Shadi Ke Muhurat : अब दो माह तक नहीं बजेंगी शहनाई, 15 अप्रैल से 8 जुलाई तक विवाह के 45 शुभ मुहूर्त

Shadi Ke Muhurat : अब दो माह तक नहीं बजेंगी शहनाई, 15 अप्रैल से 8 जुलाई तक विवाह के 45 शुभ मुहूर्त
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अभी गुरू अस्त होने और इसके बाद खरमास ( Kharmas ) लग जाने के कारण अब वैवाहिक कार्यक्रमों सहित अन्य मांगलिक कार्यों पर विराम लग गया है। इस कारण अब करीब दो माह तक शहनाईयों की गूंज सुनाई नहीं देगी।

हरिभूमि न्यूज : बहादुरगढ़

अभी गुरू अस्त होने और इसके बाद खरमास ( Kharmas ) लग जाने के कारण अब वैवाहिक कार्यक्रमों सहित अन्य मांगलिक कार्यों पर विराम लग गया है। जी हां, इस कारण अब करीब दो माह तक शहनाईयों की गूंज सुनाई नहीं देगी। ज्योतिषियों का कहना है कि अब 15 अप्रैल से विवाह आदि मांगलिक कार्य शुरू हो सकेंगे। इसके बाद 8 जुलाई तक विवाह ( Vivah Muhurat )के सर्वाधिक 45 मुहूर्त रहेंगे।

दरअसल, देवगुरु बृहस्पति 21 फरवरी को कुंभ राशि में अस्त हो गया था। इसके साथ ही वैवाहिक कार्यक्रमों सहित मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, प्राण प्रतिष्ठा, ग्रह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य रुक गए हैं। क्योंकि बृहस्पति धार्मिक, सांस्कृतिक, संस्कार, शिक्षा का कारक ग्रह माने जाते हैं। विवाह के लिए बृहस्पति-शुक्र का उदित रहना अनिवार्य होता है। हालांकि 24 मार्च वे इसी राशि में अपनी सामान्य अवस्था में वापस आएंगे। इस बीच 14 मार्च को सूर्य के मीन राशि में प्रवेश हो जाने के कारण खरमास लगने से विवाह सहित अन्य तरह के मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे।

ज्योतिषाचार्य पंडित महेंद्र शर्मा ने बताया कि गुरु के अस्त होने, सूर्य के मार्च में मीन राशि में होने और खरमास के चलते इस महीने 20 तारीख तक ही विवाह मुहूर्त थे। अब 14 अप्रैल तक विवाह नहीं हो सकेंगे। इसी दौरान होलाष्टक के कारण भी विवाह नहीं होंगे। खरमास में भी शुभ मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं। हालांकि इस अवधि के बीच 4 मार्च को फुलेरा दूज है, जिसे अबूझ मुहूर्त कहते हैं। गुरू के उदय होने और खरमास के बाद 15 अप्रैल से फिर विवाह शुरू हो जाएंगे, जो आगामी 8 जुलाई तक चलेंगे। इस दौरान मुहूर्तों की भरमार रहेगी।

पंडित महेंद्र शर्मा के अनुसार दस जुलाई को देवशयनी एकादशी तक हर माह विवाह के अच्छे मुहूर्त रहेंगे। अप्रैल में 8 दिन, मई में 14 दिन, जून में 11 और जुलाई में 7 दिन विवाह के मुहूर्त रहेंगे। 10 जुलाई देवशयनी एकादशी के साथ ही चार माह के विवाह सहित बड़े मांगलिक कार्य फिर रुक जाएंगे और देवोत्थान एकादशी के बाद नवंबर में विवाह कार्यों की शुरुआत होगी। मांगलिक कार्यों के लिए शुभ लग्न या मुहूर्त के लिए ग्रह तारों का बल देखा जाता है। जब गुरु या शुक्र ग्रह उदित होते हैं, तभी मांगलिक कार्य संपन्न किए जाते हैं।

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