ओमकार चौधरी का लेख : कांग्रेस कहां है उत्तर प्रदेश में

ओमकार चौधरी का लेख : कांग्रेस कहां है उत्तर प्रदेश में
X
प्रियंका गांधी वाड्रा ने हाल में उत्तर प्रदेश में ऐलान किया है कि चालीस प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए जाएंगे। राहुल ने जो कहा, उसे बस इसी परिपेक्ष्य में देखा जाना चाहिए, इससे अधिक नहीं। यानी भाई-बहन जो कह रहे हैं, उसे ज्यादा गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। उत्तर प्रदेश में चार सौ तीन सदस्यीय विधानसभा है। प्रियंका ने अपनी घोषणा पर अमल किया तो उन्हें एक सौ इकसठ लड़ाऊ महिला चेहरों की जरूरत होगी, परंतु इतने चेहरे उन्हें पूरी चार सौ तीन सीटों पर भी मिल जाएं तो कांग्रेस के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी, क्योंकि न तो यूपी में उसका संगठन बचा है, न कार्यकर्ता। नेता भी पार्टी छोड़कर भाग रहे हैं।

ओमकार चौधरी

किसी ने राहुल गांधी से पूछा कि वो प्रधानमंत्री बने तो पहला फैसला क्या करेंगे। बिना देर किए उन्होंने जवाब दिया कि महिलाओं को आरक्षण देंगे। पूछने वाले ने पलटकर नहीं पूछा कि जब डा. मनमोहन सिंह की सरकार दस साल तक केन्द्र में थी, तब आरक्षण क्यों नहीं दिया गया। किसने रोका था परंतु ऐसे असुविधाजनक सवाल आजकल मीडिया के भाई लोग पूछते नहीं हैं। राहुल गांधी ने यही जवाब क्यों दिया, इस पर आते हैं। उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने हाल में उत्तर प्रदेश में ऐलान किया है कि चालीस प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए जाएंगे। राहुल ने जो कहा, उसे बस इसी परिपेक्ष्य में देखा जाना चाहिए, इससे अधिक नहीं। यानी भाई-बहन जो कह रहे हैं, उसे ज्यादा गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। उत्तर प्रदेश में चार सौ तीन सदस्यीय विधानसभा है। प्रियंका ने अपनी घोषणा पर अमल किया तो उन्हें एक सौ इकसठ लड़ाऊ महिला चेहरों की जरूरत होगी, परंतु इतने चेहरे उन्हें पूरी चार सौ तीन सीटों पर भी मिल जाएं तो कांग्रेस के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी, क्योंकि न तो यूपी में उसका संगठन बचा है, न कार्यकर्ता।

नेता भी पार्टी छोड़कर भाग रहे हैं। जितिन प्रसाद इसका प्रमाण हैं, जो दस जनपथ के करीबी माने जाते रहे हैं। लोग यह भी पूछ रहे हैं कि विधानसभा चुनाव पांच राज्यों में हो रहे हैं। केवल उत्तर प्रदेश में ही महिलाओं को चालीस प्रतिशत टिकट देने की घोषणा क्यों की गई है। उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में क्यों नहीं। वहां की महिलाओं ने कौन सा गुनाह कर रखा है, परंतु प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस से कौन पूछे। उत्तर प्रदेश की महिलाओं पर ही वह क्यों इतने मेहरबान हैं, अन्य प्रदेशों की महिलाओं पर क्यों नहीं, इस पर भी आगे चलकर बात करेंगे। वहां कांग्रेस नेत्री केवल महिलाओं पर ही मेहरबान हों, ऐसा नहीं है। उन्होंने सरकार बनने पर किसानों के कर्ज और बिजली बिल माफ करने की घोषणा की है। लड़कियों को स्मार्टफोन और स्कूटी देने का ऐलान किया है। नागरिकों को दस लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की घोषणा की है। महिलाओं के तीन गैस सिलेंडर, बस यात्रा का पास मुफ्त देने की बात कही है। बिजली का बिल आधा करने का वादा किया है। संकेत हैं कि शिक्षा, व्यापार, नौजवानों को रोजगार को लेकर भी कांग्रेस नेत्री शीघ्र ऐसी ही लोकलुभावन घोषणाएं करने वाली हैं। जो जरा भी चेतन अवस्था में है, उसे पता है कि इन घोषणाओं का कोई अर्थ नहीं है। पहली बात, ये लागू करना आसान नहीं है।

