पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने क्यों कहा एक के बाद एक खराब हो रही फसल, फिर भी मुआवजा देने को तैयार नहीं सरकार

चंडीगढ़ सरकार की नीतियों, टिड्डियों, बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि के बाद अब हरियाणा के किसान (Farmer) फसलों में बीमारी की मार झेल रहे हैं। वो मुआवज़े की मांग के लिए सरकार का मुंह ताक रहे हैं। लेकिन सरकार एक के बाद एक हो रहे ख़राबे के बाद भी मुआवज़ा देने को तैयार नहीं है।
ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। उनका कहना है कि आज किसान कपास, मूंग, ग्वार और बाजरे की ख़राब फसल का मुआवज़ा लेने के लिए आंदोलन करने को मजबूर है। हिसार के बालसमन्द में किसानों ने एक जनसभा करके सरकार को जगाने की कोशिश की है। उनकी मांगों का समर्थन करते हुए भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार को किसानों की मांगों का फौरन संज्ञान लेते हुए मुआवज़े का ऐलान करना चाहिए।
हुड्डा ने बताया कि उखेड़ा, सफेद मक्खी और हरा तेला की बीमारी ने प्रदेशभर में कपास की फसल को बर्बाद (Ruin) कर दिया है। इससे किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है। फसल बीमा के तौर पर मोटी राशि देने के बावजूद उन्हें मुआवज़े का एक पैसा नहीं मिला।
किसानों से बिना पूछे फसल बीमा योजना की किश्त खातों से काटी गई। कोरोना, महंगाई और मंदी के दौर में भी सरकार ने कपास बीमा की किश्त में करीब 3 गुणा बढ़ोत्तरी कर दी। पहले किसान को बीमा के लिए 620 रुपये देने पड़ते थे, अब उसे बढ़ाकर 1650 रुपये कर दिया गया। ज़ाहिर है, सरकार की नीतियों से किसान कंगाल हो रहे हैं और प्राइवेट बीमा कंपनियां मालामाल हो रही हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने मांग की कि सरकार को बिना देरी के स्पेशल गिरदावरी करवाकर कपास किसानों को कम से कम 30 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवज़ा देना चाहिए। पिछले साल असमय हुई ओलावृष्टि से प्रदेश के कई ज़िलों में रबी की फसल ख़राब हो गई थी। उसका मुआवज़ा भी किसानों को अबतक नहीं मिला है। जलभराव से हुए नुकसान की भरपाई के लिए भी किसानों को लंबा इंतज़ार करना पड़ रहा है।
सरकारी लेटलतीफी, मौसम, महंगाई और बीमारी की मार झेल रहे किसानों की मदद करने की बजाए सरकार उनके साथ घोटाले करने में लगी है। धान ख़रीद, चावल, सरसों और बाजरा ख़रीद जैसे घोटालों को अंजाम दिया जा रहा है।
जो करोड़ों रुपया किसानहित में ख़र्च होना चाहिए था, वो घोटालेबाज़ों की जेब में जा रहा है। चौतरफ घाटे की मार झेल रहे किसान को पूरी तरह बर्बाद करने के लिए सरकार अब 3 कृषि अध्यादेश लाई है। बिना MSP (स्वामीनाथन रिपोर्ट सी2 फार्मूले के तहत) के प्रावधान वाले ये अध्यादेश किसान विरोधी हैं।
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