ग्रामीण बायोगैस से पकाएंगे खाना : महेंद्रगढ़ जिले के इस गांव में लगेगा पहला गोबर गैस प्लांट

राजकुमार : नारनौल
गांव कटकई में जिले का पहला गोबर गैस प्लांट (बायोगैस) बनेगा। पंचायतीराज विभाग गांव की पंचायती जमीन पर यह प्लांट लगाने की तैयारी कर रहा है। यह प्लांट गौशालाओं एवं ग्रामीणों के पशुधन से चलाने की योजना है। गोबर गैस एलपीजी की तुलना में काफी सस्ती होगी तथा ग्रामीण इसका उपयोग कर खाना पका सकेंगे। इसके निर्माण के लिए विभाग ने एक एजेंसी से संपर्क किया है, जिसने गांव का मौका मुआयना किया है। इसके निर्माण पर करीब एक करोड़ रुपये की लागत आएगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने केंद्र की मदद से प्रदेश के सभी खंडों में गोबर गैस प्लांट लगाने की योजना पर कार्य कर रही है। इसके तहत सरकार ने शुरूआती चरण में प्रदेश के सभी 138 खंडों के एक-एक गांव में गोबर गैस प्लांट स्थापित करने का निर्णय लिया है। जो गांवों की पंचायती भूमि पर बनाए जाएंगे और फिर इसे प्रत्येक घर तक विस्तृत करने की योजना है। इसकी शुरूआत प्रदेश के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला द्वारा हिसार स्थित नया गांव में सामुदायिक बायोगैस प्लांट लगाकर शुरुआत की जा चुकी है। इस योजना के तहत विधायक सीताराम यादव की सिफारिश पर अटेली खंड के गांव कटकई का चयन किया गया है, जहां जिले का पहला बायोगैस प्लांट लगेगा। इसके लिए ग्राम पंचायत की जमीन का सर्वे भी हो चुका है।
पाइप लाइन से घरों में पहुंचाई जाएगी गैस
सामुदायिक बायोगैस प्लांट से गोबर गैस को पाइप लाइन से हर घर तक पहुंचाया जाएगा। शुरूआत में गांव के केवल 200 घरों का चयन किया जाएगा। कामयाब रहने पर गांव के सभी घरों तक इसका विस्तार कर दिया जाएगा। गोबर गैस प्लांट से सीधे रसोई तक पाइप लाइन बिछाई जाएगी और गैस के कनेक्शन दिए जाएंगे। जहां ग्रामीण खाना पकाएंगे।
इस कीमत पर मिलेगी बायोगैस
इस गोबर गैस प्लांट से गांव के लोगों को सभी तरह के खर्च शामिल करके एक सिलेंडर जितनी गैस 300 रुपये से भी कम कीमत पर मिलेगी। इस योजना से आमलोगों को एलपीजी गैस पर होने वाले खर्च में काफी कमी देखने को मिलेगी। वहीं बायोगैस प्लांट से गांव में रोज निकलने वाले गोबर का उचित उपयोग होगा। बायोगैस प्लांट योजना के लिए सरकार अनुदान भी देती है। प्रदेश में गोबर गैस प्लांट के लिए हरियाणा रिन्यूवल एनर्जी डवलपमेंट एजेंसी में आवेदन करना होता है।
केंद्र सरकार कर रही है इस योजना पर काम
वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार बॉयोगैस बनाने की तकनीक के नए प्रोजेक्ट को लागू करने पर काम कर रही है। तेल और गैस का आयात कम करने के लिए देश को बायोगैस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से इस दिशा में कार्य किया जा रहा है।
एजेंसी ने किया गांव का दौरा
गांव कटकई में गोबर गैस प्लांट लगाने के लिए करीब एक करोड़ रुपये का बजट बनाया गया है, जिससे 39 फुट रेडियस में 19 फुट गहरा पक्का गड्डा एवं होदी बनाई जानी है। यहां से गांव में घर-घर तक पाइप लाइन बिछाई जाएगी। लेकिन कमाल की बात है कि पंचायतीराज विभाग अब तक करीब आठ बार ऑनलाइन टेंडर मांग चुका है, मगर कोई टेंडर लगाने का ही तैयार नहीं हुआ। जिस पर एक एजेंसी को गांव का मौका मुआयना कराया गया है, ताकि योजना सिरे चढ़ सके।
गोशालाओं की ली जाएगी मदद
इस प्लांट को शुरू करने में गोशालाओं की मदद ली जाएगी, ताकि वहां से गोबर मिल सके। इसके साथ ही ग्रामीण पशुपालकों की सहायता से भी गोबर जुटाया जाएगा। इस प्लांट को चलाने के लिए ग्रामीणों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी, ताकि वह आत्मनिर्भर होकर इसका संचालन कर सकें।
निर्माण कराने का किया जा रहा प्रयास
पंचायती राज विभाग के कार्यकारी अभियंता नारायण दत्त शर्मा ने बताया कि जिले का पहला बायोगैस प्लांट कटकई में बनना प्रस्तावित है। इसके लिए विधायक सीताराम यादव ने पहल की थी। फिलहाल इसका निर्माण कराने की दिशा में काम कर रहे हैं।
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