चीका के SHO को विजिलेंस ने किया गिरफ्तार, साढ़े 5 घंटे बंद कमरे में चली पूछताछ, समर्थन में शहरवासियों ने थाने में किया हंगामा, जानें पूरा मामला

हरिभूमि न्यूज. गुहला-चीका/कैथल
बुधवार को विजिलेंस कैथल की टीम ने चीका थाना में रेड कर एसएचओ जयवीर को अपनी हिरासत में लेकर उनके हाथ धुलवाए तो वे लाल हो गए लेकिन लगातार साढ़े पांच घंटे तक बंद कमरे में पूछताछ करने व तलाशी लेने के बावजूद विजिलेंस के अधिकारी एसएचओ जयवीर से रिश्वत के पांच हजार रुपये बरामद नहीं कर पाए। रिश्वत के इन पैसों को आसमान खा गया या जमीन निगल गई यह बात विजिलेंस अंबाला जोन के डीआईजी अशोक कुमार भी नहीं बता पाए और उनकी टीम जाते जाते एसएचओ जयवीर को एक रिकार्डिंग मिलने की बात कह अपने साथ ले गई। चीका एसएचओ के खिलाफ विजिलेंस की रेड का यह मामला देखते ही देखते इतना तुल पकड़ गया कि विजिलेंस के डीआईजी अशोक कुमार व कैथल के एसपी लोकेंद्र सिंह को भी घटना स्थल पर पहुंचना पड़ा।
शिकायत को रफादफा करने के संबंध में पैसे मांगने को लेकर की थी शिकयत
चीका के वार्ड नंबर पांच के निवासी पवन कुमार ने पिछले दिनों चीका थाना में एक शिकायत दी थी कि उसने पूर्व पार्षद चांद राम से 45 हजार रुपए लेने हैं लेकिन वह देने में आनाकानी कर रहा है। आरोप है कि इसी शिकायत को रफादफा करने की एवज में एसएचओ चीका जयवीर ने चांद राम से पांच हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी, जिसकी चांद राम ने विजिलेंस से शिकायत की थी। बुधवार को दोपहर 1.35 बजे चांद राम चीका थाना में आया और थाना परिसर में ही अन्य कर्मचारियों के साथ बैठे एसएचओ जयवीर के साथ हाथ मिलाया और दोनों बातचीत करते हुए थाना के मुख्य गेट तक पहुंच गए। उसी समय विजिलेंस के अधिकारियों ने एसएचओ जयवीर को काबू कर लिया और उन्हें एसएचओ के दफ्तर के अंदर ले गए और पूछताछ शुरू कर दी।
डेढ़ घंटे बाद भी टीम बाहर नहीं आई तो साथी कर्मचारी व लोग एसएचओ के पक्ष में उतर आए
थाना में विजिलेंस की रेड की सूचना मिलते ही मीडिया कर्मी व आम लोग थाना के बाहर जमा होने लगे। जब डेढ़ घंटे तक भी विजिलेंस की टीम कमरे से बाहर नहीं आई तो थाना के कर्मचारियों को शक होने लगा कि कहीं उनके अधिकारी को बेवजह तो नहीं फंसाया जा रहा। इसके बाद थाना कर्मियों ने कम से कम पांच बार जांच वाले कमरे में घुसने की कोशिश की ताकि अंदर चल रहे मामले की जानकारी ले सकें। मीडिया कर्मियों को जांच वाले कमरे से दूर रखा गया। विजिलेंस की टीम की लंबी होती जांच से लोगों को सब्र भी जवाब देने लगा और उन्होंने थाना परिसर में ही विजिलेंस के खिलाफ नारे बाजी शुरू कर दी। हरदीप बदसुई, ओमप्रकाश, जगजीत सिंह, कृष्ण शर्मा, विजेंद्र कौशिक, नेत्रपाल शर्मा, कुलदीप, निशान सिंह सहित सैकड़ों लोगों ने कहा कि एसएचओ जयवीर एक ईमानदार अधिकारी है और विजिलेंस टीम उन्हें एक झूठी शिकायत पर फंसाना चाहती है जिसका वे कड़ा विरोध कर रहे हैं।
मामले को बढ़ता देख दोनों पक्षों के उच्च अधिकारियों ने मौके पर पहुंच स्थिति को संभाला
विजिलेंस की लंबी होती पूछताछ के बाद जहां पुलिस के अन्य अधिकारियों ने अपने उच्च अधिकारियों को मामले की सूचना दी वहीं लोगों के बढ़ते विरोध को देखते हुए विजिलेंस के अधिकारियों ने अंबाला स्थित अपने अधिकारियों को सूचना दी जिसके बाद विजिलेंस अंबाला के डीआईजी अशोक कुमार व कैथल के एसपी लोकेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे और दोनों अधिकारियों की मौजूदगी में लगभग दो घंटे तक पूछताछ हुई। इस दौरान लोगों ने कई बार विजिलेंस के खिलाफ नारेबाजी की और थाना परिसर में ही जमीन पर बैठकर विरोध जताया। लगभग साढ़े पांच घंटे तक चली पूछताछ के बाद विजिलेंस के डीआईजी अशोक कुमार पत्रकारों के सामने आए और बताया कि रिश्वत के पैसे की बरामदगी नहीं हो पाई है। उनकी टीम ने शिकायत के आधार पर रेड की थी और शिकायतकर्ता व एसएचओ के बीच रिश्वत के लेनदेन को लेकर हुई बातचीत की रिकार्डिंग के आधार पर वे एसएचओ जयवीर को अपने साथ लेकर जा रहे है, जिनका अदालत से रिमांड लेकर पूछताछ की जाएगी।
मामले को रफा दाफ करने के लिए मांगे थे पैसे : चांद राम
शिकायत कर्ता चांद राम ने बताया कि उसके खिलाफ आई शिकयत को निपटाने को लेकर थाना प्रभारी जयवीर ने पांच हजार रुपये की रिश्वत ली है। चांद राम ने बताया कि उन्होंने एसएचओ को यह रिश्वत ली है और विजिलेंस के अधिकारियों के समाने उनके हाथ लाल हुए है।
कैथल के पिहोवा चौक पर जताया रोष
जयवीर शर्मा की गिरफ्तारी के विरोध में न केवल चीका बल्कि कैथल में भी समाजसेवी संगठनों ने पिहोवा चौक पर जाम लगाया। समाजसेवी राजू डोहर ने कहा कि जयवीर शर्मा को गलत तरीके से फंसाया जा रहा है। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
लोगों ने विजिलेंस के डीआईजी को दौड़ाया
रिश्वत के पैसे ना मिलने के बावजूद एसएचओ जयवीर को साथ लेने जाने की सूचना जैसे ही डीआईजी विजिलेंस ने पत्रकारों को दी तो लोग विरोध में उतर आए और उन्होंने नारेबाजी शुरू कर दी। लोगों के विरोध के दौरान डीआईजी की गाड़ी भीड़ में फंस गई और उन्हें अपनी गाड़ी तक पहुंचने के लिए पटियाला रोड़ पर काफी दूर तक दौड़ लगानी पड़ी।
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