गर्मी से पहले ही पानी को लेकर ग्रामीण क्षेत्र में त्राहि-त्राहि

हरिभूमि न्यूज : रेवाड़ी
गर्मी का मौसम शुरू होने से पहले ही ग्रामीण क्षेत्रों में पानी को लेकर परेशानियां शुरू हो गई है। नहर नहीं आने से जहां वाटर टैंक पूरी तरह सूख चुके हैं, वहीं बोरवैल फेल हो चुके हैं। पिछले 15-20 दिनों से पानी की किल्लत झेल रहे ग्रामीणों में रोष उत्पन्न हो रहा है। ग्रामीण मजबूरन पैसों में पानी का टैंकर मंगवा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वे एकत्रित होकर डीसी दरबार पहुंचेंगे।
सात गांवों की प्यास बुझाने वाला भटेड़ा का बूस्टिंग स्टेशन खुद प्यासा है। नहर नहीं आने से वहां बने वाटर टैंक पूरी तरह सूख चुके हैं। यहां तक कि वहां लगे बोरवैल भी फेल हो चुके हैं। क्योंकि नहर नहीं आने और सूखे पड़े टैंकों की वजह से जलस्तर नीचे चला गया है। जिसके कारण गांवों में सप्लाई नहीं दी जा रही है।
सबसे ज्यादा परेशान कढू भवानीपुरा
भटेड़ा बूस्टिंग स्टेशन के अधीन सात गांव आते हैं। जिसमें गांव रोलियावास, भटेड़ा, प्राणपुरा, चिमनावास, कढूभवानी पुरा व मामडि़या आसमपुर शामिल है। बाकी 6 गांवों में पंचायती बोरवैल से अभी तक काम चल रहा है, लेकिन कढू भवानीपुरा में पंचायती बोरवैल नहीं होने से भारी परेशानी है। कढू गांव मामडि़या आसमपुर की ग्राम पंचायत के अधीन आता है। मामडि़या में तो पंचायती बोरवैल का पानी सप्लाई होता है, लेकिन यह पानी कढू गांव तक नहीं पहुंचता। ग्रामीणों का कहना है कि वे सिर्फ भटेड़ा से आने वाले पानी पर ही निर्भर है। हालांकि गांव में किसानों ने ट्यूबवैल लगा रखे हैं, लेकिन खारा होने के कारण पानी पीने व नहाने योग्य नहीं हैं। जिसके कारण गांव में पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मची हुई है।
टैंकर वाले कूट रहे चांदी
पानी की सप्लाई नहीं मिलने से लोगों को मोल पानी मंगवाना पड़ रहा है। जिसके कारण टैंकर चालक जमकर चांदी कूट रहे हैं। ग्रामीणों को एक टैंकर का 700 रुपये तक देना पड़ रहा है। जिससे उनमें रोष पनप रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें आर्थिक बोझ के साथ-साथ मानसिक बोझ झेलना पड़ रहा है। गांव रोलियावास के सरपंच ने बताया कि उनके गांव में 250 घरों की आबादी है। नहरी सप्लाई नहीं आने से गांव में परेशानी तो आई है, लेकिन पंचायती बोरवैल से रोजाना 8 घंटे की सप्लाई से ग्रामीणों की आवश्यकता को पूरा किया जा रहा है। बीपीएल प्लाटों तक सप्लाई लाइन नहीं पहुंचने से टेंकरों के माध्यम से पानी भिजवाया जा रहा है। सरकारी स्कूल में भी टेंकर भेजा जाता है।
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