ग्रामीणों ने क्यों कहा कि अधिकारियों ने किया है शहीदों का अपमान

नारनौंद। देश के जिन शहीदों की वजह से हम खुले में आजादी की सांस ले रहे हैं। उन वीरों को पूरा मान सम्मान (honor) दिया जाना चाहिए। सरकार की तरफ से गांव उगालन में शहीद लांस नायक रणधीर सिंह का स्मारक व उनकी प्रतिमा का अनावरण किया गया। जिसमें सैनिक बोर्ड के सैनिकों सहित गांव के अनेक समाजसेवी लोगों ने हिस्सा लेकर शहीद को नमन किया
इस अवसर पर हवन यज्ञ भी किया गया। गांव उगालन के शहीद लांस नायक रणधीर सिंह का जन्म 4 मई 1979 को हुआ था और वर्ष 1999 को सेना में भर्ती हो गए थे वह रेजीमेंट 65 फील्ड (तोपखाना) में सेवाएं दे रहे थे वो युद्ध ऑपरेशन के तहत 27 जून 2008 को वह देश के लिए शहीद (martyr) हो गए थे। वो सैनिक परिवार से संबंध रखते थे। उनके पिता राजपाल सिंह भी फौज में सिपाही थे और उन्हीं से प्रेरित होकर वह सेना में भर्ती हुए थे।
उनके शहीद होने के बाद स्वजनों ने सरकार से मांग की कि गांव में उनके नाम का स्मारक बनाया जाए आखिरकर 12 साल बाद प्रशासन ने गांव में करीब 12 लाख रुपये की लागत से शहीद लांस नायक रणधीर सिंह का स्मारक बनाकर उनकी प्रतिमा का अनावरण किया। जिसमें समाजसेवी सुशील उगालन, सरपंच प्रतिनिधि साहिल खरब, जाट शिक्षण संस्थान के प्रधान दलवीर सिंह डीपी आदि शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर हवन यज्ञ में आहुति डाली।
लेकिन प्रशासन के अधिकारी इस कार्यक्रम से नदारद दिखे। ग्राम पंचायत की तरफ से भी सभी उच्च अधिकारियों को कार्यक्रम में पहुंचने का न्योता दिया गया था। लेकिन पंचायती राज के जेई के अलावा किसी भी अधिकारी ने इस कार्यक्रम में शिरकत नहीं की। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन के अधिकारियों द्वारा इस कार्यक्रम में नहीं पहुंचना शहीदों के लिए अपमान की बात है।
ये बोले समाजसेवी
समाजसेवी सुशील उगालन ने कहा कि गांव के रणधीर सिंह ने शहादत देकर गांव का नाम रोशन किया है और सरकार ने जो यह स्मारक बनाया है। इसके लिए हम धन्यवाद करते हैं। लेकिन कार्यक्रम में प्रशासन के अधिकारियों को भी आना चाहिए था।
ये बोले सरपंच प्रतिनिधि
सरपंच प्रतिनिधि साहिल खरब ने बताया कि कार्यक्रम के लिए प्रशासन के सभी अधिकारियों को न्योता दिया गया था। लेकिन वह कोरोना की वजह से कार्यक्रम में शिरकत नहीं कर पाए। पंचायती राज की तरफ से जेई संदीप अहलावत कार्यक्रम में आए थे।
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