Weather Update : हरियाणा, दिल्ली NCR में कई जगह बरसात, जानें आगे कैसा रहेगा मौसम का मिजाज

Mausam ki jankari
सोमवार रात को एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने से रात को और मंगलवार को उत्तरी मैदानी राज्यों विशेषकर राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में अच्छी बारिश दर्ज की गई। वहीं पश्चिमी भागों में भारी बरसात दर्ज की गई है, जबकि पंजाब, उत्तरी हरियाणा के हिस्सों, दिल्ली एनसीआर और पश्चिमी उत्तरप्रदेश में दोपहर तक कुछ स्थानों पर बरसात हुई है। राजकीय महाविद्यालय नारनौल के पर्यावरण क्लब के नोडल अधिकारी डाक्टर चंद्रमोहन ने बताया कि इस मौसम प्रणाली का प्रभाव हरियाणा के दक्षिणी हिस्सों में कम रहा।
अभी सम्पूर्ण मैदानी राज्यों राजस्थान, हरियाणा व एनसीआर दिल्ली में पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता मौजूद है जिसकी वजह से आज रात को ताज़ा सक्रीय बादलों का निर्माण पाकिस्तान और साथ लगते भारत के पंजाब, राजस्थान के हिस्सों पर शुरू होगा, देर रात को और बुधवार अल सुबह के बीच इन इलाकों में फिर तेज़ बारिश की उम्मीद है। कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। मंगलवार मध्य रात्रि से बुधवार दोपहर के बीच पंजाब, हरियाणा व दिल्ली एनसीआर और पश्चिमी उत्तरप्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश और कहीं कहीं तेज़ बारिश की भी संभावना है।
22 जून के बाद फिर बढ़ेगी गर्मी
बुधवार को हरियाणा व एनसीआर दिल्ली में अधिकतर स्थानों पर अधिकतम तापमान 30.0 डिग्री से 35.0 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया। वर्तमान अध्ययन व विश्लेषण के अनुसार 22 जून को दोपहर तक पश्चिमी विक्षोभ का असर कमजोर हो जाएगा और उत्तर भारत के पर्वतीय और मैदानी राज्यों में मौसम फिर शुष्क हो जाएगा। 22 से 28 जून से बीच सम्पूर्ण इलाके में मौसम साफ और गरम और शुष्क हो जाएगा और एक बार फिर तापमान में वृद्धि दर्ज की जाएगी और वातावरण में मौजूद प्रचुर मात्रा में नमी की वजह से उमस और पसीने वाली गर्मी अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देगी। क्योंकि राजस्थान हरियाणा एनसीआर दिल्ली में एक बार फिर पश्चिमी उष्ण और शुष्क हवाओं का प्रभुत्व स्थापित हो जाएगा परंतु लू नहीं चलेगी।
मानसून अपडेट
वर्तमान परिदृश्य के अनुसार मैदानी राज्यों हरियाणा, एनसीआर व दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के साथ उत्तरी पहाड़ी इलाकों में मानसून का आगाज 29/30 जून से पहले नहीं होने वाला है। अभी के विश्लेषण और अध्ययन के अनुसार मानसून का फैलाव अभी अधिक नहीं दिख रहा, क्योंकि बंगाल की खाड़ी पर अभी कम दबाव का क्षेत्र नहीं बनता नजर नहीं आ रहा है।
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