दूसरे, न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी। अर्थात न कांग्रेस को जनादेश मिलेगा, न इन्हें पूरी करने की आवश्यकता पड़ेगी, इसलिए जितनी लंबी-लंबी फेंक सकती हैं, वो फेंक रही हैं। प्रश्न है कि प्रियंका ऐसा क्यों कर रही हैं। कांग्रेस की राज्य में क्या हालत है, क्या वो नहीं नहीं जानती। उनसे बेहतर कौन जानता होगा। लोकसभा चुनाव में वही अपनी मां और भाई की चुनाव प्रभारी थी। रायबरेली की सीट तो निकल गई, परंतु अमेठी में राहुल गांधी की जितनी बड़ी पराजय हुई, उसने परिवार को हिला दिया। पिछली बार का विधानसभा चुनाव कांग्रेस समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ी थी। गठबंधन के बावजूद चार सौ तीन सीटों में से कांग्रेस को मात्र सात सीटें हासिल हुई थी। केवल पांच प्रतिशत वोट शेयर नसीब हुआ था। जिस प्रदेश से जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जीते और प्रधानमंत्री बने, उस राज्य और गांधी परिवार के अभेद्य दुर्ग माने जाने वाले अमेठी में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की पराजय पूरी कहानी बयान कर देती है। आज हालत इतनी खराब है कि समाजवादी पार्टी तो छोड़िए पश्चिम उत्तर प्रदेश के छोटे से क्षेत्र में असर रखने वाला राष्ट्रीय लोकदल भी कांग्रेस से हाथ मिलाने को तैयार नहीं है। चौधरी जयंत सिंह ने कह दिया कि उनका तो सपा से गठबंधन अंतिम चरण में है।

बहुत लंबे समय तक जिस राज्य में कांग्रेस की सरकार रही, वहां यदि वह चौथे स्थान की पार्टी बनकर रह गई है तो आप समझ सकते हैं कि प्रियंका गांधी वाड्रा इतनी डेसप्रेट क्यों हैं। वह क्यों अपना सब कुछ दांव पर लगाए हुए हैं, क्योंकि उन्हें यह अच्छी तरह मालूम है कि आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, पीस पार्टी, एआईएमआईएम अब उसकी चौथी पोजीशन को भी छीनने के लिए आपसी होड़ में हैं। ऐसे में प्रियंका या राहुल गांधी के सामने घोषणाबाजी की राजनीति खेलने के सिवा चारा क्या है। हाल में अन्य प्रदेशों की तरह बिहार में भी दो सीटों के लिए उपचुनाव हुए हैं। लालू की राजद के साथ कांग्रेस का 'महागठबंधन' है परंतु जब कांग्रेस ने उनमें से एक सीट मांगी तो लालू बिफर पड़े। उन्होंने कहा कि क्या हारने और जमानत जब्त करवाने के लिए कांग्रेस को सीट दे दें। हालांकि जब नतीजा आया तो लालू की पार्टी भी नहीं जीत सकी, परंतु इस घटना से पता चलता है कि दस जनपथ का पानी किस तरह उतर रहा है। क्षेत्रीय और छोटे दल भी अब गांधी परिवार और कांग्रेस को गंभीरता से लेने को तैयार नहीं हैं।

कांग्रेस का मौजूदा नेतृत्व चुनावों को कितना संजीदगी से लेता है, यह सबके सामने है। पांच राज्यों के चुनावों में अब बिल्कुल समय नहीं बचा है, परंतु राहुल गांधी के बारे में बताया जा रहा है कि वह दिवाली पर छुट्टियां मनाने के लिए अपनी नानी के घर इटली गए हुए हैं । भारतीय जनता पार्टी के हर स्तर के नेता श्रेष्ठ परिणाम लाने की तैयारी में जुट चुके हैं। उत्तर प्रदेश की बात करें तो प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं के दौरे शुरू हो चुके हैं। शिलान्यास-उद्घाटन के अलावा नई-नई परियोजनाओं के ऐलान हो रहे हैं। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, आम आदमी पार्टी से लेकर असदुद्दीन ओवैसी और दूसरे छोटे दलों के नेतृत्व जमीन पर लोगों से संपर्क स्थापित करते नजर आ रहे हैं, परंतु राहुल गांधी और सोनिया गांधी को लगता है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने को प्रियंका ही काफी हैं। स्वयं प्रियंका को कितनी राजनीतिक समझ है, बस एक घटना से पता चल जाता है। वह वाराणसी गई थीं एक संदेश देने के लिए कि हिंदुत्व और सनातन धर्म में उनकी भी कोई कम आस्था नहीं है। वह बाबा विश्वनाथ मंदिर गईं। पूजा अर्चना की। जनसभा में पहुंची तो हिंदू बाने ( पहनावे ) में थी। मस्तक पर बड़ा का टीका रोली वगैरा भी थे। हाथ पर माला बंधी थी, परंतु सभा के मंच से अजान करवाकर सब गुड़-गोबर कर दिया। हालत यह है कि न तो दस जनपथ परिवार चुनावों को गंभीरता से ले रहा है और न पांच राज्यों की पब्लिक उन्हें गंभीरता से लेती दिखाई दे रही है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो कांग्रेस कहीं दिखाई नहीं दे रही है। प्रियंका गांधी की सक्रियता से पार्टी के पक्ष में कोई माहौल बनेगा, इसका स्वयं उन्हें भी भरोसा नहीं होगा।

( ये लेखक के अपने विचार हैं। )

Tags

Next Story