पर्वतारोही मनीषा पायल के समर्थन में उतरे ग्रामीण, सरकार को दिया 10 दिन का अल्टीमेटम

हरिभूमि न्यूज. फतेहाबाद : जिला की एकमात्र महिला एवरेस्ट विजेता मनीषा पायल के समर्थन में आज गांव बनावली के सैंकड़ों ग्रामीणों ने लघु सचिवालय में पड़ाव डाला। ग्रामीणों ने गांव की बेटी को 4 साल बीत जाने के बावजूद प्रदेश सरकार द्वारा कोई सम्मान न दिए जाने को लेकर काफी रोष था और उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
गांव की बेटी मनीषा को सम्मान न दिए जाने पर तीखे तेवर दिखाते हुए ग्रामीण डीसी कार्यालय प्रवेश द्वार पर धरना देकर बैठ गए। करीब 2 घंटे बाद अतिरिक्त उपायुक्त अजय चोपड़ा ने धरनारत मनीषा पायल व ग्रामीणों के बीच पहुंचकर उनकी बात सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया। इस दौरान सरपंच बलजीत झाझडिया, पूर्व सरपंच राममूर्ति फौगाट, समाजसेवी कृष्ण लेगा, सामाजिक कार्यकर्ता हरदीप सिंह व भगत सिंह ब्रिगेड भट्टू प्रभारी नौरंग सिंह की अगुवाई में एडीसी को ज्ञापन सौंपते हुए स्पष्ट किया कि यदि अगले 10 दिन में मनीषा पायल के बारे में सरकार ने अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया, तो वे सरकार के सभी मंत्री-विधायकों व सांसद का गांवों में प्रवेश करने पर प्रतिबंध निर्णय लेंगे।
ग्रामीणों ने कहा कि पर्वतारोही मनीषा पायल द्वारा 22 मई 2019 को एवरेस्ट फतेह किया था। 4 साल बीत जाने के बावजूद सरकार की तरफ से उसे किसी तरह का कोई सम्मान नहीं दिया गया है।
मीडिया से बात करते हुए मनीषा पायल ने बताया कि उसने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नारे से प्रभावित होकर तिरंगे के साथ उनका चित्र वाला ध्वज भी दुनिया की सबसे उंची चोटी पर फहराया था। सबसे 'यादा समय एवरेस्ट पर बिताते हुए राष्ट्रगान का विश्व रिकार्ड बनाया, इसके बाजवूद उसे आज तक भाजपा सरकार से किसी तरह का कोई सम्मान नहीं मिला। पूर्व में एवरेस्ट फतेह करने वालों को सरकारी नौकरी के अलावा सरकार ने हर वो सम्मान दिया, जो विश्व स्तर के खिलाडि़यों को दिया जाता है। मनीषा ने स्पष्ट किया कि उसके सब्र का बांध टूट चूका है, वह हताश होकर उसी भाजपा सरकार के सामने सम्मान पाने की लड़ाई लड़ने को मजबूर है, जिसकी नीतियों से प्रभावित होकर उसने पीएम मोदी का ध्वज एवरेस्ट पर फहराया था।
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