक्त के साथ बढ़ता गया। समस्या से परेशान रोगी ने कई जगह से इलाज लिया लेकिन कोई खास समाधान नहीं मिला। समस्या बढ़ने के साथ-साथ मरीज सामाजिक उपेक्षा का शिकार भी होने लगा जिसके चलते उसके मन में हीन भावना ने स्थान बनाना शुरू कर दिया था। 2 महीने पहले रोगी ने महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज में संपर्क किया और उसकी स्थिति की गहन जांच करने के बाद अल्ट्रा थिन ग्राफ्टिंग की दुर्लभ पद्धति के जरिए इलाज करने को बेहतर विकल्प माना गया। मरीज की सहमति से उसका इलाज किया गया और आज 2 महीने बाद लगभग 95 फीसदी दाग समाप्त हो चुका है और त्वचा का रंग सामान्य होकर मरीज के व्यक्तित्व में चार चांद लगा रहा है।
वही कॉलेज निदेशक प्रशासन डॉ आशुतोष शर्मा ने बताया कि इलाज से खुश होकर मरीज ने महाविद्यालय प्रशासन और डॉक्टर का आभार व्यक्त किया है और कहा कि कम उम्र में ही इस दाग से परेशान होकर हीन भावना ने मेरे मन में घर बनाया था आज वह समाप्त हो गई और मैं सामाजिक कार्यक्रमों में बेहिचक भाग लेने के लिए स्वतंत्र हूं। डॉ आशुतोष ने बताया कि महाविद्यालय हमेशा ही लोगों को अच्छी और सस्ती चिकित्सकीय सुविधाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है और इस प्रक्रिया में जहां प्राइवेट अस्पताल काफी खर्च बताते हैं अग्रोहा मेडिकल में नाम मात्र के खर्चे में ही इलाज हो गया। उन्होंने चर्म रोग विभाग के सभी सदस्यों को बधाई दी और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि महाविद्यालय के सभी विभाग इसी प्रकार समर्पित भाव से मरीजों को ठीक करते रहे और बाउजी ओम प्रकाश जिंदल के स्वप्न को साकार करते रहे।
इस दौरान महाविद्यालय निदेशक डॉ अलका छाबड़ा, निदेशक प्रशासन डॉ आशुतोष शर्मा, एमएस डॉ राजीव चौहान, डीएमएस डॉ शमशेर मलिक और सभी प्रशासनिक अधिकारियों ने डॉ अमन गोयल, डॉ शुभम और ओटीए रामफल को बधाई और शुभकामनाएं दी।
क्या होती है अल्ट्रा थिन ग्राफ्टिंग?
डॉ अमन गोयल ने बताया कि इस पद्धति में जिमर डर्मेटोम का प्रयोग करते हुए मरीज के शरीर से 0.1 मिलीमीटर त्वचा को लिया जाता है और अलग-अलग हिस्सों में सफेद दाग पर कार्बन डाइऑक्साइड लेजर का प्रयोग करते हुए लगाया जाता है। बाद में वक्त के साथ ये ग्राफ्टेड त्वचा प्रभावित हिस्से के रंग को सामान्य त्वचा में बदलते हुए दाग की समस्या को खत्म कर प्रभावित त्वचा को सामान्य कर देती है। अल्ट्रा थिन ग्राफ्टिंग पीजीआई चंडीगढ़ और दिल्ली एम्स में तो होती ही है लेकिन हरियाणा में यह पहली बार की गई है और इस उपचार के जरिए रोगी को अच्छे परिणाम मिले हैं और वह खुश है।
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