स्वास्थ्य विभाग ने गांवों का किया चयन : जहां क्रेशर क्षेत्र वहां के वायु प्रदूषण से लोगों का स्वास्थ्य कैसा? यह होगी जांच फिर एनजीटी में पेश होगी रिपोर्ट

स्वास्थ्य विभाग ने गांवों का किया चयन : जहां क्रेशर क्षेत्र वहां के वायु प्रदूषण से लोगों का स्वास्थ्य कैसा? यह होगी जांच फिर एनजीटी में पेश होगी रिपोर्ट
X
हरियाणा पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड (Haryana State Pollution Control Board) ने जिले में चल रहे स्टोन क्रेशर से हो रहे वायु प्रदूषण पर विभिन्न प्रतिवादियों द्वारा दायर याचिकाओं पर 12 जुलाई अग्रिम सुनवाई है, उसमें यह स्वास्थ्य जांच की एक्शन टेकन रिपोर्ट तलब होनी है।

हरिभूमि न्यूज : नारनौल

जहां क्रेशर से प्रदूषण फैल रहा है, उन गांवों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य की जांच स्वास्थ्य विभाग कर रहा है। इसके लिए 18 गांवों का चयन प्रशासन ने किया है। इनमें सीएचसी दौचाना के अंतर्गत आने वाले 13 गांव कुलताजपुर, थाना, रामबास, मंडलाना, हुडिना, धरसूं, लहरोदा, बिगोपुर, धौलेड़ा, सरेली, पवेरा, नापला व छिलरो और सीएचसी नांगल चौधरी के अधीन पांच गांव गंगुताना, खातोली, जैनपुर, भखरीजा व बायल शामिल है। यहां रहने वाले लोगों की फेफड़ों की जांच हो रही है। साथ ही एनसीडी कैंप व टीबी जांच कैंप भी लग रहा है। सूत्र बताते है कि हरियाणा पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड ने जिले में चल रहे स्टोन क्रेशर से हो रहे वायु प्रदूषण पर विभिन्न प्रतिवादियों द्वारा दायर याचिकाओं पर 12 जुलाई अग्रिम सुनवाई है, उसमें यह स्वास्थ्य जांच की एक्शन टेकन रिपोर्ट तलब होनी है।

एनजीटी ने छह सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी की थी गठित

महेंद्रगढ़ जिले के स्टोन क्रेशरों के खिलाफ में पर्यावरण को बचाने के लिए एनजीटी में याचिकाकर्ता इंजीनियर तेजपाल यादव लंबी कानूनी लड़ाई लड़ रहे है। उन्होंने बताया कि हमारी याचिका 'तेजपाल वर्सेस स्टेट ऑफ हरियाणा' पर महेंद्रगढ़ जिले के 72 अवैध स्टोन क्रेशरों को रद्द करने के आदेश एनजीटी द्वारा दो बार हो चुके हैं! एनजीटी के द्वारा पारित आदेश जिसमें हरियाणा प्रदूषण विभाग, आईआईटी दिल्ली के एन्वाइरन्मेंट एक्सपर्ट, सांस रोग विशेषज्ञ आदि को शामिल करके छह सदस्य उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई थी और गहन छानबीन की रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए थे लेकिन प्रदेश सरकार, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों के लचर व गलत रवैए के कारण रिपोर्ट नही सौंपी जा रही है जिसकी वजह से सुनवाई लंबित हो रही है। उन्होंने बताया कि इस मामले की अगली तारीख अब माननीय एनजीटी में 12 जुलाई लगी हुई है। इस सुनवाई मे प्रशासनिक अधिकारियों, प्रदेश सरकार व हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण विभाग की मिलीभगत के खिलाफ हम मजबूत तथ्यों के साथ मुद्दे को उठाएंगे। उन्हें यह जानकारी नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग 18 गांवों में स्वास्थ्य जांच कैंप लगाकर ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच कर रहा है। अगर ऐसा है तो यहीं जांच रिपोर्ट एनजीटी कोर्ट को सौंपी जानी है।

मार्च-2022 में विधायक ने विधानसभा में उठाया था यह मुद्दा

15 मार्च को हरियाणा विधानसभा में नांगल चौधरी विधायक डा. अभयसिंह यादव ने प्रश्नकाल के दौरान मुख्यमंत्री की उपस्थिति में बोलते हुए पर्यावरण मंत्री के समक्ष नांगल चौधरी क्षेत्र में काम कर रहे स्टोन क्रेशरों द्वारा पर्यावरण को भारी नुकसान का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि वहां चल रहे स्टोन क्रेशर पर्यावरण नियमों का बिल्कुल भी पालन नहीं कर रहे हैं तथा धूल को नियंत्रण करने की कोई भी प्रक्रिया नहीं अपनाई जा रही। परिणाम स्वरूप आस-पास के गांवों में लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने मंत्री से आसपास के गांवों के लोगों के स्वास्थ्य की जांच करवाने की भी मांग की ताकि पता लग जाए कि यह समस्या लोगों के स्वास्थ्य को किस तरह से प्रभावित कर रही है। पर्यावरण मंत्री ने इस विषय में कमेटी द्वारा मामले की जांच करवाने का आश्वासन दिया था।

Tags

Next Story