कुमारी सैलजा ने क्यों कहा कि किसानों को बर्बाद कर रही सरकार, बड़ी कंपनियों को कर रही आबाद

चंडीगढ़। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सैलजा ने केंद्र की बीजेपी (BJP) सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये सरकार लगातार किसानों के हितों की बलि लेकर कुछ चहेती कंपनियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि किसानों के खिलाफ तीन-तीन अध्यादेश पारित करने के बाद अब सरकार संसद में कीटनाशक प्रबंधन विधेयक (पेस्टीसाइड्स मैनेजमेंट बिल- 2020) लाकर फिर से किसानों और छोटे बिज़नेसमैन को बर्बाद करने की कोशिश कर रही है। सैलजा ने आरोप लगाया कि सरकार सोमवार 14 सितंबर से शुरु होने वाले संसद के सत्र में इस बिल को पास करवाने की कोशिश कर रही है, लेकिन इस बिल पर ना तो पहले किसानों से बात की गई और ना ही किसान संगठनों से।
किसान इस देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है लेकिन किसानों से संबंधित फैसले लेने से पहले राजनीतिक (Political) दलों से भी बातचीत नहीं की जा रही। इसलिए सरकार की मंशा पर सवाल उठते हैं। हम मांग करते हैं कि इस बिल पर पूरी बहस करवाए और नए सुझावों को भी इसमें शामिल करे। साथ ही इस बिल को लेकर किसानों और छोटे पेस्टीसाइड्स निर्माताओं की बिल से जुड़ी आशंकाओं को भी दूर करे औऱ उनके मुताबिक इसमें बदलाव करे।
कुमारी सैलजा ने कहा कि 2018 में बनी अशोक दलवई कमेटी ने घरेलू उद्योगों को बढावा देने और एग्री प्रोडक्टस के निर्यात को बढावा देने की जो सिफारिश की थी, वो इस बिल से पूरी तरह से गायब है औऱ उसकी जगह आयात को बढावा मिलता दिखाई दे रहा है। वर्तमान बिल में शामिल प्रावधानों से किसान पर और आर्थिक मार पड़ेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि कपास की फसल में इस्तेमाल होने वाला आयातित कीटनाशक कुछ वक्त पहले तक 10 हज़ार रुपये प्रति किलो तक किसानों को मिलता था,
लेकिन देश में उत्पादन होने के साथ ही ये गिरकर 3500 रुपये प्रति किलो तक हो गया। लेकिन निर्यात को बढावा देने वाले इस बिल के पास होने पर फिर से किसान को मिलने वाले कीटनाशक महंगे हो जाएंगे। एक तरफ सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुणा करने का लॉलीपॉप दे रही है और दूसरी तरफ किसान विरोधी नीतियां लागू करके किसानों पर आर्थिक मार कर रही है।
कुमारी सैलजा ने आरोप लगाया कि कीटनाशक मैनेजमेंट विधेयक (पेस्टीसाइड्स मैनेजमेंट बिल- 2020) में जो प्रावधान किए गए हैं उनसे इंस्पेक्टरी राज को बढावा मिलेगा। अब तक लागू The Insecticides Act, 1968 में कीटनाशक बनाने वाली जो कंपनियां पहले से रजिस्टर्ड हैं, उन्हें फिर से रजिस्टर्ड करवाना होगा औऱ साथ ही रजिस्ट्रेशन कमेटी को अधिकार दिए गए हैं कि वो जब चाहे जिस भी कंपनी का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर सकती है।
इससे भ्रष्टाचार तो बढेगा ही साथ ही भारतीय छोटे निर्माता जो सस्ते दामों पर कीटनाशक मुहैया करवा सकते हैं वो इससे हाथ खीचेंगे। इसका भार भी किसानों पर ही पडने वाला है। इसके अलावा इन फैसलों से किसान को वक्त पर कीटनाशक मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। टिड्डी दल के हमले जैसी इमरजेंसी के वक्त पेस्टीसाइड्स का इस्तेमाल और उसकी उपलब्धता पर भी कोई प्रावधान नहीं किया गया, जो किसानों के लिए बेहद ज़रुरी है। पेस्टीसाइड्स निर्माता कंपनियों की संस्था क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भी बिल के इन प्रावधानों का विरोध किया है।
सैलजा ने आरोप लगाया कि केंद्र की बीजेपी सरकार का लगातार किसान विरोधी चेहरा सामने आ रहा है। सरकार पहले ही तीन अध्यादेशों की मार्फत किसानों के हितों को बड़ी कंपनियों के पास गिरवी रखने का षडयंत्र कर रही है। पूर्व प्रधानमंत्री स्वः इंदिरा गांधी ने किसान को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का जो फैसला लागू किया था, ये बीजेपी सरकार उसे खत्म करने की साज़िश कर रही है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS