लाडलों का इंतजार : काम धंधे की तलाश में विदेश भाग रहे युवा, कई गांवों में केवल बुजुर्ग बचे

हरिभूमि न्यूज.जींद। हरियाणा का खेतीबाड़ी, सेना में भेजने तथा खेलों में अपना एक अलग रूतबा है। अब भूमि बंट जाने और सेना की नौकरियों में कमी तथा रोजगार के अवसर कम होने के कारण युवा विदेशों की तरफ रूख कर रहा है। हालात यहां तक हैं कि कुछ गांव ऐसे हैं। जहां पर 18 से 30 वर्ष के युवा दिखाई नहीं देते हैं। जिनमें गांव मोरखी, ढाठरथ, आलनजोगी खेड़ा, मालश्री खेड़ा समेत सफीदों तथा पिल्लूखेड़ा के आधा दर्जन से ज्यादा गांव हैं। जींद शहर मे भी प्रतियोगिता परीक्षाओं के कोचिंग सेंटरों की बजाय आईलेट्स तथा पीईटी की तैयारियां करवाने वाले सस्थानों की भरमार हो गई है। इन सस्थानों ने गांव तक पहुंच बनाई हुई। बावजूद इसके डोंकी से ज्यादा युवा विदेश मे पहुच रहे हैं।
जिला मुख्यालय से लगभग 19 किलोमीटर देर गांव मोरखी की आबादी लगभग आठ हजार है। गांव मे 1415 हेक्टेयर मे खेती बाड़ी की जाती है। गांव से पिछले दो साल के दौरान 550 से ज्यादा युवा विदेश जा चुके हैं। गांव में 18 से 30 साल के बीच के उम्र के युवा दिखाई नहीं देते। सबसे ज्यादा युवा अमेरिका, कनाडा, जर्मनी संमेत यूरोपीय देशों में है। कुछ युवा अस्ट्रेलिया भी गए हुए है। जिसके पीछे मुख्य कारण विदेश में जाकर डालर कमा अपने तथा परिवार का उज्ज्वल भविष्य करना है। आधा दर्जन युवक ऐसे हैं जिन्हाेंने अवैध रूप से घुसने के चलते विदेश मे जेल काटी ओर उन्हे डिपोर्ट कर दिया गया।
जींद। डीआरडीए में खुले आईलेट्स के लिए कोचिंग सेंटर।
विदेश भेजने के नाम पर बढ़ रहे ठगी के मामले
युवाओं को विदेश भेजने के नाम पर ठगने के मामलों में भी लगातार वृद्धि हो रही है तथा प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित दोनों ही तरह के युवा इनके शिकार बन रहे हैं। युवाओं की पहली पसंद अमेरिका, आस्ट्रेलिया तथा कनाडा है। अब जर्मनी, इटली जैसे यूरोपीय देशों की तरफ रूख कर रहे है। औसतन हर माह आठ से दस मामले पुलिस के पास भी पहुंच रहे हैं। गांव मोरखी के सरपंच प्रतिनिधी संदीप कुमार ने बताया कि गांव लगभग 550 से ज्यादा युवा विदेश में हैं। कुछ ऐसे युवा हैं जिनको विदेश भेजने के लिए जमीन तक बेची गई है। पिछले छह माह के दौरान ज्यादा युवा विदेश गए हैं। विदेश जाने के पीछे रोजगार के अवसर कम होने, खेती की जमीन का बंटवारा होना है। कुछ धोखाधड़ी का शिकार भी हुए हैं। अब तो विदेश मे भी मजदूरी को लेकर बदलाव हो गया। पहले 15 से 18 डॉलर प्रति घंटा मजदूरी मिलती थी। अब महीना में दो से अढाई हजार डालर मजदूरी दी जा रही है।
मध्यरात्रि को आतिशबाजी तथा बजते हैं डीजे
ग्रामीणों ने बताया कि रात को आतिशबाजी होती है और डीजे बजाया जाता है तो उसका सीधा मतलब है की गांव का कोई युवा विदेश में पहुंच गया है। डोंकी से विदेश में दाखिल होने के साथ परिजनों को सूचना दी जाती है। जिसके साथ ही आतिशबाजी शुरू हो जाती है। फिर डीजे पर जश्न भी मनाया जाता है।
जमीन बेच कर विदेश की भरी उड़ान
विदेश जाने को लेकर परिवार के लोग अपनी जमीन तक को बेच रहे हैं। विदेश के लिए 30 से 50 लाख तक एजेंट वसूल रहे हैं। रिश्तेदारियाें से भी रुपया उठाया जा रहा है। गांव में 50 से ज्यादा ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अपने परिवार के सदस्य को विदेश भेजने के लिए अपनी जमीन तक को बेच दिया। दो तीन ऐसे भी जिन्होंने पर विदेश के लिए बेची जमीन फिर वहां से डालर कमा वापस खरीदी। गांव के विदेश मे गए ज्यादतर ऐसे युवा जो परिवार के सपनाें को पूरा करने के लिए विदेश में जद्दोजहद कर रहे हैं लेकिन युवा वहां पर वैधता को लेकर अटके हुए हैं, या फिर फंसे हुए हैं।
ऑनलाइन शादी, बहू भी विदेश की तैयारी में
ग्रामीणों के अनुसार गांव मे तीन शादियां ऑनलाइन हुई है। युवक विदेश में बैठा हुआ है। बहू घर पर आ रही है। बहू के आने के बाद पता चलता है कि ऑनलाइन विदेश में बैठे युवक से ऑनलाइन शादी हुई है। वह भी जब बहू को पूजा अर्चना के लिए बिना लड़के लिए मंदिर या गांव के खेड़े पर ले जाया जाता है। फिर बहु को भी विदेश भेजने की तैयारिया शुरू हो जाती हैं। जिसको लेकर पहले से प्रंबध होता है।
पंजीकृत एजेंट के माध्यम से ही अप्लाई करें
अभिभावकों का कर्तव्य है कि वे उन्हें विदेश जाने के मोह में अवांछित तत्वों के झांसे में न आने के लिए समझाएं। पंजीकृत एजेंट के माध्यम से जाएं। देश में ही रह कर अपना भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करें। देश में बेहतर रोजगार के अवसर पैदा करें ताकि युवा विदेश जाने की जरूरत ही महसूस न करें। - रवि खुंडिया, डीएसपी हेडक्वार्टर
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